पिछले 10 वर्षो में 71 अरब लीटर पानी रीसाइकल कर हिंदुस्तान जिंक ने शुद्ध जल पर निर्भरता 28 प्रतिशत कम की

उदयपुर में पीपीपी माॅड पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से उपचारित पानी के अपने संचालन में उपयोग और स्थानीय जल संसाधन में महत्वपूर्ण भूमिका
उदयपुर। भारत की एकमात्र और दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2016-2025 के बीच 71 अरब लीटर (71 मिलियन क्यूबिक मीटर) उपचारित सीवेज जल को उपचारित कर महत्वपूर्ण सस्टेनेबल, मील का पत्थर हासिल किया है, जिससे शुद्ध जल के उपयोग में 28 प्रतिशत की कमी आई है। यह मात्रा उदयपुर शहर की 500 दिनों की जल उपयोग आवश्यकता के बराबर है। प्रायः जल संकट से जूझ रहे राजस्थान में कार्यरत, कंपनी के इस प्रयास से संसाधनों का संरक्षण करते हुए उद्योग के विकास के लक्ष्य को बल मिला है। 3.32 गुना वाटर -पॉजिटिव कंपनी के रूप में, हिन्दुस्तान जिंक सभी प्रक्रिया वाले जल का उपचार, पुनर्चक्रण और पुनरूउपयोग करता है, शुद्ध जल पर निर्भरता को कम करता है और स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा करता है साथ ही कंपनी स्वच्छ जल और स्वच्छता पर संयुक्त राष्ट्र एसडीजी 6 के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ा रही है।
राजस्थान सरकार के सहयोग से, हिन्दुस्तान जिंक ने 2014 में पीपीपी मॉडल के तहत उदयपुर के पहले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) प्लांट स्थापित किया। पिछले एक दशक में, एसटीपी की क्षमता 60 मिलियन लीटर प्रति दिन (60 एमएलडी) तक बढ़ गई। यह अत्याधुनिक सुविधा, राजस्थान में अपनी तरह की पहली पहल, अनुपचारित सीवेज के प्रवाह और प्रदूषण को रोककर उदयपुर के प्रसिद्ध झीलों के शहर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बड़े पैमाने पर पानी का यह पुनरू उपयोग न केवल स्थानीय समुदायों के लिए अधिक शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना सुनिश्चित करता है, बल्कि शहरी स्वच्छता और औद्योगिक जल सुरक्षा को एक साथ संबोधित करने वाली एक सफल सार्वजनिक-निजी भागीदारी का भी उदाहरण है।
इस उपलब्धि पर हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के सीईओ, अरुण मिश्रा ने कहा कि, “जल एक साझा विरासत है और, हमने जल प्रबंधन को अपनाया है जो चुनौतियों को अवसरों में बदल देता है। 3.32 गुना वाटर पाॅजिटिव कंपनी के रूप में, जीरो एफ्ल्यूएंट डिस्चार्ज होता है, हम समुदायों के लिए शुद्ध जल की सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर रहे हैं और साथ ही सस्टेनेबल मेन्यूफैक्चरिंग में नए बैंचमार्क स्थापित कर रहे हैं। हम 2030 तक शुद्ध जल के उपयोग को 50 प्रतिशत तक कम करने और स्मेल्टिंग में निम्न-गुणवत्ता वाले पानी के 100 प्रतिशत पुनरू उपयोग को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
हिन्दुस्तान जिंक ने अपने सभी परिचालनों में वाटर सस्टेनेबिलिटी पहलों को लागू किया है। कंपनी ने अपने सभी प्रमुख संयंत्रों पर अत्याधुनि एफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट सुविधाएँ बनाए रखी हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी एफ्ल्यूएंट पर्यावरण में न छोड़ा जाए। इस वर्ष की शुरुआत में, हिन्दुस्तान जिं़क ने दुनिया के सबसे बड़े भूमिगत जिंक खनन, रामपुरा आगुचा खदान में एक नए 4 हजार किलोलीटर प्रतिदिन की क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन किया, जिससे इसकी ऑन-साइट वाटर रीसाइकल क्षमता में और वृद्धि हुई है।
हिन्दुस्तान जिंक हाल ही में इंटरनेशनल काउंसिल ऑन माइनिंग एंड मेटल्स में शामिल होने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई है। इसके अतिरिक्त, लगातार दूसरे वर्ष, हिंदुस्तान जिंक को एसएंडपी ग्लोबल कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट 2024 द्वारा दुनिया की सबसे सस्टेनेबल माइन और मेटल कंपनी का दर्जा दिया गया है। ये सम्मान उद्योग में एक मानक स्थापित करने वाली कंपनी के रूप में कंपनी की भूमिका को दर्शाते हैं। कंपनी का यह प्रयास स्पष्ट करता है कि संसाधन-गहन उद्योग विकास से समझौता किए बिना पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए नवाचार कर सकते हैं। अत्याधुनिक वाटर रिसाइकल तकनीकों में निवेश कर, सामुदायिक साझेदारियों को बढ़ावा देकर और अपनी रणनीतियों को इंटरनेशनल सस्टेनेबिलिटी फ्रेमवर्क के साथ जोड़कर, हिन्दुस्तान जिं़क भारत और उसके बाहर जल-सघन औद्योगिक संचालन की दिशा में आदर्श बदलाव को प्रेरित कर रहा है।

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