सरकारी अनुमति से हो रहा आरटीडीसी होटल जयसमंद का रिनोवेशन कार्य : सुहालका

– पाल पर खतरा संबंधी भ्रामक तथ्यों का किया खंडन

उदयपुर।
जयसमंद स्थित ‘आरटीडीसी होटल जयसमंद’ को लेकर पिछले कुछ दिनों से प्रचारित किए जा रहे भ्रामक और बेबुनियाद तथ्यों को खारिज करते हुए होटल को लीज पर लेने वाले लाइसेंसी एपिटोम डेस्टिनेशंस के  निदेशक सुनील सुहालका ने प्रेसवार्ता में बताया कि होटल जयसमंद में रिनोवेशन का कार्य विभिन्न स्तरों पर सरकारी अनुमति के बाद नियमों के अनुरूप ही शुरू किया गया व इसमें कहीं पर भी ना तो कानून की अवेहलना हुई, ना ही वहां के पारिस्थितिकी तंत्र को कोई नुकसान पहुंचा है। प्रेसवार्ता में होटल कजरी के महाप्रबंधक सुनील माथुर, सहायक अभियंता उपखंड उदयपुर मनोजकुमार चतुर्वेदी, सूर्यप्रकाश सुहालका, जितेश व्यास, सुशील जैन, जगदीश पालीवाल, दीपक मेवाडा और सैयद मुजफ्फर भी उपस्थित थे।
सुहालका ने बताया कि उपरोक्त होटल के साथ तीन अन्य आरटीडीसी की सम्पत्तियां उनकी फर्म को अप्रेल 2021 में 5+5 वर्ष के अनुबंध पर दी गई है। कोरोनाकाल की वजह से इन सम्पत्तियों में रिनोवेशन का कार्य सुचारू रूप से शुरू नहीं किया जा सका था। इसी के तहत आरटीडीसी होटल जयसमंद में भी रिनोवेशन कार्य जुलाई में पुन: आरंभ किया गया है। उक्त प्रोपर्टी जब हमें चार्ज में दी गई तब वह अत्यंत जीर्ण-शीर्ण, दयनीय व खंडहर की स्थिति में थी। पिछले 15 वर्षों में इस संपत्ति में फर्शी इत्यादी को तोड़ कर झाडिय़ां व बबूल आदि उग गए थे। ऐसे में नई तकनीक से मरम्मत तथा रिनोवेशन कार्य करवाए बिना संचालन संभव नहीं था जिसकी स्वीकृति राजस्थान पर्यटन विकास निगम लिमिटेड अर्थात लाइसेंसर की ओर से अनुबंध की शर्तों के तहत प्रदान की गई। इसी रिनोवेशन कार्य में भवन में टूटे व क्रेक हो चुके स्विमिंग पूल की दीवारों को भी मजबूत कर ठीक कर आरसीसी से दीवारें भरी जानी थीं ताकि बारिश का पानी भवन की दीवारों, नींवों में न जा पाए व भवन को सीलन से बचाया जा सके। इसके साथ ही संपूर्ण भवन के रिनोवशन जिसमें नई वायरिंग, सेनेट्री, चॉक हो चुकी सिवरेज लाइनों को खुलवाना व दीमक से सड़ चुके दरवाजे इत्यादि को हटा कर नए दरवाजे व फर्नीचर आदि का काम होना है। इस कार्य के आरंभ होते ही कुछ अज्ञात तत्वों द्वारा आसपास के व्यावसायिक प्रतिस्पर्धियों के प्रभाव में बगैर किन्हीं तथ्यों की जानकारी के अफवाहें फैलाते हुए विरोध शुरू कर दिया गया। उनकी ओर से दी गई जानकारियां व तथ्य न सिर्फ भ्रामक हैं बल्कि हमारे फर्म तथा टूरिज्म सेक्टर सहित आरटीडीसी की गरिमा को गंभीर ठेस पहुंचाने वाले हैं।
सुहालका ने बताया कि होटल पाल पर स्थित नहीं है तथा राजस्व रिकॉर्ड में उसका खसरा नंबर 2282 व नक्शा टे्रस में उसकी स्थिति पाल से अलग है। जबकि जयसमंद पाल का खसरा नंबर 2284 है जो कि नक्शे में भी अलग दर्शाया गया है। वस्तुस्थिति यह है कि उक्त महल (होटल) पाल के उत्तरी छोर पर स्थिति अरावली पर्वतमाला की पहाड़ी को काट कर तत्कालीन महाराजा ने पहाड़ी के चौक पर बनाया था। महल की फर्शी के नीचे काटी गई पहाड़ी की चट्टानें मौजूद हैं। स्विमिंग पूल होटल में पर्यटन सुविधाओं का अभिन्न अंग है। बरसों से जर्जर हुए इस स्विमिंग पूल सहित भवन के अन्य समस्त हिस्सों को मजबूत रिनोवेशन की आवश्यकता है। इसी क्रम में समस्त कार्य स्वीकृति के साथ हमारे फंड से विशेषज्ञ विभागीय इंजीनियर की देखरेख में करवाए जा रहे हैं। उक्त संपत्ति हमें काफी कम समय के लिए लीज पर दी गई है ऐसे में इस पुरानी विरासत (होटल) का पुनरूद्धार व मरम्मत का काम करके पुन: पर्यटकों की सुविधानुसार सुचारू करना हमारे लिए बड़ी आर्थिक व मानसिक चुनौती है। रिनोवेशन कार्य के दौरान आम जनता व स्थानीय निवासियों को उद्वेलित करने वाले तत्वों की ओर से फैलाए भ्रम के आधार पर कुछ मीडिया समूहों द्वारा अपुष्ट समाचार प्रसारित करना गरिमा के अनुरूप नहीं है। हमारा मानना है कि सही तथ्यों के प्रकाश में ही समाचार प्रसारित किए जाने चाहिए।
सुनील सुहालका ने बताया कि होटल संचालन को लेकर वन विभाग और जल संसाधन विभाग का रवैया सहयोग व सद्भापूर्ण नहीं रहा है। आरटीडीसी ने होटल के लिए गार्डन व मुख्य दरवाजे को फेंसिंग से खुलवाने के लिए वन विभाग से कई पत्र व्यवहार किए जिसके बाद उप वन संरक्षक वन्यजीव श्री अजीत उचोई की ओर से होटल प्रबंधन को पत्र देकर स्वीकृति दी थी कि 10 फीट का अलग से दरवाजा व गार्डन आदि का निर्माण कर सकेंगे। इसके तुरंत बाद गार्डन व गेट आदि का कार्य करवा दिया जिसकी लागत लगभग 5 लाख की आई। कुछ समय बाद बगैर सूचित किए हमारे द्वारा स्वीकृति से निर्मित समस्त कार्यों को ईडीसी व फोरेस्टर की मौजूदगी में गत दिनों प्रात: 6 बजे हमारी अनुपस्थिति में जेसीबी लगा कर तहस-नहस कर सामग्री को मौके से गायब कर दिया गया। बाद में आवाजाही का मार्ग भी अवरूद्ध कर दिया गया। अब जल संसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता ने भी स्विमिंग पुल हेतु नोटिस विभाग को नहीं देकर गैर जिम्मेदाराना रूप से व्यक्तिगत देकर अनुचित रूप से परेशान किया जा रहा है। हमने समस्त नोटिसों का तथ्यात्मक जवाब दिया। अधूरे स्विमिंग पूल के काम को बीच में रोक दिए जाने के बाद बारिश होने पर पुल की साइड दीवारें ढह गईं जिन्हें तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है अन्यथा बरसाती पानी सीधे भवन को नुकसान पहुंचाएगा जिससे भवन के गिरने की भी आशंका है।  सुहालका ने स्पष्ट किया कि दिनांक 19 जुलाई को विभाग की ओर से इंजीनियर ने संपूर्ण मुआयना किया तथा प्राथमिकता के आधार पर पुल की सभी दीवारों को बनाने हेतु कहा ताकि भवन व पाल की सुरक्षा की जा सके। सुहालका ने कहा कि रिनावेशन कार्य से जयसमंद पाल को कोई खतरा नहीं है व इससे संबंधित सभी तथ्यों के मद्देनजर ही निष्पक्ष समाचारों का प्रसारण किया जाए।  

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