कंपनी 99.99 प्रतिशत शुद्ध चांदी एलबीएमए से प्रमाणित
सिन्देसर खुर्द माइंस विश्व की दूसरी सबसे बड़ी चांदी उत्पादक खदान
मुंबई । जिंक-सीसा-चांदी कारोबार में वेदांता समूह की कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड अब द सिल्वर इंस्टीट्यूट, यूएसए द्वारा आयोजित वर्ल्ड सिल्वर सर्वे 2024 के अनुसार विश्व स्तर पर तीसरी सबसे बड़ी चांदी उत्पादक बन गई है। कंपनी की सिंदेसर खुर्द खदान अब विश्व की दूसरी सबसे बड़ी चांदी उत्पादक खदान बन गई है, जो गत वर्ष चैथे स्थान पर थी।
इस उपलब्धि पर, हिंदुस्तान जिंक की चेयरपर्सन प्रिया अग्रवाल हेब्बर ने कहा कि, “चांदी वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और हाल ही में हमारा रिकॉर्ड 746 मीट्रिक टन चांदी उत्पादन आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त करता है। हिंदुस्तान जिंक के उत्पादन में साल-दर-साल 5 प्रतिशत की वृद्धि का श्रेय अयस्क उत्पादन में वृद्धि और उन्नत ग्रेड को जाता है, जिससे वैश्विक चांदी बाजार में एक प्रमुख उत्पादक कंपनी के रूप में इसकी स्थिति मजबूत हुई है। यह उल्लेखनीय उपलब्धि नवीन प्रौद्योगिकियों और सस्टेनेबल खनन प्रणाली के उपयोग से हासिल की गई है, जो कि पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए उत्पादन प्रक्रिया को अनुकूलित करने में सहायक है।
इसके अतिरिक्त, लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (एलबीएमए) द्वारा इसकी पंतनगर सिल्वर रिफाइनरी की मान्यता और लंदन गुड डिलीवरी सूची में शामिल होने से रिफाइनरी के अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों के पालन की पुष्टि होती है, जो 99.99 प्रतिशत शुद्ध चांदी के एलबीएमए प्रमाणित है। हिंदुस्तान जिंक की सिल्वर रिफाइनरी पंतनगर मेटल प्लांट में अपने संचालन के लिए प्राप्त 100 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा 2050 या उससे पूर्व शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
विश्व स्तर पर, सौर नवीकरणीय ऊर्जा के सभी स्रोतों में सबसे तेजी से बढ़ने वाला स्रोत, 2023 में लगभग 440 गीगावॉट स्थापित होने के साथ – चांदी की मांग को बढ़ाने के लिए अग्रसर है। इसके अतिरिक्त, विद्युत उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक्स और गैजेट्स का प्रसार, टचस्क्रीन, सर्किटरी और कनेक्टर्स के लिए आदर्श असाधारण चालकता के कारण, प्रवाहकीय सामग्रियों और घटकों में चांदी की बढ़ती आवश्यकता को दर्शाता है।
2024 में आभूषण निर्माण में 4 प्रतिशत की रिकवरी की उम्मीद करते हुए, भारत के सबसे बड़े योगदानकर्ता होने की उम्मीद है। चांदी के बर्तनों की मांग में 7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है, जो मुख्य रूप से भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि और बढ़ती खर्च योग्य आय के कारण है।