दो दिवसीय संगोष्ठी एवं कला सृजन कार्यशाला सम्पन्न

आधुनिकता के दौर में कला को सहेजने व नवाचारों से जोड़ने पर हुआ मंथन
उदयपुर।
आजादी के अमृत महोत्सव के तहत उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला (पंजाब) एवं सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय संगोष्ठी एवं कला सृजन कार्यशाला का समापन शुक्रवार को सूचना केन्द्र में हुआ।
समापन समारोह के अतिथि राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण तथा वास्तुविद सुनील लड्ढ़ा थे। डॉ. सहारण ने आधुनिकता के दौर में कला को सहेजने एवं कलाकारों को अपने विचारों को समाज तक ले जाने के लिए नवाचारों का समावेश करने की बात कही। उन्होंने कहा कि कला समाज का सर्वोपरि भाग है किंतु अभी उसे समाज में प्राथमिकता से नहीं लिया जाता है जबकि समतावादी समाज के लिए कला की महत्वपूर्ण भूमिका है।
वास्तुकार सुनील लड्ढ़ा ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटलीजेंसी के युग में कलाओं को अपने लिए नए रास्ते तलाशने होंगे। कलाओं का स्वरूप भी समय व समाज के अनुकूल करना होगा। उन्होंने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन कलाओं को सम्मान देने के साथ ही कलाकारों को उपयुक्त मंच प्रदान करने में उपयोगी सागित होते है। कार्यशाला में सूचना एवं जनसम्पर्क उपनिदेशक डॉ. कमलेश शर्मा ने कला की विभिन्न विधाओं पर चर्चा करते हुए कलाकारों को अपनी कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन करने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस आयोजन को वृीद स्तर पर ले जाने के लिए सभी कलाविदो की अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी। कार्यशाला संयोजक हेमंत जोशी ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए इस दो दिवसीय सफल आयोजन के लिए सभी का आभार जताया और भविष्य में इस आयोजन को वृहद स्तर पर आयोजित करने की मंशा जाहिर की। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन करते हुए चेतन औदिच्य ने आज के दौर में कला व साहित्य के महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर नाट्य निर्देशक ओमपाल के निर्देशन में ‘बडे भाईसाहब‘ लघु नाटक का मंचन किया गया जिसमें हिमांशी चौबीसा व हिया शर्मा ने प्रभावी भूमिका निभाई।
कार्यशाला में चित्रकार डॉ. चित्रसेन ने चित्रकला के विभिन्न आयामों के साथ आज के चित्रकारिता का बदलता स्वरूप, चेतन औदीच्य ने कला की चुनौतियां और प्रासंगिकता व प्रेषिका द्विवेदी ने तनाव मुक्त जीवन के लिए संगीत के महत्व पर प्रकाश डाला। शिल्पकार हेमंत जोशी ने शहर के सौंदर्य हेतु कला की भूमिका, छायाकार ताराचंद गवारिया व विधान द्विवेदी ने फोटोग्राफी की विभिन्न तकनीक एवं उपयोगिता, ब्लॉगर व सोशल मीडिया एक्सपर्ट मनीष कोठारी, विपुल वैष्णव, अभय भाटी व सुनील व्यास ने आज के समय में सोशल मीडिया का भूमिका और प्रभाव, रेडियो आर्टिस्ट श्रीमती भावना व्यास, कपिल पालीवाल व माधुरी शर्मा ने रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम एवं रेडियो आर्टिस्ट की भूमिका, संगीत कलाकार भूमिका द्विवेदी व नरेन्द्र बियावत ने संगीत के विभिन्न आयाम थियेटर आर्टिस्ट दीपक दीक्षित व शिवराज सोनवाल व सूरज सोनी ने नाट्यकला की बारीकियों पर प्रकाश डाला। इस कार्यशाला डॉ.निर्मल यादव, भूपेन्द्र पंवार, रक्षित परमार, अपूर्व, जतिन आदि ने सहभागिता निभाई।


दो दिवसीय संगोष्ठी एवं कला सृजन कार्यशाला के साथ सूचना केन्द्र की कला दीर्घा में फोटो प्रदर्शनी भी लगाई गई। इस प्रदर्शनी में जनसंपर्क उपनिदेशक व वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर डॉ. कमलेश शर्मा द्वारा नैसर्गिक संपदा विषयक क्लिक किए गए फोटो को प्रदर्शित किया गया है। राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण तथा वास्तुविद सुनील लड्ढ़ा सहित अन्य गणमान्य अतिथियों एवं कलाकारों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण नैसर्गिक संपदा पर आधारित फोटो की सराहना की। इस अवसर पर डॉ. कमलेश शर्मा ने प्रदर्शनी में लगाए गए पशु पक्षियों, वन्यजीवों व नैसर्गिक सौंदर्य को बखानते चित्रों के बारे में अतिथियों को जानकारी प्रदान की।

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