नारायण सेवा संस्थान के 38वें सामूहिक विवाह ने दिया पर्यावरण एवं स्वच्छता का संदेश

डोली में बैठ साजन के घर चली 50 बेटियां ,देवस्थान मंत्री ने दिया सुखमय जीवन का आशीर्वाद

उदयपुर। नारायण सेवा संस्थान के 38वें निःशुल्क दिव्यांग एवं निर्धन युवक-युवती समारोह में लियो का गुड़ा स्थित सेवा महातीर्थ में 50 जोड़े वैदिक मंत्रों के उच्चारण के बीच पवित्र अग्नि को साक्षी में सात वचन लेकर एक-दूसरे के हो गए।

मुख्य अतिथि राज्य की उद्योग एवं देवस्थान मंत्री शुकन्तला रावत ने अपने वीडियो संदेश में नव दंपतियों को स्वस्थ, समृद्ध और सुखमय जीवन का आशीर्वाद दिय और संस्थान की सराहना करते हुए कहा कि अगर नारायण सेवा नहीं होती तो दिव्यांगों का इलाज कैसे हो पाता। साथ ही राज्य सरकार से हर सम्भव मदद का आश्वासन दिया। समारोह के सम्मानित अतिथि  राजस्थान धरोहर संरक्षण के सीईओ -आईएएस टीकम चन्द बोहरा, प्रदेश उपाध्यक्ष पीसीसी मनोहरलाल गुप्ता, देवस्थान सहायक आयुक्त दीपिका मेघवाल की उपस्थिति में गणपति वंदना के साथ विवाह समारोह आरंभ हुआ। अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थापक – चेयरमेन पद्मश्री कैलाश ‘मानव‘ ने कहा कि जिन दिव्यांग एवं निर्धन परिवारों के भाई-बहनों ने अपनी निशक्त व गरीबी को दुर्भाग्य मानते हुए गृहस्थी की कभी कल्पना भी न की, वे आज समाज के सहयोग से उनकी यह साध पूर्ण परम्परागत रीति और भव्यता के साथ पूरी होने जा रही है।

राजस्थान सरकार के जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी  मंत्री डॉ महेश जोशी ने संदेश में कहा कि नर सेवा नारायण सेवा ने समाज में मिसाल कायम की है। मैं सभी जोड़ों को वैवाहिक जीवन शुरू करने पर उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि विवाह में राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश, बिहार  आदि राज्यों के दिव्यांग एवं निर्धन जोड़ों में से अधिकतर की संस्थान के अस्पताल में ही दिव्यांगता सुधार की निःशुल्क सर्जरी हुई और यहीं उन्हें स्वावलम्बन एवं पुनर्वास की दृष्टि से रोजगार परक प्रशिक्षण प्राप्त हुए। इन जोड़ों में कोई पांव से तो कोई हाथ से दिव्यांग है। किसी जोड़े में एक विकलांग है तो साथी सकलांग है।

मेंहदी रस्म के दौरान विभिन्न राज्यों से आई महिला अतिथियों ने निदेशक वंदना अग्रवाल के साथ ढोलक की थाप पर मेहंदी के परम्परा गीत-नृत्यों की प्रस्तुति के बीच दुल्हनों के हाथों पर साजन के नाम से खिल उठे। इसके बाद दूल्हों द्वारा तोरण की रस्म अदा की गई।  मंच पर दूल्हा-दूल्हन ने एक-दूजे को वरमाला पहनाई और प्रेशर पम्प ने उन पर गुलाब की पंखुरियो की बौछार की। इस दौरान समूचा पाण्डाल तालियों और बधाई के समवेत स्वरों से गूंज उठा। इसके बाद 50 वेदी-कुण्डों पर उपस्थित आचार्यो ने मुख्य आचार्य के निर्देशन में वैदिक विधि से पाणिग्रहण संस्कार सम्पन्न करवाया। समारोह में भाग लेने वाले अतिथियों ने परिधान, आभूषण सामग्री जबकि एक गृहस्थी की सम्पूर्ण सामग्री संस्थान की ओर से प्रत्येक जोड़े को प्रदान की गई।

सभी जोडो को उपहार में एक-एक पौधा घर के बाहर लगाने और साफ सफाई रखने के लिये डस्टबीन भेंट किया गया तथा प्रतिक रूप में 5 दिव्यांग जोड़ों से संस्थान परिसर में छायादार पौधे लगवाये गये।   विदाई की वेला में जब दुल्हने डोली में बैठकर साजन के घर जाने के लिए विवाह मण्डप से बाहर आई तो सभी की आंखे नम हो उठीं, जोड़ों ने अतिथियों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया।  समारोह में सह संस्थापिका कमलादेवी अग्रवाल ट्रस्टी-निदेशक जगदीश आर्य, देवेन्द्र चौबीसा  आदि ने भाग लिया। संयोजन महिम जैन ने किया।

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