दुर्लभ मतिभ्रम बीमारी का सफल इलाज

-PIMS (पीम्स) उदयपुर में उन्नत ब्रेनस्टिमुलेशन तकनीक से पूरी तरह ठीक हुई 66 वर्षीय महिला-

उदयपुर। शहर के पेसिफिक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीम्स) उमरड़ा में भयानक और अजीब दृश्य देखने लगी एक महिला का उपचार कर उसको स्वस्थ किया। इसके लिए रिपेटिटिव ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (आरटीएमएस) तकनीक अपनाई गई।
एक 66 वर्षीय महिला मोतियाबिंद की सफल सर्जरी के छह महीने बाद भयानक और अजीब दृश्य देखने लगी थी। उसको जैसे सांप, शेर और विशालकाय इंसान उनके चारों ओर घूम रहे हो ऐसा दिखता और अहसास होने लगा। महिला की पीम्स में उन्नत ब्रेन स्टिमुलेशन तकनीक की मदद से पूरी तरह ठीक कर दिया गया है।
अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार यह मामला एक दुर्लभ स्थिति चार्ल्स बोनट सिंड्रोम की ओर ध्यान आकर्षित कर रहा है, जिसमें नेत्र दृष्टि प्रभावित होने पर मस्तिष्क में विचित्र दृश्य उत्पन्न होते हैं।
इसमें महिला मरीज न सिर्फ ये डरावने दृश्य स्पष्ट रूप से देख रही थीं, बल्कि साथ में सामान्य चीजें भी पहचान पा रही थीं। उन्हें इस बात की समझ थी कि जो वे देख रही हैं, वह वास्तविक नहीं है। फिर भी, ये दृश्य उन्हें डरा देते थे और उनकी नींद भी खराब हो गई थी।
इस पर परिवार के सदस्यों ने न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क किया। उनका एमआरआई स्कैन, मेमोरी, और न्यूरोलॉजिकल परीक्षण पूरी तरह सामान्य आया। उन्हें पहले एंटीसाइकोटिक दवाएं दी गईं, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ।
इसके बाद उन्हें पीम्स के मनोचिकित्सा विभाग में प्रोफेसर डॉ. प्रवीन खैरकर के पास रेफर किया गया। नेत्र रोग विशेषज्ञों से समन्वय के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि उन्हें चार्ल्स बोनट सिंड्रोम है जो एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें दृष्टि हानि के कारण मस्तिष्क खुद ही छवियों का निर्माण करने लगता है।
डा. खैरकर कहते है कि इस बीमारी के लिए कोई प्रभावी दवा उपलब्ध नहीं है, इसिलए उन्होंने अपनी टीम के साथ एक उन्नत तकनीक रिपेटिटिव ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (आरटीएमएस) अपनाई। यह एक गैर-आक्रामक ब्रेन स्टिमुलेशन तकनीक है, जो मस्तिष्क की दृश्य प्रक्रिया से जुड़ी हिस्सों यानि ओसीसीपिटल लोब पर लक्षित की गई। इसमें सिर्फ 10 सेशन्स में ही महिला की सभी मतिभ्रम संबंधी समस्याएं पूरी तरह ठीक हो गईं। अब उनकी नींद सामान्य हो गई और डर भी पूरी तरह खत्म हो गया।

डॉ. खैरकर ने कहा, यह उदाहरण दिखाता है कि जब पारंपरिक इलाज असफल हो जाए, तब न्यूरोमॉड्यूलेशन तकनीक नई उम्मीद बन सकती है। परेशान हुए परिवार ने अस्पताल के डायरेक्टर आशीष अग्रवाल, शीतल अग्रवाल, डॉ. प्रवीन खैरकर से मिलकर उनको धन्यवाद दिया। ‎

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