उदयपुर। नयनाभिराम नैसर्गिक सौंदर्य और झीलों के कारण समूचे विश्व में अलहदा पहचान रखने वाला उदयपुर कृषि शिक्षा के क्षेत्र में भी नये सोपान चढ़ रहा है। वीर शिरोमणि और प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप के नाम पर यहा स्थापित महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयो की श्रेणी में प्रदेश में शीर्ष पर आ पहुंचा है। राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) ने इस विश्वविद्यालय को सर्वोच्च स्थान पर रखा है। अनुसंधान के क्षेत्र में भी एमपीयूएटी ने देश में 83 वां स्थान हासिल किया है। शिक्षाविद् एवं कुलगुरु डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक के अथक प्रयासो, टीमवर्क भावना व कुशल मार्गदर्शन के चलते विगत तीन वर्षों में एमपीयूएटी ने शोध, प्रसार, शिक्षण एवं उद्यमिता के क्षेत्र में अनेकों कीर्तिमान स्थापित किए हैं। यही कारण है कि देश में एमपीयूएटी का कद बढ़ा है। अनुसंधान व पेटेंट के क्षेत्र में भी विश्वविधालय ने कई नए रिकार्ड बनाए हैं।
तीन वर्ष की अपनी उपलब्धियांे का जिक्र करते हुए डॉ. कर्नाटक ने बताया कि एमपीयूएटी द्वारा विकसित प्रताप संकर मक्का-6 का राष्ट्र स्तर पर अनुमोदन किया गया। प्रताप मूंगफली -3 और प्रताप ज्वार 2510 विकसित कर किस्मों को अधिसूचित कराई गयी। विश्वविद्यालय ने अनेक अंतरराष्ट्रीय शिक्षा संस्थानों एवं उद्योगो के साथ 33 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। नतीजतन विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं शिक्षकों को प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रशिक्षण, शोध कार्य का अवसर, संयुक्त अनुसंधान, शैक्षणिक आदान-प्रदान एवं तकनीकी हस्तांतरण को बढ़ावा मिला। विश्वविद्यालय ने अनुसंधान दृश्यता में रिकॉर्ड स्तर प्राप्त किया। स्कोपस व गूगल स्कोलर एच-इंडेक्स 83 और 97 हैं जो शैक्षणिक गुणवत्ता को दर्शाता है। आईसीएआर की राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना के अंतर्गत 71 विद्यार्थियों एवं 11 प्राध्यापकों को प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रशिक्षण एवं वैश्विक भ्रमण कराया गया ।
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में ₹1.46 करोड़ मूल्य की सौर ऊर्जा का उत्पादन कर विद्युत व्यय में उल्लेखनीय कमी की तथा परिसर में हरित ऊर्जा को प्रोत्साहित किया। जल प्रबंधन क्षेत्र में विश्वविद्यालय ने राज्यपाल पहल अन्तर्गत गोदित गाँव हिंता में देश का पहला वॉटर को-ऑपरेटिव स्थापित किया, जो समुदाय-आधारित जल संसाधन प्रबंधन एवं ग्रामीण स्थिरता की दिशा में अग्रणी कदम है। श्रीअन्न मिशन के तहत “मिलेट कॉफी टेबल बुक” और “द मिलेट स्टोरी” जैसे महत्त्वपूर्ण प्रकाशनों के माध्यम से भारत के मिलेट आंदोलन को बल मिला और संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 में वैश्विक पहचान प्राप्त हुई। स्मार्ट विलेज इनिशिएटिव के अंतर्गत एमपीयूएटी को अनेक प्रशंसाएं मिलीं, जिससे सतत कृषि, नवाचार और आजीविका संवर्द्धन के माध्यम से ग्रामीण समुदाय सशक्त हुए।
प्रसार क्षेत्र में सबसे बडी उपलब्घि रही कि विश्वविद्यालय के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों को आई. एस. ओ. प्रमाणन प्राप्त हुआ, जिससे विस्तार सेवाओं में वैश्विक गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित किया गया। 9 किसान उत्पादक संगठनों की स्थापना कर किसानों को सामूहिक विपणन, मूल्य संवर्द्धन और बेहतर मूल्य प्राप्ति में सहयोग दिया। महाविद्यालयों की कई प्रयोगशालाओं को उन्नत एवं प्रमाणित किया गया। हालही में पौध संरक्षण में उल्लेखनीय कार्यों के लिए एंटोमोलोजिकल रिसर्च एसोसिएशन द्वारा कुलगुरु को ‘कृषि रत्न‘ पुरस्कार प्रदान किया ।
डा. अजीत कुमार कर्नाटक को उनकी उत्कृष्ट उपलब्घियों तथा कुशल मार्गदर्शन को देखते हुए मई 2025 में इंडियन एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटीज एसोसिएशन का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया जो उदयपुर व प्रदेश के लिए गौरवान्वित करने वाला क्षण है।
एनआईआरएफ रैंकिंग में एमपीयूएटी प्रदेश में प्रथम स्थान हासिल करने वाला विश्वविद्यालय बना
