संगीत का जादू बिखेरने उदयपुर आ रहे हैं सुरेश वाडेकर, – ‘सुर, साज और वाडेकर’ से बंधेगा समां

उदयपुर (डॉ. तुक्तक भानावत )। उदयपुर के संगीत प्रेमियों के लिए 25 मार्च की शाम 7 बजे से अविस्मरणीय संगीतमय संध्या का आयोजन लोक कला मंडल में किया जाएगा। भारतीय संगीत जगत के सुप्रसिद्ध गायक सुरेश वाडेकर स्वर्णिम आवाज़ से सुरों की अनुपम दुनिया रचेंगे। ‘इंदिरा स्वरांगन’ के तहत हो रहे इस संगीतमय कार्यक्रम में उनकी प्रस्तुति ‘सुर, साज और वाडेकर’ संगीत प्रेमियों को सुरों के सागर में डुबो देगी। मुख्य आयोजक डॉ. अजय मुर्डिया (इंदिरा इंटरप्राइजेज) और श्रद्धा मुर्डिया (कश्ती फाउंडेशन) ने सभी संगीत प्रेमियों से इस भव्य संगीतमय संध्या में शामिल होने की अपील की है।
कार्यक्रम के संयोजक दिनेश कटारिया ने बताया कि यह भव्य आयोजन स्वर्गीय इंदिरा मुर्डिया के जन्मदिवस पखवाड़े के अंतर्गत हो रहा है। इंदिरा मुर्डिया को संगीत से विशेष लगाव था, इसलिए उनके सम्मान में हर वर्ष प्रतिष्ठित कलाकारों को आमंत्रित किया जाता है। पिछले वर्ष अनूप जलोटा और प्रसिद्ध गीतकार समीर अंजन ने अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया था। इस बाद 25 मार्च को सुरेश वाडेकर प्रस्तुतियों से श्रोताओं को भावविभोर करेंगे, तो 26 मार्च को प्रख्यात निर्देशक विक्रम भट्ट विशेष संगीतमय प्रस्तुति ‘भट्ट म्युजिक विरासत’ लेकर आएंगे, जिसमें बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार उनके दादा विजय भट्ट की फिल्मों के कालजयी गीतों को प्रस्तुत करेंगे।
रूह को छू लेता है मखमली आवाज का जादू :
सुरेश वाडेकर अपनी मखमली आवाज़ में “सूरज न मिले छाँव को“ (घर) या “सीने में जलन, आँखों में तूफान सा क्यों है“ (गमन) गाएंगे, तो श्रोता भावनाओं की गहराइयों में डूब जाएंगे। “ऐ जिंदगी गले लगा ले“ (सदमा) और “मेघा रे मेघा रे“ (प्यासा सावन) जैसे कालजयी गीतों के बोल जब हवा में घुलेंगे, तो हर दिल एक धड़कन बनकर सुरों के प्रवाह में बहने लगेगा। “तू चंदा मैं चांदनी“ (रेशमा और शेरा), “राम तेरी गंगा मैली हो गई“ (राम तेरी गंगा मैली), “तुझे याद कर लिया है“ (कभी कभी) जैसे गीतों की मधुर प्रस्तुति संगीत प्रेमियों के लिए यादगार बन जाएगी। इस आयोजन का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि भारतीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देना तथा समाज में सकारात्मक बदलाव लाना भी है।

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