उदयपुर में फिल्मसिटी बनाने हेतु यूसीसीआई ने भेजा सरकार को प्रस्ताव

उदयपुर। विगत कई वर्षों से उदयपुरवासियों द्वारा मांग उठाई जा रही है कि शहर में फिल्म उद्योग से जुड़े पर्यटन को और बढ़ावा देने के लिए फिल्मसिटी बनाई जाए। उल्लेखनीय है कि उदयपुर संभाग में वर्षभर फिल्मों की शूटिंग तथा फिल्मी हस्तियों का आना-जाना चलता रहता है। सन् साठ के दशक से उदयपुर में कई यादगार फिल्में एवं टीवी सीरियल फिल्माए गए हैं। देव आनन्द की ‘गाईड’ (1965), जेम्स बॉण्ड की ‘ऑटोपसी’ (1983), अमिताभ बच्चन एवं श्रीदेवी की ‘खुदा गवाह’ (1992), वेस एण्डरसन की ‘दार्जिलिंग लिमिटेड’ (2007) जैसी कई प्रसिद्ध फिल्में इसमें शामिल हैं।
हाल ही के वर्षों में उदयपुर में फिल्माए जाने वाले चलचित्र एवं टीवी सीरियल की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2013 में ‘रामलीला’ तथा 2015 में सलमान खान द्वारा अभिनीत ‘प्रेम रतन धन पायो’ जैसी फिल्मों में उदयपुर की खूबसूरती और शहरी परिवेश को काफी अच्छे से प्रदर्शित किया गया है। ऐसी दर्जनों फिल्में और टीवी सीरियल उदयपुर में हर वर्ष फिल्माए जाते हैं तथा इनके निर्देशक, कलाकार और फिल्म यूनिट के सदस्य कई हफ्तों-महिनों तक यहां ठहरते हैं। उदयपुर के होटल व्यवसायी, ट्रैवल एजेन्सियां तथा दूसरे अन्य सेवा प्रदाता मनोरंजन उद्योग को सुविधाएं मुहैया कराने में पारंगत हैं किन्तु इन सभी को संगठित किए जाने की आवश्यकता है।
यूसीसीआई के अध्यक्ष रमेशकुमार सिंघवी ने बताया कि उदयपुर के स्थानीय मनोरंजन व मीडिया उद्योग से लगभग 3000 लोग जुड़े हुए हैं। इनमें स्थानीय कलाकार, अभिनेता, फिल्म निर्माता, कहानी लेखक, निर्देशक, रेडियो प्रोग्रामर, टीवी एंकर, एडिटर, विडियोग्राफर, डिजाईनर, केटरर तथा लॉजिस्टिक्स सपोर्ट मुहैया कराने वाले शामिल हैं। उदयपुर में लगभग पांच स्थानीय न्यूज चैनल संचालित हैं तथा भविष्य में इनकी संख्या और बढ़ेगी। ऐसे में उदयपुर में फिल्मसिटी का होना अत्यन्त आवश्यक है। इससे न केवल मीडिया चैनल व फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों को सुविधाएं प्राप्त हो सकेगी अपितु उदयपुरवासियों में भी टीवी, फिल्म तथा मीडिया उद्योग के प्रति रूचि बढ़ेगी और रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकेंगे।
समय के साथ ही उदयपुरवासियों की भी थियेटर, ग्लैमर इवेन्ट्स, फैशन शो और म्युजिकल कन्सट्र्स के प्रति रूचि बढ़ी है। उदयपुर में आयोजित किए जा रहे ऐसे कार्यक्रमों के लिए एक अलग प्लेटफार्म की आवश्यकता है। इसके लिए विशेष तरह का ऑडिटोरियम होना चाहिए जिसमें थियेटर तथा अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जा सकें। साथ ही गांधीनगर अथवा प्रगति मैदान की तर्ज पर एक विशाल प्रदर्शनी स्थल एवं कन्वेनशन सेन्टर की स्थापना की जा सकती है जो कि फिल्मसिटी में ही शामिल हों। ऐसी विशिष्ट व्यवस्था उदयपुर में बढ़ते हुए कॉर्पोरेट कार्यक्रमों तथा डेस्टीनेशन वेडिंग के लिए भी उपयोगी साबित होगी।
उदयपुर सम्भाग में फिल्मांकन करने के लिए मनोरंजन उद्योग के प्रति जो रूचि है उसे देखते हुए पर्यटन के लिए और अधिक सम्भावनाएं तलाशने के प्रयास करने चाहिए। इन सभी तथ्यों के मद्देनजर यूसीसीआई ने राजस्थान सरकार को एक प्रतिवेदन प्रेषित कर उदयपुर में फिल्मसिटी की स्थापना किए जाने की मांग रखी है। श्री सिंघवी ने बताया कि यूसीसीआई द्वारा राज्य सरकार को भेजे प्रतिवेदन में यह सुझाव भी दिया गया है कि फिल्मसिटी परियोजना का पब्लिक-प्राईवेट-पार्टनरशिप प्रोजेक्ट के तहत क्रियान्वयन किया जाए। यूसीसीआई ने सरकार को यह सुझाव भी दिया है कि इसके लिए एक ‘स्पेशल परपज एनटिटी’ (एस.पी.ई.) बनाकर भूमि का शीघ्र आवंटन किया जाए ताकि फिल्मसिटी का कार्य शुरू हो सके। प्रतिवेदन की प्रतिलिपियां मुख्यमंत्री, पर्यटन मंत्री, कला साहित्य संस्कृति व स्थापत्य कलामंत्री तथा केन्द्रीय मंत्री सूचना एवं प्रसारण और केन्द्रीय मंत्री कला को भी भेजी गई है।
इस सन्दर्भ में एम. स्क्वायर प्रोडक्शन एण्ड इवेन्ट्स के सीईओ मुकेश माधवनी ने बताया कि फिल्मसिटी के विकास के लिए उनकी ओर से सरकार को कई बार ज्ञापन सौंपे गए हैं तथा हाल ही में सरकार की ओर से गोगुन्दा के निकट 526 बीघा भूमि चिन्हित की गई है जिसका सरकार द्वारा आवन्टन किया जाना बाकी है।

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