उदयपुर। रॉयल स्टैग बैरल लार्ज शॉर्ट फिल्म्स ने अपनी नई शॉर्ट फिल्म ‘द मिनिएचरिस्ट ऑफ जूनागढ़’ जारी की। इसमें सुप्रसिद्ध कलाकार नसीरुद्धीन शाह, रसिका दुग्गल, पद्मावती राव और राज अर्जुन प्रमुख भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म 1947 के जूनागढ़ रियासत की पृष्ठभूमि पर बनी है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे विभाजन ने एक बूढ़े मिनिएचरिस्ट कलाकार, हुसैन नक्काश (नसीरुद्धीन शाह अभिनीत) को बाध्य कर दिया। अपनी पूरी जिंदगी कला के नाम समर्पित करने वाले इस बूढ़े कलाकार की आँखों की रोशनी चली जाती है और उसके परिवार को पश्चिमी भारत का अपना पुश्तैनी घर बेचकर पाकिस्तान जाना पड़ता है। इस कहानी की खूबसूरती उस समय उभरकर सामने आती है, जब जिद्दी और पत्थर दिल व्यापारी, उस घर के नये स्वामी (राज अर्जुन अभिनीत), किशोरीलाल का किरदार बदलाव से होकर गुजरता है। जब हुसैन नक्काश का परिवार उसके कला संग्रह के बारे में एक रहस्य का खुलासा करता है, जो उन्होंने मिनिएचर के उस्ताद से छुपा कर रखा था।
यह शॉर्ट फिल्म स्टीफन ज़्विग की लघु कथा, ‘द इनविजिबल कलेक्शन’ से ली गई है। हालाँकि भारत के कठिन अतीत में निहित, ‘द मिनिएचरिस्ट ऑफ जूनागढ़’ आज की दुनिया की बात करती है – धार्मिक और नस्लवादी संघर्षों से तबाह दुनिया की। यह फिल्म विलाप और उम्मीद, दोनों की अरदास है, क्योंकि हुसैन के आखिरी कार्य के रूप में संस्कृतियों के बीच के फर्क को पाटने और अपने प्यारे वतन तथा घर लौटने के आशावादी कथ्य पर बनी है। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में पुरस्कार हासिल करने के बाद, इस लघु फिल्म ने भारत में कई पुरस्कार भी जीते हैं। इसने इमेजिन इंडिया फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार और स्मिता पाटिल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीता है।
नसीरुद्धीन शाह ने कहा कि आम लोगों पर विभाजन के प्रभाव के बारे में और अपने पीछे इसने जो जख्म छोड़े हैं, उसके बारे में बात करना जरूरी है। हुसैन का किरदार बखूबी लिखा गया है और मैं तुरंत ही उसमें ढल गया। रसिका दुग्गल ने कहा कि इस फिल्म में बारीकियों पर जो ध्यान दिया गया है उसने मेरा ध्यान अपनी तरफ खींचा, वहीं मुझे अपने टीचर नसीरुद्धीन शाह के साथ काम करने का मौका मिला। ‘चटनी’ और ‘द स्कूल बैग’ जैसी शॉर्ट फिल्मों के बाद, रॉयल स्टैग बैरल सिलेक्ट लार्ज शॉर्ट फिल्म्स के साथ काम करने का यह मेरा तीसरा मौका है।
‘द मिनिएचरिस्ट ऑफ जूनागढ़’ के बारे में कौशल ओज़ा कहते हैं, यह फिल्म इस तरह से खोए हुए मूल्यों और बीते युग की खोई हुई कला के बारे में बात करती हैं कि आज के दौर में भी यह उतनी ही प्रासंगिक है। यह एक भावुक कलाकार की रोचक कहानी है जो अपने घर और वतन से बिछडऩे का जवाब उम्मीद और मिलन से देता है। यह बात आज के दौर के दर्शकों के दिलों को भी छू जाएगी। मैं लार्ज शॉर्ट फिल्म्स पर बतौर दर्शक फिल्मों का आनंद लेता था और मुझे इस बात की खुशी है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराही गई यह फिल्म रॉयल स्टैग बैरल सिलेक्ट लार्ज शॉट फिल्म्स के माध्यम से भारत और दुनिया भर में ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुँचेगी।