हरिद्वार में गंगातट पर स्थित महर्षि विश्वामित्र की तपःस्थली पर गायत्रीतीर्थ-शान्तिकुंज दिव्य आश्रम अखिल विश्व गायत्री परिवार का मुख्यालय है। शान्तिकुञ्ज के संस्थापक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य थे। यह स्थल हरिद्वार के सप्त सरोवर क्षेत्र में ऋषिकेश मार्ग पर स्टेशन से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
‘युगतीर्थ‘ कहे जाने वाले इस आश्रम में व्यक्ति-निर्माण, परिवार-निर्माण एवं समाज निर्माण की अनेक प्रभावशाली गतिविधियाँ नियमित रूप से चलती रहती हैं। इनमें जीवन जीने की कला के नौ दिवसीय सत्र, लोकसेवियों के युगशिल्पी सत्र, ग्राम्य विकास प्रशिक्षण, कुटीर-उद्योग प्रशिक्षण, नैतिक-शिक्षा हेतु शिक्षण-प्रशिक्षण, ग्राम स्वास्थ्य सेवियों के विशेष सत्र एवं विविध प्रशासनिक अधिकारियों के लिये व्यक्तित्व परिष्कार सत्र आदि प्रमुख हैं। यहां आने वाले साधकों, लोकसेवियों के लिये प्रेरणा-परामर्श देश-विदेश में स्थापित हजारों गायत्री शक्तिपीठों, प्रज्ञापीठों का मार्गदर्शन भी सहज सुलभ है। ये सब शिक्षण-प्रशिक्षण निशुल्क हैं। इन सारी गतिविधयों का संचालन सैकड़ों उच्चशिक्षित सेवाभावी स्वयंसेवक मात्र निर्वाह राशि लेकर करते हैं।
शांतिकुंज तीर्थ में यज्ञशाला, गायत्रीमाता मन्दिर, अखण्ड दीप, देवात्मा हिमालय मन्दिर, ज्ञानमंदिर, ऋषि के मन्दिर, हरीतिमा देवालय, देवसंस्कृति दिग्दर्शन प्रदर्शनी, अस्पताल एवं चिकित्साकेन्द्र जैसी मुख्य स्थापनाएँ सोने में सुहागा देतीं शोभित हैं।
1979 में स्थापित ब्रह्मवर्चस्व शोध संस्थान वैज्ञानिक अध्यात्म अनुसन्धान से जुडे़ शिविरों का संचालन भी की एक अन्यतम उपलब्धि है।