“संपूर्ण वैश्विक परिदृश्य में हिंदी की उपयोगिता” विषय पर विशेष संगोष्ठी सम्पन्न
राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन का दो दिवसीय कार्यक्रम सम्पन्न
उदयपुर। राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन की श्रृंखला में डॉ. भंवर सुराणा स्मृति अभिनंदन समिति एवं विश्व हिंदी परिषद के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को ओरिएंटल पैलेस रिसोर्ट सभागार में “संपूर्ण वैश्विक परिदृश्य में हिंदी की उपयोगिता” विषय पर विशेष संगोष्ठी एवं अभिनंदन समारोह सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम के अध्यक्ष, राजस्थान साहित्यिक आंदोलन के संयोजक-सूत्रधार एवं राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम के संस्थापक अध्यक्ष अनिल सक्सेना ‘ललकार’ ने कहा कि हिंदी आज केवल भाषा नहीं, बल्कि विश्व की सामूहिक चेतना और सांस्कृतिक संवाद का माध्यम बन चुकी है। तकनीकी क्रांति और वैश्वीकरण के इस दौर में यदि भारत अपनी पहचान को सशक्त रूप से प्रस्तुत कर सकता है तो वह केवल हिंदी के जरिए संभव है। उन्होंने कहा कि राजस्थान से शुरू हुआ साहित्यिक आंदोलन इसी विचार को लेकर आगे बढ़ रहा है कि हिंदी को समाज की नब्ज से जोड़ा जाए और इसे विश्व मंच तक पहुँचाया जाए।
मुख्य अतिथि, दूरदर्शन के उप महानिदेशक एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. के.के. रत्तू ने कहा कि हिंदी साहित्य और मीडिया ने मिलकर हिंदी को विश्व स्तर तक पहुँचाने का कार्य किया है। आवश्यकता इस बात की है कि हिंदी को रोजगार, व्यापार और प्रशासन की भाषा बनाया जाए। हिंदी तभी सचमुच वैश्विक प्रभाव की भाषा बन सकेगी जब इसे व्यवहारिक जीवन का हिस्सा बनाया जाएगा।
पूर्व आईपीएस आनन्दवर्धन शुक्ल ने कहा कि हिंदी आज विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा है और 40 से अधिक देशों में हिंदी बोलने वाले समुदाय मौजूद हैं। आईएएस टीकम अनजाना ने कहा कि यह भाषा केवल अभिव्यक्ति का साधन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता का वैश्विक वाहक है। हमें संगठित होकर इसे शिक्षा, तकनीक और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर और अधिक स्थापित करना होगा।
समारोह में डॉ. अवधेश जौहरी (भीलवाड़ा) ने विषय प्रतिपादित किया।
सुनीता शेखावत (जोधपुर) ने राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कविता सुनाई। डॉ. शकुंतला सरूपरिया ने पिता पर गजल प्रस्तुत कीं। विशिष्ट अतिथियों में अरविंद मिश्र (भोपाल), डॉ. प्रमोद रामावत (नीमच), डॉ. विमला भंडारी (सलूम्बर), लक्ष्मण बोलिया (जयपुर), श्रद्धा गट्टानी आदि के विचारों ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। कार्यक्रम का संचालन मोनिका गौड़ (बीकानेर) ने किया। स्वागत उद्बोधन डॉ. भंवर सुराणा स्मृति अभिनंदन समिति के अध्यक्ष भगत सिंह सुराणा ने दिया।
बच्चियों ने राजस्थानी गीत ‘केसरिया बालम पधारो म्हारे देश, पर प्रस्तुति दी। राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन की श्रृंखला में शनिवार देर रात को लायंस क्लब भवन में वरिष्ठ साहित्यकार श्री अनिल सक्सेना की अध्यक्षता और आईएएस श्री टीकम अनजाना के मुख्य आतिथ्य में काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई।
विश्व की सामूहिक चेतना की भाषा है हिंदी: अनिल सक्सेना ‘ललकार’
