उदयपुर। “योग केवल आसन नहीं, यह जीवन जीने की संपूर्ण कला है।” इसी भाव को आत्मसात करते हुए मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का योग केंद्र समाज के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। कोरोना महामारी के बाद जब जीवन अस्त-व्यस्त था, तब इस केंद्र ने एक ऐसा संकल्प लिया, जो आज 1400 दिनों और 200 सप्ताहों की सतत साधना में बदल चुका है।
19 अक्टूबर 2021 को विवेकानंद ऑडिटोरियम के पास कैफेटेरिया हाल में एक माह का योग शिविर शुरू हुआ लेकिन छठे ही दिन प्रतिभागियों ने निश्चय किया कि “योग में अवकाश नहीं होना चाहिए।” उनकी यह सामूहिक इच्छा से शिविर की दिशा बदल गई। यह शिविर आज भारत का सबसे लंबे समय तक निरंतर चलने वाला योग अभ्यास शिविर बन चुका है।
वर्ष 2024 में 1000 दिन बिना अवकाश पूर्ण होने पर इसे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान मिला और आज यह शिविर 1400 दिनों का ऐतिहासिक पड़ाव छू चुका है।
जहाँ संकल्प और सहयोग हो, वहाँ असंभव भी संभव बन जाता है। इस शिविर में अब तक 134 विशेषज्ञ योग प्रशिक्षकों ने समय-समय पर नि:शुल्क सेवाएँ दीं। विशेष अवसरों जैसे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस और योग महोत्सव पर हजारों लोगों ने भाग लेकर स्वास्थ्य लाभ पाया। इस नियमित साधना से जुड़े कई साधक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रिकॉर्डधारी बने हैं। उनकी यह उपलब्धियाँ बताती हैं कि योग केवल स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि उत्कृष्टता की ओर भी ले जाता है।
योग शरीर को स्वस्थ और मन को विजयी बनाता है। उपरोक्त उल्लेखनीय उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए उदयपुर जिला प्रशासन ने गांधी ग्राउंड में आयोजित स्वाधीनता दिवस समारोह (15 अगस्त 2025) के अवसर पर विश्वविद्यालय के योग केंद्र को प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया। यह सम्मान योग केंद्र की साधना, निरंतरता और समाजोपयोगी योगदान की औपचारिक स्वीकृति है। आज सुखाड़िया विश्वविद्यालय का योग केंद्र केवल विश्वविद्यालय नहीं, बल्कि पूरे उदयपुर के लिए योग और अनुशासन की प्रेरणा बन गया है। यह शिविर सिखाता है कि— अनुशासन से ही निरंतरता जन्म लेती है। योग साधना सामूहिक चेतना को जाग्रत करती है। सेवा और समर्पण समाज को शक्ति प्रदान करते हैं। यह शिविर केवल योग का नहीं, बल्कि समाज के सामूहिक आत्मबल का भी उत्सव है।