उदयपुर। इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स, इंडिया, उदयपुर लोकल सेंटर द्वारा ‘संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन, हरित दृष्टिकोण तथा उदयपुर के लिए सीख’ पर वार्ता का आयोजन इंस्टिट्यूशन के सभागार में किया गया। प्रारम्भ में दि इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया उदयपुर लोकल सेंटर के अध्यक्ष इंजीनियर पुरुषोत्तम पालीवाल ने जलवायु शिखर सम्मेलन कोप 29 से भाग लेकर लौटे, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि से जुड़े, विद्या भवन पॉलिटेक्निक के प्राचार्य डॉ. अनिल मेहता तथा डॉ. गिरिराज न्याती, निदेशक, टेक्नो इंडिया एनजेआर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, उदयपुर तथा सभी इंजिनियर्स तथा तकनीकी विद्यार्थियों का स्वागत किया। पालीवाल ने कहा कि आवास और शहरी विकास पहल टिकाऊ शहरी नियोजन और जलवायु-लचीले बुनियादी ढांचे पर केंद्रित है। ऐतिहासिक शहर उदयपुर कोप 29 परिणामों और हरित परिप्रेक्ष्यों से सीख सकता है।
दि इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया उदयपुर लोकल सेंटर के मानद सचिव इंजीनियर पीयूष जावेरिया ने उदयपुर शहर में हो रहे जलवायु परिवर्तन यथा जैव विवधता, पानी की कमी, कृषि संबंधी प्रभाव, पर्यटन निर्भरता आदि में आ रही चुनौतियों पर विचार व्यक्त किये। मुख्य वक्ता डॉ अनिल मेहता ने अजरबैजान में विगत रविवार को संपन्न हुए संयुक्त राष्ट्र संघ जलवायु शिखर सम्मेलन, कोप 29 के संदर्भ में अपने विचार रखे। मेहता ने कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों सहित विश्वभर से आए प्रतिभागियों से वैदिक शांति पाठ को यू एन क्लाईमेट पीस प्रेयर के रूप में स्वीकार करने का आग्रह किया। मेहता ने कहा कि वैदिक शांति पाठ, ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष शान्ति:, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति: ; वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिब्र्रह्म शान्ति:, सर्वं शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि; ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: एक जलवायु शांति प्रार्थना है। जल, थल, नभ, अंतरिक्ष, वन , उपवन, भवन ,ग्राम, नगर, प्रत्येक जीव, जगत के कण कण, भगवान ( प्रकृति) व परम चेतना के सभी रूपों में शांति का आह्वान करने वाली यह जलवायु शांति प्रार्थना पर्यावरण मूलक आचार, विचार, व्यहवार की ओर प्रवृत्त करती है।
मेहता ने बताया कि कोप 29 में पारदर्शिता का अभाव रहा। जलवायु परिवर्तन संकट से निपटने, अनुकूलन इत्यादि के लिए विकसित देशों,ग्लोबल नॉर्थ द्वारा विकासशील देशों के लिए मंजूर लगभग 25 लाख करोड़ (300 बिलियन यू एस डॉलर) की राशि ग्लोबल साउथ की मूल जरूरत 100 लाख करोड़ (1.3 ट्रिलियन यू एस डॉलर ) से बहुत ही कम है। इस पर भारत ने सम्मेलन के समापन में पूरे ग्लोबल साउथ की आवाज मुखर करते हुए विरोध जताया। मेहता ने कहा कि जलवायु वित्त अभाव के इस दौर में जलवायु परिवर्तन संकट नियंत्रण व इसके निदान के लिए एस डी जी आधारित सस्टेनेबल गोल्स से हरित आधारित एक्शन्स की ओर जाना होगा। लाइफ मिशन (पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली) तथा पर्यावरण मूलक दृष्टिकोण, संस्कृति, परम्पराओं की समग्रता से पुनस्र्थापना के हरित (हरित : होलिस्टिक एक्शन्स फॉर रीवाईटेलाईजेशन ऑफ इंडीजीनस ट्रेडिशन्स) कार्यों से हर व्यक्ति जलवायु परिवर्तन संकट से अपने गांव, शहर व पूरे विश्व को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। शिखर सम्मेलन के अपने अनुभवों को साझा करते हुए मेहता ने कहा कि लाइफ व हरित आधारित प्रयासों से पेड़, पानी, मिट्टी व मगरों को बचाना पड़ेगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो उदयपुर सहित राजस्थान के सभी शहरों, कस्बों को जलवायु परिवर्तन की गंभीर आपदाओं व विभीषिकाओं से जूझना पड़ेगा।
टेक्नो एन जे आर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डारेक्टर डॉ. गिरिराज न्याती ने इंडस्ट्री 4.0 पर विचार रखते हुए कहा कि उद्योग जगत ऑटोमेशन व ऊर्जा खपत नियंत्रण द्वारा पर्यावरण लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है। आने वाले समय उद्योग जगत में जबरदस्त बदलाव आएंगे और कार का उदाहरण देते हुए बताया कि जो सुविधा आपको कार में चाहिए मोटर कंपनी तदनुसार वह सुविधा मुहैया करने में सक्षम होगी और कार की सर्विस मॉडल में बदलाव आएगा जिससे माइलेज या समय सीमा के बाद कार मे ऑयल चेन्ज करने को याद रखने की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि कार में ऐसे फीचर्स आएंगे जिससे वह अपने आप संकेत देगी की ऑयल चेंज करना है और उद्योग 4.0 डिजिटल प्रौद्योगिकी में कई प्रमुख नवाचारों के संयोजन को संदर्भित करता है जिसमें उन्नत रोबोटिक्स और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, परिष्कृत सेंसरएक्लाउड कम्प्यूटिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, डेटा कैप्चर और विश्लेषण, डिजिटल निर्माण, 3डी प्रिंटिंग, स्मार्टफोन और अन्य मोबाइल डिवाइस ऐसे प्लेटफ़ॉर्म जो मोटर वाहनों को निर्देशित करने के लिए एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं शामिल हैं। उन्होंने उद्योग 4.0 के भीतर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग स्मार्ट रखरखाव एमानव-रोबोट सहयोग जेनेरिक डिजाइन के साथ बेहतर उत्पाद बनाना जो लगातार बदलते बाजार के अनुरूप ढलने मे विनिर्माण में क्रांति ला रहा है जिससे स्मार्ट फैक्ट्री अधिक बुद्धिमान लचीली और गतिशील होगी, विनिर्माण प्रक्रियाओं को अलग अलग तरीके से व्यवस्थित किया जाएगा जिसमें संपूर्ण उत्पादन श्रृंखलाएं, आपूर्तिकर्ताओं से लेकर लॉजिस्टिक्स से लेकर किसी उत्पाद के जीवन चक्र प्रबंधन तक कॉर्पोरेट सीमाओं से निकटता से जुड़ी होंगी। समारोह का संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन मानद सचिव इंजी. पीयूष जावेरिया ने किया।
‘संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन, हरित दृष्टिकोण तथा उदयपुर के लिए सीख’ पर वार्ता आयोजित
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