पिम्स उमरड़ा में सीआरटी-डी मशीन लगाई

हार्ट फेल वाले मरीजों के इलाज की सुविधा बहाल, प्राइवेट अस्पताल से आधा होंगे खर्च
उदयपुर।
पेसिफिक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, पिम्स हॉस्पिटल, उमरड़ा के कार्डियोलॉजी विभाग में अब हार्ट फेल्योर वाले मरीजों के इलाज की सुविधा बहाल हो गई है। शनिवार को कैथ लैब में एक 60 वर्षीय महिला का उपचार किया गया। उसे सीआरटी-डी मशीन लगाई गई जिसकी सभी खर्चों सहित अनुमानित कीमत करीब 6.5 लाख है। इंटरवेशनल कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. महेश जैन, कॉर्डिक एनेथेस्टिक डॉ. विपिन सिसोदिया, सीटीवीएस सर्जन डॉ. विवेक रावत, नोनिवेसिव कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. उमेश स्वर्णकार द्वारा यह मशीन लगाई गई।
डॉ. महेश जैन ने बताया कि पिम्स उमरड़ा में प्राइवेट अस्पतालों की तुलना में 50 फीसदी कम खर्च पर इलाज हो जाएगा। यह प्रक्रिया अब यहां नियमित की जाएगी। यह मशीन लगाने में करीब दो घंटे का समय लगता है। डॉ. महेश जैन ने बताया कि शनिवार को जिस महिला का उपचार किया गया उसे सांस फूलने और पैर में सूजन की शिकायत थी। एंजियोग्राफी करने पर पता चला कि ब्लाकेज नहीं है। हार्ट फेल्योर की शिकायत है। हार्ट फेल्योर (एलबीबीबी) की शिकायत होने पर सांस फूलने लगती है। हार्ट की पंपिंग काफी कमजोर हो जाती है। इसमें सीआरटी-डी ही एकमात्र बेहतर इलाज था। इस मरीज को सीआरटी-डी (कार्डियक रिसाइक्रोनाइजेशन थेरेपी वीथ डिफ्रिबिलेटर) मशीन लगाई गई। यह एक तरह पेसमेकर का ही आधुनिक वर्जन है। इस विधि से हार्ट के फंक्शन को रिसेंक्रोनाइज किया जाता है।
हार्ट की पंपिंग कमजोर होने के कई कारण हो सकते हैं। यह जन्मजात भी हो सकता है। संक्रमण लगने पर भी हार्ट की पंपिंग कमजोर हो जाती है। पंपिंग कमजोर होने से मरीज को सांस फूलने की शिकायत होने लगती है। इस मरीज को भी सांस फूलने और पैर में सूजन की शिकायत थी। कुछ मरीजों को हार्ट की धडक़न गड़बड़ा कर बंद होने की आशंका रहती है। हार्ट चलाने के लिए बिजली का झटका देने वाली मशीन डिफ्रिबिलेटर भी सीआरटी के साथ ही हार्ट में लगा दिया जाता है ताकि हार्ट बंद नहीं हो।

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