‘मन की बात : An Epic of Positive Communication ‘ पर वेबिनार आयोजित

बेंगलुरु। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम के 100 एपिसोड पूरे होने पर जयपुर से प्रकाशित मीडिया त्रैमासिक कम्युनिकेशन टुडे की ओर से 7 मई 2023 को ‘मन की बात : An Epic of Positive Communication ‘ विषय पर 80वीं वेबिनार का आयोजन किया गया।
सभी वक्ताओं ने मन की बात कार्यक्रम को प्रसारण के इतिहास में एक युगांतरकारी कदम के रूप में देखा। मन की बात कार्यक्रम से वर्ष 2014 से जुड़े आकाशवाणी दिल्ली के सेवानिवृत्त प्रसारक , कॉमेंटेटर तथा लेखक श्री जैनेंद्र सिंह ने कहा कि मन की बात कार्यक्रम ने अपनी 9 वर्ष की यात्रा में देश के करोड़ों लोगों के ‘मन की बात’ के रूप में एक विश्वास अर्जित किया है। उनका मानना था इस कार्यक्रम के माध्यम से आम आदमी का प्रधानमंत्री के नेतृत्व के प्रति विश्वास स्थापित हुआ है। वस्तुतः यह कार्यक्रम ‘पॉजिटिविटी का सेलिब्रेशन’ है।
जामिया मिलिया इस्लामिया के डॉ सुरेश वर्मा ने गांधी, विलियम जेम्स आदि अनेक महापुरुषों, मनोवैज्ञानिकों और साहित्यकारों को उद्धृत करते हुए मन के मनोवैज्ञानिक पक्ष को स्पष्ट किया । उन्होंने कहा कि मन की बात कार्यक्रम में पुरानी एवं नई तकनीक का प्रभावी उपयोग किया गया है। डॉ वर्मा ने विकासात्मक संचार और विकास के संचार के अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने इन एपिसोड्स में स्वच्छता, शिक्षा ,संस्कृति आदि का व्यापक उल्लेख करते हुए समाज के हर वर्ग के लोगों को चाहे वे गरीब हैं, ग्रामीण हैं, महिलाएं हैं, पुरुष हैं युवा हैं – इनके सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका मानना था कि प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं से सीधा संवाद स्थापित किया है। उन्होंने अपने शोध के अनेक रोचक निष्कर्षों को भी साझा किया।
गोवा के कावी आर्टिस्ट सागर नाईक मुले की कला का प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में उल्लेख किया था। अपने अनुभव सुनाते हुए 33 वर्षीय युवा कलाकार ने कहा की मन की बात कार्यक्रम के बारे में मैं पहले नहीं जानता था लेकिन जब प्रधानमंत्री ने मेरी कला का उल्लेख किया तो मुझे लगा मानो मुझे पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सागर का मानना था कि भारतीय संस्कृति में कला के क्षेत्र में अद्भुत विविधता है।
उल्लेखनीय है कि गोवा की लुप्त होती कावी कला को सागर ने आधुनिक स्वरूप देते हुए पुनर्जीवित किया है। अब यह कला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने लगी है। कावी कला मूलतः काव शब्द से निकली है। काव का अर्थ है लाल मिट्टी । गोवा की लाल मिट्टी पर की गई कारीगरी कावी कला के रूप में विख्यात है।
प्रारंभ में मेरठ के शहीद मंगल पांडे पीजी गर्ल्स कॉलेज में अंग्रेजी विभाग की सहायक प्रोफेसर तथा वेबिनार श्रृंखला की आयोजन सचिव डॉ उषा साहनी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। उन्होंने सभी का स्वागत करते हुए कम्युनिकेशन टुडे की अकादमिक यात्रा को भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम ने जीवन में सकारात्मकता का संचार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया है।
वेबीनार का संचालन करते हुए कम्युनिकेशन टुडे के संपादक एवं राजस्थान विश्वविद्यालय के जनसंचार केंद्र के पूर्व अध्यक्ष प्रो संजीव भानावत ने मन की बात कार्यक्रम को भारतीय प्रसारण इतिहास की ऐतिहासिक घटना बताया।‌ उन्होंने कहा 1933 से 1944 के बीच अमेरिका के 32वें राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट ने फायरसाइट्स चैट्स नामक कार्यक्रम के माध्यम से अमेरिका की जनता को संबोधित किया था। उनके 30 एपिसोड ने अमेरिकन जनता में अप्रतिम विश्वास की पुनर्स्थापना की।
डॉ भानावत ने बताया कि मन की बात कार्यक्रम 22 भारतीय भाषाओं, 29 बोलियों तथा 11 विदेशी भाषाओं में आकाशवाणी , दूरदर्शन के सभी केंद्रों सहित निजी टीवी चैनलों पर भी प्रसारित हो रहा है।
इस चर्चा में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पत्रकारिता के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ बाला लखेंद्र ने बताया कि उन्होंने मन की बात के प्रत्येक एपिसोड को विद्यार्थियों के साथ सुना है। उनका मानना था प्रधानमंत्री का यह कार्यक्रम भारतवर्ष को जानने व समझने में काफी मददगार हुआ है।
गुवाहाटी यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ चंदन कुमार गोस्वामी ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से रेडियो को नया जीवन मिला है।
बेंगलुरु से तूलिका विविध रंगा ने कहा कि मन की बात कार्यक्रम अब पाठ्यक्रमों का हिस्सा भी बनने लगा है ।
भारतीय जनसंचार संस्थान, जम्मू के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ दिलीप कुमार ने बताया कि जम्मू कश्मीर में भी यह कार्यक्रम काफी लोकप्रिय हुआ है।
पूना के शोधार्थी जयवीर सिंह, नारनौल से दयानंद कात्यायन तथा वर्धा से नेहा नामा आदि ने भी इस कार्यक्रम की उपयोगिता और महत्व पर अपनी टिप्पणियां की।
हरियाणा सूचना आयोग के सदस्य डॉ कुलबीर छिक्कारा भी इस वेबिनार में उपस्थित थे।
वेबिनार का तकनीकी पक्ष आईआईएमटी यूनिवर्सिटी मेरठ की मीडिया शिक्षक डॉ पृथ्वी सेंगर ने संभाल
डॉ उषा साहनी ने अपनी एक कविता के माध्यम से सभी का आभार प्रदर्शन किया।
देश के विभिन्न अंचलों से 230 प्रतिभागियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया।

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