उदयपुर। जिला कौशल प्रशासन और जिला कौशल समितियों (डीएससी) को मजबूत करने के लिए, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय फैलोशिप कार्यक्रम के राष्ट्रीय लॉन्च की घोषणा की। यह विश्व बैंक ऋण सहायता कार्यक्रम (आजीविका संवर्धन के लिए कौशल अधिग्रहण और ज्ञान जागरूकता) संकल्प के तहत एक कार्यक्रम है जो जिला कौशल प्रशासन और जिला कौशल समितियों (डीएससी) को और मजबूत करेगा।
दो वर्षीय शैक्षणिक कार्यक्रम, जिला प्रशासन के साथ ऑन-ग्राउंड व्यावहारिक अनुभव के एक इनबिल्ट कॉम्पोनेन्ट के साथ है। MGNF के तहत फेलोज़ को DSCs के साथ संलग्न होने के साथ-साथ पूरे स्किल ईकोसिस्टम को समझने में अकादमिक विशेषज्ञता और तकनीकी दक्षता प्राप्त होगी और जिला कौशल विकास योजनाओं (DSDP) के निर्माण के तंत्र के माध्यम से जिला स्तर पर कौशल विकास योजना का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी।
पहले पायलट में MGNF के सफल लॉन्च के साथ, जिसमें 69 जिलों में 69 फेलोज़ काम कर रहे थे, मंत्रालय अब MGNF का विस्तार देश के सभी शेष जिलों में कर रहा है। MGNF में अकादमिक उत्कृष्टता और प्रतिष्ठा के स्तर को बनाए रखने के लिए, मंत्रालय केवल IIM के साथ अकादमिक साझेदारी की मांग कर रहा है और MGNF के राष्ट्रीय स्तर के लॉन्च के लिए नौ IIM में क्रमशः नामांकित है जोकि निम्न हैं- IIM बैंगलोर, IIM अहमदाबाद, IIM लखनऊ, IIM कोझीकोड, IIM विशाखापत्तनम, IIM-उदयपुर, IIM- नागपुर, IIM- रांची और IIM-जम्मू ।
इसके अतिरिक्त, MSDE ने केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और लक्षद्वीप से जिले के अधिकारियों की क्षमता निर्माण कार्यक्रम संचालित करने के लिए केरल इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल एडमिनिस्ट्रेशन के साथ साझेदारी की है। KILA को कौशल विकास कार्यक्रमों की प्रभावी योजना के लिए विभिन्न विषयगत क्षेत्रों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करने और वितरित करने का लक्ष्य दिया गया है, जिसका उद्देश्य जिले के अधिकारियों की क्षमताओं को बढ़ाना और उनका निर्माण करना है। KILA प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए प्रशिक्षण और संबद्ध लॉजिस्टिक्स का आयोजन करेगा और संबंधित राज्य में स्थानीय आवश्यकताओं और प्रशिक्षण की आवश्यकता के मूल्यांकन के आधार पर सामग्री को विकसित या कस्टमाइज़ भी करेगा।
ट्रेनर इकोसिस्टम को आगे बढ़ाने के लिए, संकल्प प्रोग्राम, पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में ट्रेनर ऑफ़ ट्रेनर सिस्टम को सहयोग करेगा, जोकि उद्योग और टेक्निकल एंड वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग इकोसिस्टम के बीच सहयोगात्मक दृष्टिकोण रखता है। उद्देश्यों और GIZ- डेवलप को पूरा करने के लिए एक ‘क्लस्टर दृष्टिकोण’ अपनाया जाता है।
औरंगाबाद में ऑटोमोटिव क्लस्टर को पायलट के लिए चुना गया है। पायलट प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए MSDE, ऑटोमोटिव स्किल डेवलपमेंट काउंसिल (ASDC), इंडो-जर्मन प्रोग्राम फॉर वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (GIZ-IGVET) और महाराष्ट्र राज्य कौशल विकास मिशन के प्रमुख हितधारकों के बीच एक रणनीतिक साझेदारी का गठन किया गया है। डोमेन ज्ञान, शैक्षणिक कौशल और औद्योगिक अनुभव पर ध्यान देने के साथ टीवीईटी प्रशिक्षकों की तैयारी पर जोर दिया गया है।
इन पहलों पर अपने विचार साझा करते हुए, केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री डॉ. महेन्द्रनाथ पाण्डेय ने कहा, “पिछले 6 वर्षों से कौशल भारत ने बड़े पैमाने पर क्षमता निर्माण और पूरे देश में व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए बुनियादी ढाँचा बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है। आगे बढ़ रही हमारी साझेदारी कौशल प्रशिक्षण की पूरी गुणवत्ता को मजबूत करने पर अधिक केंद्रित होगी। प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना के नए लॉन्च और IIM, IIT, GIZ-IGVET, KILA के साथ हमारी SANKALP योजना के तहत आज की शैक्षणिक भागीदारी के साथ, हम जिलों में सशक्तिकरण सुनिश्चित करेंगे ताकि मांग-संचालित कौशल सुनिश्चित हो सके। मुझे विश्वास है कि ये कार्यक्रम हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मानिर्भर भारत के निर्माण के दृष्टिकोण में एक परिवर्तनकारी बदलाव और प्रभाव लाने के हमारे प्रयासों को बढ़ावा देंगे।
संकल्प के तहत विभिन्न कार्यक्रमों के शुभारंभ पर, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव प्रवीण कुमार ने कहा, “शुरू किए गए सभी कार्यक्रम अपने कौशल विकास और प्रशिक्षण आउटरीच में जिला कौशल समितियों का समर्थन करने के लिए जमीनी स्तर पर संसाधनों की गुणवत्ता और उपलब्धता को मजबूत करने के हमारे फोकस के साथ जुड़े हैं। प्रमुख शैक्षणिक, तकनीकी संस्थानों जैसे कि आईआईएम और आईआईटी के साथ विभिन्न कार्यक्रम, प्रशिक्षण मानकों को बेहतर बनाने में मदद करेंगे, प्रशिक्षकों की क्षमताओं को मजबूत करेंगे और पीएमकेवीवाई 3.0 के तहत विभिन्न कौशल कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी को भी बढ़ावा देंगे।
वर्ष 2018 में, MSDE ने संकल्प के तहत “अवार्ड्स फॉर एक्सीलेंस इन डिस्ट्रिक्ट स्किल डेवलपमेंट प्लानिंग (DSDP अवार्ड्स)” की स्थापना की है। कौशल विकास की पहल में मौजूद सिलोज़ को तोड़कर, एमएसडीई इन पुरस्कारों के माध्यम से जिलों के प्रयासों और दृढ़ संकल्प को पहचानने के लिए सतत प्रयासशील है, जिसका उद्देश्य उत्कृष्टता के लिए जिले के अधिकारियों को एक बॉटम-अप दृष्टिकोण के माध्यम से सशक्त बनाना है, जिससे वे भविष्य में नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। डीएसडीपी पुरस्कारों का दूसरा संस्करण भी जारी है और इस वर्ष भाग लेने वाले जिलों की संख्या पिछली बार के मुकाबले दोगुनी से अधिक हो गई है और देश भर से 460 डीएसडीपी प्राप्त हुए हैं। इस साल, IIT दिल्ली और IIT खड़गपुर दोनों पुरस्कारों के मूल्यांकन भागीदारों के रूप में आगे हैं। इस आयोजन में परियोजना के लिए मैनेजमेंट एंड एन्टरप्रेनरशिप एंड प्रोफेशनल स्किल काउंसिल के साथ साझेदारी में “कार्यस्थल पर लैंगिक संवेदनशीलता और यौन उत्पीड़न की रोकथाम पर कौशल प्रशिक्षण” का शुभारंभ भी हुआ। 1800 प्रशिक्षुओं और 240 प्रशिक्षण पेशेवरों को प्रशिक्षित करने के लिए छह महीने की परियोजना राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के 3 राज्यों में 15 जिलों में लागू की जाएगी।