उदयपुर। पानी जीवन की एक बुनियादी आवश्यकता है। राजस्थान में अधिकांश जलस्रोतों में औसत से कम बारिश होने के कारण यहां पानी का अलग महत्व है। ऐसे में हिन्दुस्तान जिंक अपने संयंत्र को संचालित करने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा उपचारित जल का पुनःउपयोग किया जा रहा है।राजस्थान जैसे जल की कमी वालें राज्य में कार्य करना, पानी के महत्व को खासतौर पर दर्शाता है। यही वजह है कि यहां बारिश होने, कुओं में पानी आने और झीलों के भरने पर खुशी मनाई जाती है। जल संरक्षण के पारंपरिक स्रोतों ने यहां के लोगों का जीवन बचाया है। राजस्थान में प्रमुख आर्थिक सहयोग देने वाली कंपनी होने के नाते हिंदुस्तान जिंक द्वारा जल स्रोत पर पानी की कमी, रिसाइक्लिंग, पानी के वैकल्पिक स्रोतों की खोज और विभिन्न संरचनाओं के माध्यम से पानी की पूर्ति के लिए जोर दिया गया है। हिंदुस्तान जिं़क ने पानी के स्थायित्व के लिए लगातार प्रयास किए हैं। कंपनी के पास स्टेट एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स और रिसाइकलिंग सुविधाएं, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, जल दक्षता में वृद्धि और वर्षा जल संचयन संरचनाएँ हैं जिसने जल-प्रबन्ध अभियान एवं प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।यही वजह है कि हिंदुस्तान जिंक वाटर पॉजिटिव कंपनी के रूप में प्रमाणित की गई है।इस बारे में हिन्दुस्तान जिंक के सीईओ अरूण मिश्रा ने कहा ‘‘हिन्दुस्तान जिंक में हमने हमेशा विचारों, संसाधनों व प्रयासों से समुदायों को सशक्त बनाने में विश्वास किया है। हमारे पास जल प्रबंधन के लिए एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य हमारे प्रदर्शन में निरंतर सुधार करना हैै। यह उपलब्धि उन प्रयासों का प्रमाण है जो हमारी टीम ने वर्षों से जारी रखें हैं। जिनके द्वारा हम एक स्वच्छता एवं वाटर पाॅजिटिव शहर बनाने के सपने को हकीकत में बदलना चाहते हैं।’’हिंदुस्तान जिंक ने राजस्थान में पानी की महत्ता को समझते हुए जिम्मेदार कापोरेट नागिरक के रूप में उतनी ही शिद्दत के साथ काम किया है। देश में सबसे कम बारिश राजस्थान में होती है। इसी कारण यहां प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता भी कम है। राज्य में भूमिगत जल संसाधनों का भी अभाव है। ज्यादातर स्थानों पर पानी में ऑर्सेनिक, फ्लोराइड और लैड जैसे तत्वों की अधिकता है जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक है। ऐसे में हिंदुस्तान जिंक दूरदराज के गांवों में भी लोगों को पीने के लिए साफ पानी मुहैया करवा रहा है। पीने का साफ पानी उपलब्ध कराने के मॉडल प्रोजेक्ट के तहत आरओ प्लांट लगाए गए हैं जो 1000 एलपीएच शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवा रहे हैं। कुछ जगह वाटर एटीएम लगाए गए हैं, जहां से ग्रामीणों को बहुत सस्ते दर पर पीने का साफ पानी उपबल्ध हो रहा है। जिन इलाकों में साफ पानी के स्रोत उपलब्ध नहीं हैं, वहां मोबाइल वाटर टैंक के जरिये लोगों को साफ पानी पहुंचाया जा रहा है। अब तक आठ मदर आरओ प्लांट लगाए गए हैं और 17 जगह एटीएम स्थापत किए हैं। इसके जरिये 25 गांवों में 3200 से अधिक परिवारों को पीने का साफ पानी की आपूर्ति् की जा रही है। आने वाले समय में देबारी, दरीबा और चंदेरिया में पांच आरओ मदर प्लांट और 22 एटीएम के लिए काम चल रहा है। उदयपुर में सीवरेज से झीलों के पानी को बचाना सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। पहली बार हिंदुस्तान जिंक ने नगर निगम उदयपुर के साथ मिलकर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम हाथ में लिया और उसे पूरा किया। ऐसे में पीने योग्य पानी के वैकल्पिक स्रोतों को विकसित करने और उसके संरक्षण की आवश्यकता थी। ऐसे में हिंदुस्तान जिंक ने 2014 में सार्वज्निक-निजी-भागीदारी मॉडल के तहत 20 एमएलडी उदयपुर का पहला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित किया था जो राजस्थान में अपनी तरह का पहला है। हिंदुस्तान जिंक और उदयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने जून 2017 में एक और 40 एमएलडी सीवेज उपचार क्षमता बढ़ाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्रस्तावित 40 एमएलडी एसटीपी में से, 25 एमएलडी को जनवरी 2019 में पूरा कर दिया गया। इस साल 15 एमएलडी प्लांट का काम भी पूरा हो जाएगा। राजस्थान में जल संरक्षण की महत्ता को समझते हुए कंपनी ने अहम भूमिका अदा की है।हिंदुस्तान जिंक शीर्ष जल संरक्षण कंपिनयों में प्रमाणित: जल संरक्षण के मामले में हिंदुस्तान जिंक प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में लीडर की भूमिका अदा कर रही है। वेदांता समूह की हिंदुस्तान जिंक कंपनी को वाटर पॉजिटिव कंपनी घोषित किया जा चुका है। 2.41 के इस अनुपात के साथ, हिंदुस्तान जिंक शीर्ष् जल संरक्षण कंपनियों में प्रमाणित है।प्रदेश में प्रमुख आर्थिक सहयोग देने वाली कंपनी होने से जिंक द्वारा जल स्रोत पर पानी की रिसाइक्लिंग, पानी के वैकल्पिक स्रोतों की खोज और विभिन्न संरचनाओं के माध्यम से पानी की पूर्ति् के लिए जोर दिया जा रहा है। वाटर पॉजिटिव कंपनी सर्टिफिकेशन मेटल और माइनिंग कंपनियों में जिंक की स्थिरता और पानी के भंडारण की स्थिति की प्रतिबद्धता को दशार्त है। कंपनी आने वाले वर्षों में पांच गुना वाटर पॉजिटिव कंपनी बनने के लिए रणनीतियों और संरचनाओं को लागू करते हुए पानी के फुट प्रिन्ट को कम करने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है। कंपनी पानी की उपलब्धता बढ़ाने व पानी की गुणवत्ता में सुधार और वर्ष् 2025 तक उपलब्ध पानी तक पहुंच बढ़ाने के लिए काम करके अपने गांवों को पर्याप्त पानी देने पर काम कर रही है। Related posts: एचडीएफसी बैंक के द्वारा जारी की गई भारत की पहली…