हल्दीघाटी युद्ध विषयक संगोष्ठी का समापन
उदयपुर। दो दिवसीय हल्दीघाटी एक अध्ययन विषयक संगोष्ठी के समापन अवसर पर महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के ट्रस्टी डॉ लक्ष्यराजसिंह मेवाड़ के नेतृत्व में आयोजित संगोष्ठी में सर्वप्रथम प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप को नमन करते हुए मेवाड़ के ख्यातनाम कवि स्वर्गीय माधव जी दरक की कविता “हल्दीघाटी में समर लड्यो, वो चेतक रो असवार कठै” और पं. नरेन्द्र मिश्र की हल्दीघाटी समर के महायोद्धा को समर्पित “आदित्य तेज के वीर बाहु, जो झुकना नहीं जानते थे। राणा प्रताप को दुश्मन भी अपना आदर्श मानते थे ।।’ से हल्दीघाटी के अमर शहिदों को श्रद्धापूर्वक स्मरणांजलि समर्पित की।
संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश के मोदीनगर गाज़ियाबाद के आचार्य चन्द्र शास्त्री ने ‘हल्दीघाटी युद्ध और विजयी महाराणा : एक ज्योतिषीय अध्ययन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं का भारतीय ज्योतिष शास्त्र की ओर ध्यान आकर्षित किया, उन्होंने बताया कि जब महाराणा प्रताप के जन्म का समय, तिथि, वार, नक्षत्र आदि के प्रभाव प्रताप के जीवन दर्शन में दिखाई देता है। उन्हीं के कारण महाराणा प्रताप धैर्यवान, बुद्धिमान, रणकुशल होने के साथ-साथ अपने सिद्धांतों व आदर्शों तक अडिग रहे।
इतिहास विभाग, मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के डॉ. मनीष श्रीमाली ने ‘हल्दीघाटी युद्ध की रणनीति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस प्रकार महाराणा प्रताप ने मेवाड़ की सघन अरावली पहाड़ियों और भील बल का सदुपयोग कर अपने क्षेत्र और अपनी प्रजा की रक्षा का दायित्व निभाया। उन्होंने अरावली की प्राकृतिक विशेषताओं के साथ स्थलाकृतियों, नदी, नालों आदि की स्थिति पर सविस्तार प्रकाश डाला और समझाया कि किस प्रकार प्रताप अपने इस क्षेत्र का युद्ध में प्रयोग कर दीर्घकाल तक मुगलों से युद्ध कर एक के बाद एक विजय को हासिल करते रहे। साथ अकबर की कूटनीतियां और मुगल दूतों से प्रति महाराणा प्रताप के उदार व्यवहार पर प्रकाश डाला।
खमनोर राजकीय महाविद्यालय, इतिहास विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अजय मोची ने ‘हल्दीघाटी एक भौगोलिक चक्रव्यूह’ पर प्रकाश डालते हुए बताया कि महाराणा प्रताप ने मेदपाटेश्वर श्री एकलिंगनाथ जी की भूमि पर उपलब्ध भौगोलिक चक्रव्यूह का सम्पूर्ण लाभ उठाते हुए किसी प्रकार मुगल सेना को भागने और वन क्षेत्र में मारे – मारे फिरने पर मजबूर किया। साथ ही डॉ. मोची ने अरावली के प्राचीन नाम आड़ावळी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस क्षेत्र में जब भी, जो भी दुश्मन आया, वो जीत के न जा सका, क्यूंकि अरावली की ये पहाड़िया उन दुश्मनों को रोके रखती थी जो कि दुश्मन और हमारे बीच एक सुरक्षात्मक दीवार के रूप में कार्य करती थी। अपनी बात कहते हुए उन्होंने कहा वर्तमान परिस्थितियां बदल गई है और इस अरावली के अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा रहा है, जिस पर सभी मौन है।
संगोष्ठी में आगे दृश्य विभाग, मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के डॉ. धर्मवीर वशिष्ठ ने ‘हल्दीघाटी युद्ध- महाराणा प्रताप कालीन सांस्कृतिक गौरव की अमर प्रेरणा” पर अपने पत्र वाचन में वक्तव्य प्रस्तुत किये। डॉ शर्मा ने मेवाड़ चित्रकला के विविध रूपों एवं बदलावों पर प्रकाश डालते हुए मेवाड़ के रियासत कालीन कलाकारों, उनके चित्रों और समयानुसार चित्रकारी में हुए बदलावों पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी के अंत में साहित्य संस्थान के शोधार्थी विश्वास राजेन्द्र उपाध्याय ने महाराणा प्रताप का परिचय एवं हल्दीघाटी युद्ध पर अपना पत्र वाचन किया और साथ ही महाराणा प्रताप और हल्दीघाटी को समर्पित कविता “स्वाभिमान का अटल हिमाला, कष्टों से कब डिगने वाला । जो सोच लिया वो करके दिखलाया, ऐसा प्रताप हिम्मत वाला ।।’ की पंक्तियों से संगोष्ठी कक्ष को तालियों से गुंजायमान कर दिया।
फाउण्डेशन की ओर से मुख्य प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्रसिंह आउवा ने सभी का स्वागत – अभिवादन किया व स्वाति जैन ने संगोष्ठी का संचालन करते हुए धन्यवाद की रस्म निभाई ।
‘राणा प्रताप को दुश्मन भी अपना आदर्श मानते थे’
![](https://thetimesofudaipur.com/wp-content/uploads/2023/11/A-13-119x146.jpg)
अनिल अग्रवाल फाउंडेशन द्वारा ग्रामीण भारत को सशक्त करने के लिए 5,000 करोड़ रुपयों के निवेश का संकल्प
Hindustan Zinc shines bright with 7 awards at the 26th Bhamashah Award for contribution to the Educa...
जय श्री राम की गूंज में अग्रवाल की रवानगी
CHIK Hair Color reforms to CHIK Easy
Amazon.in announces ‘Rakhi Store’
ZINC FOOTBALL GRABS ‘BEST GRASSROOTS FOOTBALL PROJECT OF THE YEAR’ AWARD
राजस्थान में चार बार लगा राष्ट्रपति शासन
Kotak Securities launches Kotak Neo app to break the matrix of waiting time
HDFC Bank Launches ‘Global Trade & Forex Talks’
दिव्यांगजनों के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे- प्रतिमा भौमिक
मातृभाषा में बेहतर मानसिक विकास - प्रो अंजू श्रीवास्तव
Hindustan Zinc’s Sakhi women moving towards new horizon for greater good