फिलिप्स बच्चों के निमोनिया के खिलाफ लड़ाई में सहयोग के लिए संकल्पबद्ध

उदयपुर। हैल्थ टेक्नॉलॉजी में ग्लोबल लीडर, रॉयल फिलिप्स विश्व निमोनिया दिवस के अवसर पर भारत के बच्चों में निमोनिया के निदान व रोकथाम में मदद करने के अपने प्रयास मजबूत कर रहा है। फिलिप्स के सीएसआर अभियान, ‘हर सांस में जिंदगी’ के तहत भारत में पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया के मामलों को रोकने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। ये प्रयास जागरुकता व ऑन-ग्राउंड एक्टिवेशन पर केंद्रित हैं। कंपनी नॉन-प्रॉफिट संगठन, ‘सेव द चिल्ड्रन’ के साथ दो वर्षीय पायलट प्रोजेक्ट, ‘विश्वास (उम्मीद की किरण)’ पर काम कर रही है। इसका उद्देश्य सामाजिक एवं व्यवहारात्मक परिवर्तन, संचार व बच्चों में निमोनिया के मामलों के नियंत्रण के लिए किफायती व अभिनव दृष्टिकोण प्रदान करना है।
भारत में निमोनिया 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का एक मुख्य कारण है। अप्रैल, 2019 से मार्च, 2020 के बीच देश में निमोनिया के 5,14,714 मामले दर्ज हुए, जबकि स्वास्थ्य केंद्रों में 14,45,587 बच्चे सांस की नली के संक्रमण के चलते भर्ती हुए। परिवार एवं प्रथम प्रभावितों के बीच इस बीमारी की कम जागरुकता तथा सामुदायिक व जन स्वास्थ्य केंद्रों में गुणवत्तायुक्त इलाज की उपलब्धता कम होने के चलते सीमांत समुदायों के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। प्रथम उपचार करने वालों को यह जानना आवश्यक है कि इसके सबसे आम लक्षण खांसी, सांस लेने में तकलीफ और बुखार हैं। इस बीमारी के खतरे से बचने के लिए यह आवश्यक है कि बच्चों के निमोनिया के बारे में जानकारी की कमी को दूर किया जाए। आमतौर पर निमोनिया से पीडि़त बच्चों की सांस तेज चलने लगती है। इसलिए निमोनिया के निदान के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है, उनकी सांस लेने की दर को पहचानना। सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मी विज़्युअल परीक्षण द्वारा जाँच करते हैं और देखते हैं कि बच्चा एक मिनट में कितनी सांस लेता है। उदाहरण के लिए 5 महीने का बच्चा, जो प्रति मिनट 50 बार सांस लेता है, वह निमोनिया होने पर बहुत तेजी से सांस लेने लगेगा। ‘तेजी से सांस’ लेने पर सांस लेने की संख्या बच्चे की उम्र पर निर्भर होती है। छोटे बच्चों की सांस लेने की दर बड़े बच्चों के मुकाबले ज्यादा होती है। एक हैल्थ टेक्नॉलॉजी कंपनी के रूप में फिलिप्स सार्थक अभिनवता द्वारा लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए समर्पित है। इस उद्देश्य के साथ कंपनी प्रथम उपचार करने वालों, जैसे माँ व परिवार के अन्य सदस्यों के बीच लक्षणों की जानकारी बढ़ाने, उचित मेडिकल सहायता प्राप्त करने की जागरुकता बढ़ाने तथा देश में निमोनिया के कारण होने वाले अन्य मामलों व घटनाओं को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।

Related posts:

एमवे इंडिया ने नवप्रवर्तन में बड़ी छलांग लगाते हुए गमीज और जेली स्ट्रिप्स फॉर्मेट में सप्लीमेंट्स की...
इस बार ऑनलाइन देंगे ओलिंपियाड की परीक्षा उदयपुर के छात्र
निसान इंडिया की नई बी-एसयूवी का नाम ‘निसान मैग्नाइट’
Age is just a number: This 91-year-old who beat age, COVID and heart attack all together !
आधुनिक खेती में हिन्दुस्तान जिंक की पहल
Hindustan Zinc’s Dariba Smelting Complex receives Five-Star Rating in British Safety Council’s Occup...
वेदांता के सामाजिक परिवर्तन को प्रदर्शित करेगा ‘फॉर बेटर कल‘ वीडियो अभियान
शहर में न्यू टाइड फ्रेश एंड क्लीन लॉन्च
पारस जेके हॉस्पिटल में हेड इंजरी अवेयरनेस के लिए हुआ हेल्थ टॉक और बाइक रैली का आयोजन
जिंक ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी लीडरशिप में तीन अवार्डस से सम्मानित
दृष्टिहीन बच्चों को समाज में समान अवसर मिलें : सुनील दुग्गल
हिन्दुस्तान जिंक स्थापित करेगा 100 बेड का एयरकंडीशन अत्याधुनिक कोविड फील्ड हाॅस्पीटल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *