उदयपुर | केन्द्रीय संचार ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के क्षेत्रीय कार्यालय उदयपुर द्वारा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कोडियात,में बिरसा मुंडा जयंती के अवसर पर जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया |इस अवसर पर फोटो प्रदर्शनी, जागरूकता रैली तथा स्नेक रेस व् म्यूजिकल चेयर रेस प्रतियोगिता व् संगोष्ठी का आयोजन किया गया कार्यक्रम की शुरुआत संगोष्ठी को संबोधित करते हुए केन्द्रीय संचार ब्यूरो के तकनीकी सहायक परवेश कुमार ने कहा की बिरसा मुंडा आदिवासी जननेता होने के साथ साथ एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे |जनजातीय समाज के लोग बिरसा मुंडा को भगवान का अवतार मानते थे | इनका जन्म 15 नवम्बर 1875 को वर्तमान झारखंड राज्य के ऊलिह्तु में हुआ था |भारत सरकार ने बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को वर्ष 2021 से जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने के घोषणा की ताकि प्रथम सवतंत्रता संग्राम 1857 से आजादी आने तक देश के कोने कोने से आदिवासियों द्वारा गुलामी के खिलाफ जंग में दिए गये बलिदान से आने वाली पीढ़ी जागरूक हो सके |
इसी क्रम में अपने विचार रखते हुएविद्यालय की प्रधानाचार्य श्रीमती श्वेता यादवने कहा कि जल,जंगल और जमीन पर आदिवासियों के अधिकारों को लेकर उनके द्वारा किया गया संघर्ष अपने आप में मिसाल है। बिरसा मुंडा ने आदिवासी समाज को संगठित कर सामाजिक एवं आर्थिक स्तर में सुधार लाने के प्रयास के साथ “कर प्रथा” के खिलाफ आंदोलन खड़ा किया। उन्होंने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री मोदी ने 15 नवंबर 2021 को बिरसा मुंडा की शौर्य गाथा के स्मरण में रांची में निर्मितजनजातीय संग्रालय का लोकार्पण भी किया |
इस अवसर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की ऐ एन एम् सारिका सोनी ने कहा कि बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों द्वारा लागू की गई जमीदारी और राजस्व व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई छेड़ी। उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने समाज के लिए जीवन जिया, अपनी संस्कृति और अपने देश के लिए अपने प्राणों का परित्याग कर दिया। उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा एक सामान्य गरीब परिवार में जन्म लेकर, अभाव के बीच रहकर भी किसी का भगवान हो जाना कोई सामान्य बात नहीं है। मात्र 25 वर्ष के जीवन काल में तमाम अभाव,मानसिक और शारीरिक यातनाओं के बीच अपने बचपन से लेकर भगवान बनने तक की इस यात्रा को बिरसा मुंडा ने पूरा किया।
इस अवसर पर आयोजित रैली को विद्यालय की प्रधानाचार्य एवं स्टाफ द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया जो गाँव की विभिन्न गलियों से होते हुए वापस विद्यालय पहुंची | कार्यक्रम के अंत में प्रतियोगिताओं में विजेता रहे प्रतिभागीओं को विभाग की तरफ से पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया |