राजस्थान से नई पक्षी प्रजाति व्हाइट-ब्रोड बुलबुल की हुई खोज

उदयपुर की उदयसागर झील किनारे देखी गई बुलबुल की नई प्रजाति
उदयपुर।
मेवाड़—वागड़ की समृद्ध जैव विविधता में दुर्लभ जीव—जन्तुओं को देखे जाने का क्रम लगातार जारी है। इसी श्रृंखला में उदयपुर शहर की उदयसागर झील किनारे बुलबुल की नई पक्षी प्रजाति की खोज की गई है जो राजस्थान में पहली बार देखी गई है।
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय और वन्यप्राणि शोध प्रयोगशाला के प्रभारी व सहायक आचार्य डॉ.विजय कुमार कोली ने बताया कि विश्वविद्यालय के प्राणिशास्त्र विभाग की वन्यप्राणि शोध प्रयोगशाला ने राजस्थान से इस एक नई पक्षी प्रजाति, व्हाइट-ब्रोड बुलबुल की पहचान की है। उन्होंने बताया कि इस पक्षी को विश्वविद्यालय के शोधार्थी राकेश यादव, उत्कर्ष प्रजापति, अल्का कुमारी और कनिष्का मेहता ने सर्वप्रथम इस पक्षी को 9 जनवरी 2023 मे उदयसागर झील के किनारे देखा गया था, परंतु उस समय इस प्रजाति की पहचान नहीं हो सकी । इसी प्रजाति के पक्षियों के समूह तो पुनः उसी स्थान पर 17 मार्च 2023 को उसी स्थान पर देखा गया। इस समय इन पक्षियों के चित्र और उनकी आवाज वन्यप्राणि शोध प्रयोगशाला, प्राणिशास्त्र विभाग के सभी सदस्यों द्वारा रिकार्ड की गई। पक्षी पहचान पुस्तकों की सहायता और पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केएस गोपी सुंदर व अन्य पक्षी विशेषज्ञों से परामर्श और पक्षियों की रिकॉर्ड की गई आवाज का परीक्षण करने के पश्चात, इस प्रजाति की पहचान व्हाइट-ब्रोड बुलबुल सुनिश्चित की गई । यह रिकार्ड हैदराबाद से प्रकाशित रिसर्च पत्रिका इंडियन बर्ड्स (Indian birds), के वॉल्यूम 19 के इश्यू 3 में 28 अक्टूबर 2023 को प्रकाशित हुआ । विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान में राजस्थान में बुलबुल की तीन ज्ञात प्रजातियां हैं: रेड-वेन्टेड बुलबुल, व्हाइट-ईयर्ड बुलबुल और रेड-विस्कर्ड बुलबुल । इस प्रजाति का यह राजस्थान में पहला रिकॉर्ड है । अब राजस्थान मे बुलबुल की कुल 4 प्रजातियां हो गई हैं ।


मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय और वन्यप्राणि शोध प्रयोगशाला के प्रभारी व सहायक आचार्य डॉ.विजय कुमार कोली ने बताया कि यह प्रजाति मुख्यतः प्रायद्वीपीय भारत और श्रीलंका के निचले आधे हिस्से में स्थानिक है और भारत में इसका वितरण अभी तक केवल दक्षिणी भारत तक ही सीमित था। इसकी उत्तरी सीमा गुजरात (अहमदाबाद), मध्यप्रदेश (सतपुड़ा रेंज)और पश्चिम बंगाल (मिदनापुर के पास) से लगती है। इसका वितरण सूखे खुले झाड़ियों वाले मुख्य रूप से मैदानी इलाकों में और घने झाड़ियों वाले बगीचों और जंगलों में भी होता है, लेकिन पश्चिमी घाट की पहाड़ियों जैसे भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में नहीं। यह प्रजाति कभी-कभी चट्टानी झाड़ियों में अन्य बुलबुल प्रजातियों के साथ देखी जाती हैं।
डॉ. कोली ने बताया कि इसमे आँख के उपर सफेद सुपरसिलियम और नासिका से एक सफेद सुपरसीलरी रेखा काले छिद्रों द्वारा आंख के नीचे एक से अलग हो जाती है। इसके ऊपरी हिस्से जैतून-भूरे रंग के होते है। पंख किनारों पर बहुत हल्के पीले रंग के होते हैं, जो एक धारीदार रूप देते हैं। इसमें नर और मादा एक समान ही होते हैं। इसके प्रजाति के कुछ पक्षी गुजरात मे कुछ सालों पहले देखे गए थे । वर्तमान अवलोकन इस प्रजाति का देश मे उत्तर दिशा की तरफ सीमा विस्तार दर्शाता है। इस प्रजाति की उदयपुर मे उपस्थिति से सभी वन्यप्राणि प्रेमी और पक्षी प्रेमियों मे खुशी की लहर है ।

Related posts:

Slice onboards Kiara Advani as its brand ambassador
Amid rising gold prices, Melorra provides respite; launches its Akshaya Tritiya range comprising of ...
पिम्स हॉस्पिटल में दस माह के बच्चे का सफेद मोतियाबिन्द का सफल उपचार
हिन्दुस्तान ज़िंक ने सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्रों की क्षमता बढ़ाकर 55 एमएलडी की
सीआईआई ने क्लाइमेट एक्शन प्रोग्राम 2.0° में हिंदुस्तान जिंक को ओरिएंटेड अवार्ड से किया सम्मानित
एचडीएफसी बैंक स्मार्ट साथी लॉन्च
मेवाड़ क्षत्रिय महासभा की क्षत्रिय समाज को टिकट वितरण में उचित प्रतिनिधित्व की मांग
साहित्यकार पुरुषोत्तम पल्लव की 21वीं पुस्तक ‘मां शबरी’ का विमोचन
40 बच्चों को स्कूल जाने के लिए मदद देगा नारायण सेवा
मुनिद्वय द्वारा डॉ. भानावत की कुशलक्षेम
हिन्दुस्तान जिंक विश्व की सर्वश्रेष्ठ कंपनियों में होगी - चेयरपर्सन, प्रिया अग्रवाल हेब्बर
Mustard Model Farm Projectin the key role in making India Self-reliant on Oilseed production

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *