उदयपुर। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में प्रसंग संस्थान की ओर से स्त्री कथन श्रृंखला के अंतर्गत एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कवि गोष्ठी में स्त्री चेतना, आज की स्त्री , स्त्री स्वतंत्रता, स्त्रियों के साथ दायित्व बोध, दोहरे दायित्वों को निभाती स्त्री के अनेक रूप उभरे। अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ गीतकार किशन दाधीच ने अपना लोकप्रिय गीत ‘मैंने बुना गीत का बाना, उसने गायी एक गज़़ल सुना कर रस विभोर कर दिया। मंजु चतुर्वेदी ने‘वो स्त्री’ कविता मैं स्त्री जीवन के विरोधाभास चित्रित करते हुए जो ग़लत हैं वो डरेंगे,जो सही है वो सामना करेंगे। जैसे होता है दृष्टि का सूर्य से,देह का ताप सेसुना कर ज़रूरी प्रश्न सामने रखे। आगरा की प्रसिद्ध कवयित्री गोष्ठी में मुख्य अतिथि रही जिन्होंने मां एवं स्त्री विमर्श नामक कविताएं सुनाईं।
संस्थान के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ कवि, गज़़लकार डॉ इन्द्र प्रकाश श्रीमाली ने ‘चन्द्रमा बन कर वो मुस्कुराने लगे’ गज़़ल सुनाई। सुयश चतुर्वेदी ने नंद चतुर्वेदी लिखित कविता किला का पाठ किया। संचालन डॉ इन्द्र प्रकाश श्रीमाली ने किया। संस्थान के उपाध्यक्ष शिव रतन तिवारी ने स्त्री विमर्श पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। श्रीमती सीता शर्मा ने महिलाओं के पक्ष में गीत प्रस्तुत किया।
प्रसंग संस्थान द्वारा स्त्री कथन पर कवि गोष्ठी आयोजित
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