मोहनलाल सुखाडिय़ा ही ऐसे सीएम जो सर्वाधिक इस कुर्सी पर रहे
-डॉ. तुक्तक भानावत-
राजस्थान की राजनीति में सदैव मेवाड़ (Mewar) का वर्चस्व रहा। अब तक मेवाड़ ने चार मुख्यमंत्री दिये जिन्होंने लगभग 35 वर्षों तक अपने पद पर काबिज रह विकास की धुरी को थामते हुए राज्य के नव निर्माण एवं विकास में अपना महत्वपूर्ण ऐतिहासिक योगदान दिया। यहीं नहीं यह कहावत भी पिछले 2018 के चुनाव को छोडक़र आज तक सही निकली की जो पार्टी मेवाड़ जीते उसकी ही राजस्थान में सरकार बनती है। मेवाड़ के सभी जिलों को मिलाकर कुल 28 सीटें हंै।
राजस्थान का प्रथमत: मेवाड़ क्षेत्र और द्वितीयत: वागड क्षेत्र ही ऐसा क्षेत्र रहा जहां के मुख्यमंत्रियों ने राज्य की सत्ता संभालते हुए उसकी नींव की मजबूती को बांधा और विकास के गहरे सौपान दिये। मेवाड़ के मोहनलाल सुखाडिय़ा (Mohanlal Sukhadia) ने जहां पूरे देश में राजस्थान पर लम्बी अवधि तक शासन करने की पहचान बनाई वहां वागड़ के हरिदेव जोशी (Haridev Joshi) ने अपने क्षेत्र की जनता की सर्वाधिक लोकप्रियता ग्रहण करते हुए माही नदी को गंगा की तरह अवतरित कर वहां के भगीरथ बने।
शिवचरण माथुर (Shiv Charan Mathur) ने भीलवाड़ा क्षेत्र में निरन्तर अपना दबदबा बनाये रखा। यद्यपि वे माणिक्य लाल वर्मा के जामाता हैं किन्तु उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए अपनी स्वयं की छवि कायम की और कांग्रेस के प्रति अपनी निष्ठïा में जरा भी कमी नहीं आने दी। हीरालाल देवपुरा (Hiralal Devpura) का कार्यकाल इतना अल्प रहा कि शपथ लेने की गडग़ड़ाहट और फूल मालाओं की सुगंध भी ओझल नहीं हुई कि वे स्वयं ही ओझल हो गए। इस प्रकार शौर्य और भक्ति की जगविख्यात मेवाड़ धरा में राजस्थान को तीन पूरे और एक पाव कुल जमा सवा तीन मुख्यमंत्रियों का दस्तावेज प्रदान किया। तब भीलवाड़ा मेवाड़ में ही था और अभी नए संभाग बनाने के बाद इसे फिर उदयपुर संभाग में शामिल कर दिया गया है। वैसे ये चुनाव पुराने जिलों के अनुसार ही हो रहे है।
जानिए मेवाड़ के मुख्यमंत्री के बारे में –
मोहनलाल सुखाडिय़ा :
सुखाडिय़ा ने 13 नवम्बर 1954 को मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालते हुए 26 अप्रैल 1967 से 8 जुलाई 1971 तक शेरे राजस्थान की कीर्तिपताका थामे रखी। इनका कुल कार्यकाल 13 नवम्बर 1954 से 11 अप्रैल 1957, 11 अप्रैल 1957 से 11 मार्च 1962, 12 मार्च 1962 से 13 मार्च 1967 एवं 26 अप्रैल 1967 से 8 जुलाई 1971 तक रहा। तेरह मार्च 1967 से 26 अप्रैल तक का समय यहां राष्टï्रपति शासन लिये रहा। इस प्रकार सुखाडिय़ा मेवाड़ के ऐसे पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने चार बार विधानसभा का चुनाव लड़ा। चारों बार विजयी रहे और चारों ही बार मुख्यमंत्री बन 17 वर्ष तक एक छत्र राज किया। इस समय अशोक गहलोत तीसरी बार मुख्यमंत्री के पद पर है।
हरिदेव जोशी :
हरिदेव जोशी 11 अक्टूबर 1973 को राज्य के मुख्यमंत्री बने। वे इस पद पर तीन बार 11 अक्टूबर 1973, 10 मार्च 1985 एवं 4 दिसम्बर 1989 को आसीन हुए किन्तु बमुश्किल 7 वर्ष ही सत्ता पर काबिज रह पाए। इनका कार्यकाल 11 अक्टूबर 1973 से 29 अप्रैल 1977, 10 मार्च 1985 से 20 जनवरी 1988 एवं 4 दिसम्बर 1989 से 4 मार्च 1990 तक रहा। श्री जोशी एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने 10 चुनाव लड़ा। इसमें वे सात बार बांसवाड़ा से, दो बार घाटोल से तथा एक बार डूंगरपुर से खड़े हुए। हर बार ये विजीत रहे और सर्वाधिक बार विधायक बनने का गौरव अर्जित किया।
शिवचरण माथुर :
मेवाड़ से बनने वाले तीसरे मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर थे। माथुर दो बार मुख्यमंत्री बने। पहली बार 14 जुलाई 1981 एवं दूसरी बार 20 जनवरी 1988 को इस पद की शपथ ली और कुल जमा 5 वर्ष तक मुख्यमंत्री पद का निर्वहन किया। इनका कार्यकाल 14 जुलाई 1981 से 23 फरवरी 1985 एवं 20 जनवरी 1988 से 4 दिसम्बर 1989 तक का रहा।
हीरालाल देवपुरा :
हीरालाल देवपुरा मेवाड़ क्षेत्र से ऐसे मुख्यमंत्री थे जिन्हें खानापूर्ति वाले मुख्यमंत्री कहा गया। कारण कि इनका कार्यकाल 23 फरवरी 1985 से 10 मार्च 1985 तक केवल 16 दिन का ही रहा।