मातृभाषा में बेहतर मानसिक विकास – प्रो अंजू श्रीवास्तव

हिन्दू कालेज में मातृभाषा सप्ताह का शुभारम्भ

दिल्ली। ‘मातृभाषा में शिक्षा ग्रहण करने से हमारा बेहतर मानसिक विकास होता है और नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस वैज्ञानिक तथ्य को ध्यान में रखकर ही मातृभाषाओं को बढ़ावा दिया गया है।’ हिन्दू कालेज की प्राचार्या प्रो अंजू श्रीवास्तव ने अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित ‘मातृभाषा सप्ताह’ का शुभारम्भ करते हुए कहा कि हिन्दू कालेज ऐसा संस्थान है जहाँ देश में बोली जानी लगभग सभी भाषाओं के विद्यार्थी एक साथ अध्ययन करते हैं। इन विद्यार्थियों में मातृभाषाओं का प्रयोग बढ़ाने के लिए कालेज विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर रहा है। इस अवसर पर हिंदी विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रो रामेश्वर राय ने कहा कि भारत की देशज भाषाओं में बिखरे लोक साहित्य को मातृ भाषाओं के साथ सहेजने की चुनौती है। प्रो राय ने युवा पीढ़ी का आह्वान किया कि औपनिविशिकता की प्रतिक बन चुकी अंग्रेजी का मोह त्यागकर मातृभाषाओं का सम्मान करना सीखे।
मातृ भाषा सप्ताह के अंतरगत आयोजित संगोष्ठी में दर्शन शास्त्र की सहायक आचार्य डॉ.अनन्या बरुआ ने अपनी मातृभाषा असमी में देश की संस्कृति का संक्षिप्त परिचय दिया वहीं प्राणी विज्ञान की प्रो सोमा घोराई ने बंगाली भाषा में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध बांग्ला कवि काज़ी नजरूल इस्लाम और रवींद्रनाथ ठाकुर का जिक्र किया जिन्होंने आजादी के संघर्ष में राष्ट्र को प्रेरित करने का काम किया था। प्रो घोराई ने 1937 में हिन्दू कालेज के विद्यार्थियों के नाम लिखे रवींद्रनाथ ठाकुर के ऐतिहासिक पत्र का वाचन भी किया।
हिंदी विभाग के प्राध्यापक विमलेंदु तीर्थंकर ने अपनी मातृभाषा भोजपुरी में छात्रों को संबोधित करते हुए प्रेमचंद को याद किया जिन्होंने गति और संघर्ष से पूर्ण जीवन को सुंदर माना था। उन्होंने कवि गोरख पाण्डेय के गीत ‘मैना’ का सस्वर पाठ भी किया। हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ.पल्लव ने अपनी मातृभाषा मेवाड़ी की विशेषताओं को इंगित करते हुए अपने प्रिय कवि प्रभात की ‘बुद्धू का झाड़ू’ कविता व कवि अंबिकादत्त की कविता ‘नुगरे का पद’ का पाठ किया जो कि हाड़ौती की प्रसिद्ध कविता है। हिंदी विभाग के डा नौशाद अली ने उर्दू में एक ग़ज़ल सुनाई वहीँ रसायन विज्ञान की छात्रा अन्नपूर्णा ने मलयालम और हिंदी विभाग के अब्दुमूमिन ने अपनी मातृभाषा उजबेक में रचना पाठ किया।
कोरिया में अध्यापन कर रहे विभाग के पूर्व छात्र ज्ञान प्रकाश ने कोरिया के लोगों के मातृभाषा के प्रति अगाध प्रेम के बारे में अपना अनुभव साझा करते हुए छात्रों को निज भाषा उत्थान के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपनी मातृभाषा मगही में एक लोकगीत भी प्रस्तुत किया। साहित्य सभा के संयोजक जसविंदर सिंह ने पंजाबी लोकगीत सुनाया वहीं हिंदी विभाग के अन्य विद्यार्थियों ने अपनी-अपनी मातृभाषा में अपने भाव व्यक्त किए। मंच संचालन मोहित और कशिश ने किया। कार्यक्रम में अनेक भाषा क्षेत्र जैसे असम,बंगाल,केरल,पंजाब समेत उत्तर भारत के अलग अलग क्षेत्र से आने वाले अनेक छात्र व प्राध्यापक उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभाग प्रभारी डॉ. रचना सिंह ने किया वहीं मातृभाषा सप्ताह की संयोजक डॉ.नीलम सिंह ने धन्यवाद ज्ञापितकरते हुए सप्ताह में आयोजित होने वाली गतिविधियों की जानकारी दी। आयोजन में बड़ी संख्या में शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे

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