भारतीय खनन उद्योग के मजबूत और सस्टेनेबल भविष्य को सुरक्षित कर रहा हिन्दुस्तान जिंक

उदयपुर। जैसे-जैसे हम 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहे हैं, धातु और खनन क्षेत्र भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो इसे वैश्विक और घरेलू दोनों दृष्टि से भारत की विकास के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र बनाता है। भारत लघु, परमाणु, गैर-धात्विक और धात्विक सहित 95 विभिन्न प्रकार के खनिजों का उत्पादन करता है, लौह अयस्क, क्रोमाइट, कोयला और बॉक्साइट जैसे मूल्यवान खनिजों के दुनिया के शीर्ष उत्पादकों में से एक है।
केवल उत्पादन पर्याप्त नहीं हो सकता। देश में धातुओं और खनन उद्योगों की उनकी पूरी क्षमता से खोज प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के लिए आधारभूत है। यह सर्वविदित है कि सकल घरेलू उत्पाद में देश की प्रचुर प्राकृतिक संपदा का प्रमुख योगदान हैं, न केवल घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बल्कि वैश्विक रूप से अग्रणी बनने के लिए भी यह आवश्यक हैं।
उदाहरण के लिए,यदि जिंक को ही लिया जाएं तो धातुओं के बीच, जिं़क ने संपूर्ण मानव इतिहास में सभ्यताओं और उद्योगों को समान रूप से आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसका महत्व समय विशेषकर तकनीकी नवाचारों के आगमन के साथ के साथ विकसित हुआ है। औद्योगिक क्रांति जिंक के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई और इसकी बहुमुखी उपयोगिता आज कृषि, इलेक्ट्रॉनिक्स, बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और पोषण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
बुनियादी ढांचे के क्षेत्र की बात करें तो गैल्वनीकरण तकनीक का विकास, जो लोहे और स्टील को जंग से बचाने के लिए जिंक का उपयोग एक क्रांति हैं। इससे रेलवे नेटवर्क के विकास के साथ-साथ आधुनिक पुलों और इमारतों के निर्माण को भी बढ़ावा मिला। राजमार्गों, हाई-स्पीड रेल परियोजनाओं और ऑटोमोबाइल क्षेत्र सहित बुनियादी ढांचे के विकास में वृद्धि से गैल्वेनाइज्ड स्टील की मांग में और वृद्धि होगी। वंदे भारत ट्रेनों के कोचों के लिए उपयोग किए जाने वाले स्टील को जिंक से मजबूत किया गया है। मुंबई और अहमदाबाद के बीच हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर में भी काफी मात्रा में जिंक का इस्तेमाल होगा। राजमार्गों के लिए क्रैश बैरियर्स में भी बहुत अधिक मात्रा में जिंक का उपयोग देखा जा रहा है।
यह सब इस बात की स्पष्ट करता है कि किस प्रकार जिंक दुनिया में चैथी सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली धातु और एक मूल्यवान वस्तु है। इसका उपयोग जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी में भी किया जाएगा, जिससे मांग और बढ़ जाएगी। इसके कई फायदों में से, जिंक के एंटीकोर्सिव गुण अन्य धातुओं के साथ अच्छी तरह से जुड़ सकते हैं और बिजली का संचालन कर सकते हैं। जिंक 100 प्रतिशत पुनर्चक्रण योग्य है, और कुल उत्पादित जिंक का 60 प्रतिशत आज भी उपयोग में है, जो एक सतत भविष्य का निर्माण करता है। आधुनिक समाज में जिंक के कई अन्य औद्योगिक, वाणिज्यिक और जैविक अनुप्रयोग हैं।
औद्योगिक उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ स्वच्छ और हरित भविष्य की ओर परिवर्तन भी महत्वपूर्ण है। जिंक, अपने कई अनुप्रयोगों में, एक कम महंगा, सुरक्षित विकल्प प्रदान करता है, जो इसके मूल्य में वृद्धि को सुनिश्चित करता है। कोई आश्चर्य नहीं, इस दशक में बैटरी उद्योग में जिंक के उपयोग में तेजी से वृद्धि देखने की उम्मीद है, 2030 में वार्षिक मांग 600 टन से बढ़कर 77,500 टन होने की उम्मीद है। सरकार को उम्मीद है कि 2030 तक स्टील का उत्पादन 150 मिलियन टन से दोगुना होकर 300 मिलियन टन हो जाएगा।

Related posts:

बच्चों, वृद्धों, गर्भवती महिलाओं और मांसाहारियों को है कोरोनो वायरस से ज्यादा खतरा : डॉ. संदीप भटनाग...

‘जीवन जीने का नया अंदाज’ कार्यक्रम 16 को

समूह गान प्रतियोगिता “राष्ट्र वंदना 2023” का आयोजित

HDFC Bank Conducted Over 4000 Cyber Fraud Awareness Workshops in the Country

एआईसीसी सदस्य दिनेश खोड़निया आज उदयपुर में

देश की आजादी में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का महत्वपूर्ण योगदान

वेदांता उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल का आगाज़ 7 फरवरी से

मेवाड़ी बाई जिगिशा जोशी ने किया सप्तरंग स्टोर का उद्घाटन

डॉ. महेन्द्र भानावत को लोकभूषण सम्मान

Rajasthan’s first SEBI approved CAT1 fund by Marwari Catalysts

राज्य स्तरीय जनजाति खेलकूद प्रतियोगिता का हुआ समापन

Indira IVF, BD SurePath Joins Hand to Advance Cervical Cancer Screening in India