उदयपुर। पर्युषण महापर्व के तीसरे दिन सामायिक दिवस पर तेरापंथ भवन अणुव्रत चौक में शासनश्री मुनि सुरेशकुमार के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा निर्देशित तेरापंथ युवक परिषद उदयपुर के बैनर तले आयोजित अभिनव सामायिक आराधना में लगभग 1000 से अधिक श्रावक-श्राविकाओं ने एक साथ एक समय में सामायिक आराधना की।
शासनश्री मुनि सुरेशकुमार ने कहा कि आत्मा ही सामायिक है, आत्मा ही सामायिक का अर्थ है। 48 मिनट तक त्रिग्रप्ति की साधना करने वाले साधक आत्मा की सर्वोच्च पावनता का स्पर्श कर लेते हैं। जितनी पवित्रता से हम सामायिक करेंगे, जीवन उतनी ही सहजता से व्यतित होगा और मृत्यु बिना किसी कष्ट और दु:ख के जीवन में दस्तक देगी। श्रावक का कर्तव्य है कि वह प्रतिदिन एक सामायिक अवश्य करें। इससे पूर्व चर्तुदशी पर मर्यादा पत्र का वाचन करते हुए मुनि सुरेशकुमार ने कहा कि मर्यादा तेरापंथ का ब्रह्मास्त्र है। एक आचार, एक आचार्य की यह परंपरा दुनिया के नक्शे पर तेरापंथ की दिव्यता को प्रमाणित करता है।
मुनि सम्बोधकुमार ‘मेधांश’ ने अभिनव सामायिक का प्रयोग करवाया। उन्होंने भगवान महावीर की पूर्वजन्म की यात्राओं का उल्लेख करते हुए कहा कि अहंकार जिन्दगी भी सारी खुशियां छीन लेता है। महावीर की आत्मा त्रिदृष्ट वासुदेव के जन्म में कुरत व्यवहार के कारण चिकने कर्म अपने नाम कर लेता है। जो झुकता है पूरी दुनिया उसी की हो जाती है।
सभा मंत्री विनोद कच्छारा ने बताया कि रात्रिकालीन कार्यक्रम के तहत मुनि सम्बोधकुमार ने सपनों के रहस्यों के बारे में विशेष प्रशिक्षण दिया है।