उदयपुर। कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा संचालित “सांस्कृतिक सृजन” श्रृंखला के अंतर्गत राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर एवं मौलिक संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में एक विशेष कहानी मंचन कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में प्रसिद्ध लेखिका सुधा अरोड़ा की दो चर्चित कहानियों – “रहोगी तुम वही” और “जाओगे कहाँ” का सजीव मंचन प्रस्तुत किया गया। इन कहानियों ने नारी चेतना, सामाजिक यथार्थ और मानवीय संबंधों की जटिलताओं को गहरी संवेदनशीलता के साथ दर्शकों के समक्ष जीवंत किया।

“रहोगी तुम वही” का निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी शिवराज सोनवाल ने किया, जिसमे जतिन भरवानी ने अभिनय किया तथा “जाओगे कहाँ ” का निर्देशन रंगकर्मी अमित व्यास ने किया जिसमे पायल मेनारिया ने जीवंत अभिनय किया। जतिन ने परिवार में महिलाओं को लेकर पुरुष नजरिए को दर्शाया वहीं “जाओगे कहां” में पायल मेनारिया ने शानदार अभिनय करते हुए कामकाजी महिला की मनः स्थिति, निराशा, प्रेम, समर्पण, कुंठा आदि का अद्भुत प्रदर्शन किया।
राजस्थान साहित्य अकादमी के मुख्य सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में शहर के साहित्यप्रेमियों, रंगकर्मियों, छात्रों और कला-जगत से जुड़े लोगों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही। नाट्य प्रस्तुति में कलाकारों की भावपूर्ण अभिनय शैली और कथ्य की गहराई ने दर्शकों को गहराई से प्रभावित किया। दोनों कहानियों की प्रस्तुति के दौरान सभागार में कई बार भावनात्मक सन्नाटा छा गया, जो दर्शकों की आत्मीयता को दर्शाता था।
कार्यक्रम के उपरांत दर्शकों ने आयोजकों एवं कलाकारों की भूरी-भूरी प्रशंसा की। अनेक दर्शकों ने यह भी कहा कि इस प्रकार की प्रस्तुतियाँ साहित्य को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम बन सकती हैं।
कार्यक्रम का संचालन सहज एवं प्रभावशाली था और पूरी आयोजन व्यवस्था सराहनीय रही। साहित्य एवं रंगमंच के इस मिलन ने न केवल सुधा अरोड़ा की लेखनी को नई रोशनी में प्रस्तुत किया, बल्कि उदयपुर की सांस्कृतिक चेतना को भी एक नई ऊर्जा प्रदान की।