कोई क्रेडिट दे या ना दे अपना सर्वाेत्तम देना जारी रखें: श्रीमती राजेश्वरी मोदी
उदयपुर। हर व्यक्ति की जिव्हा पर माँ लक्ष्मी विराजमान है। ये विचार नारायण रेकी सत्संग परिवार (Narayan Reiki Satsang Family), उदयपुर की ओर से टाउन हॉल में आयोजित ‘जीवन जीने का नया अंदाज’ कार्यक्रम में मुख्य वक्ता ग्रैंड मास्टर नारी रत्न श्रीमती राजेश्वरी मोदी, ‘राज दीदी’ (Rajeshwari Modi, ‘Raj Didi’) ने व्यक्त किये। उदयपुर सेंटर हेड गुणवंती गोयल (Gunwanti Goyal) व उनकी सहयोगी अंकिता अग्रवाल (Ankita Aggarwal) ने बताया कि राज दीदी के अब तब देश-विदेश में 175 के करीब सत्र आयोजित हो चुके हैं। संस्थान के 46 सेंटर भारत में और सात विदेश में संचालित हैं।
राजेश्वरी मोदी ने कहा कि विचार, वाणी, व्यवहार की शुद्धता ही बेहतर जीवन का निर्माण करती है। दीदी ने कहा कोई क्रेडिट दे या ना दे अपना सर्वाेत्तम देना जारी रखे,ं हर्ट न हों क्योंकि हर्ट सबसे निम्नतर की ऊर्जा है जो आपके जीवन में आते हुए सुख, शांति, समृद्धि को रोकती है।
राजेश्वरी मोदी राज दीदी ने कहा कि जीवन की भाग दौड़ व तेज गति में किसी का भी हक ना लें। अपने निर्मल मन व सहज स्वभाव से जीवन को आसान बनाया जा सकता है। अनेक प्रश्नो के उत्तर में उन्होंने कहा कि स्नेह सब पर खूब बरसायें। स्नेह व समर्पण से हम लोगो का विश्वास जीतते हैं जो हमे जीवन पर्यंत खुशियां देता है। राज दीदी ने कहा कि भारत वर्ष में लाखों लोगों का नारायण रेकी सत्संग परिवार से जुड़ कर उनके जीवन की गुणवत्ता में अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ है। परिवर्तन व गुणवत्ता की यह प्रक्रिया भारत व दुनिया में नारायण रेकी सत्संग परिवार के माध्यम से जारी है। इस अवसर पर राज दीदी ने जीवन जीने के मंत्र के पांच सूत्र भी सबसे साझा किये। नारायण रेकी सत्संग परिवार, उदयपुर की सेंटर हेड गुणवंती गोयल ने संचालन जबकि सहयोगी अंकिता अग्रवाल ने धन्यवाद की रस्म अदा की।
उल्लेखनीय है कि श्रीमती राजेश्वरी मोदी, राजदीदी नारायण रेकी सत्संग परिवार की संस्थापिका है। कॉमर्स ग्रेजुएट राजदीदी उसुई व करुणा रेकी की ग्रांडमास्टर है। इसके आलावा वे एक उच्चकोटि की काउंसलर व अक्यूप्रेसर थेरेपिस्ट भी है। दीदी का आभा मंडल सकरात्मक सोच व आपसी सम्बन्धों की दृणता से भरपूर देवीयता का साक्षात स्वरुप हैं। बचपन से ही समाज सेवा के प्रति उनका रुझान था, जिसे उन्होंने दाम्पत्य जीवन व दो बच्चों की माँ बनने के साथ बखूबी निभाया। क्योंकि घर परिवार उनकी सर्वप्रथम प्राथमिकता थी इसलिए घर पर दोपहर में रेकी और अकुप्रेस्सेर की क्लास शुरू की । धीरे धीरे उनकी सोच लोगों की समझ में आने लगी और तेज़ी से इसका प्रचार, प्रसार हुआ, तो दीदी ने राजस्थानी मंडल गोकुलधाम के कार्यालय में अपनी सेवा देना शुरू कर दिया। गहन साधना व सोच के बाद उन्होंने यह पाया कि सकारातमक तरीके से सम्बन्धों को द्रण बनाकर, समाज को सुधरा जा सकता है। इसके लिए उन्होंने नारायण जीवन चक्र का प्रतिपादन किया और बड़े ही साधारण शब्दों में लोगों को मानवजीवन का उद्देश्य बताया और समझाया कि रेकी के माध्यम से हम सकारात्मक होकर जीवन विकास कैसे कर सकते है।