‘ये शाम मस्तानी’ और ‘रात नशीली……

लोककला मंडल में किशोर कुमार के बेटे अमित और पोती मुक्तिका ने गुनगुनाने को किया मजबूर
– ‘अमित कुमार लाइव इन कंसर्ट’, स्थानीय कलाकारों ने भी दिखाया जलवा
उदयपुर (डॉ. तुक्तक भानावत)। 
‘ये शाम मस्तानी’ और ‘रात नशीली मस्त समा है’ जैसे तरानों से मन के रंग में तरूणाई घोलने वाले मशहूर पाश्र्व गायक किशोर कुमार के गाये गीतों से यहां सजी गीत संध्या यादगार हो गई। यहां भारतीय लोक कला मंडल में शाम के सितार पर धुन की झंकार क्या हुई, श्रोता समुदाय किशोर-किशोर हो गया। मंच पर किशोर दा के पुत्र अमित कुमार और पौत्री मुक्तिका सहित साथी कलाकार और साजिंदे थे।


झीलों की नगरी उदयपुर में बुधवार संगीत की शाम सजी थी। पुराने गीतों में लोग खो गए और सुरों की महफिल इस कदर जमी की वे भी उन गीतों को गुनगुनाने लगे। जब महान गायक स्व. किशोर कुमार के बेटे अमित कुमार और पोती मुक्तिका गांगुली ने किशोर दा को याद कर अपने सुरों को बिखरना शुरू किया तो सबने तालियों से उनका स्वागत किया। दोनों ने शुरू से आखिरी तक श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्हीं के साथ आए सिंगर मकरंद और मंझे हुए साजिंदों ने माहौल इस कदर बना दिया कि उदयपुर संगीत में डूब गया।


‘अमित कुमार लाइव इन कंसर्ट’ का यह आयोजन इंदिरा एंटरप्राइजेज़, कश्ती फाउंडेशन और यूएसएम (अल्टीमेट सोल ऑफ म्यूजक़ि) के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय लोककला मंडल में हुआ। शाम 6.30 बजे आरंभ हुए कार्यक्रम में मंच पर अमित और मुक्तिका नहीं आए उससे पहले ही दर्शकदीर्घा खचाखच भर गई।


किशोर दा के सदाबहार गीतों की गूंज के साथ दर्शक झूम उठे। अमित कुमार ने अपने पिता को समर्पित मधुर गीतों से वातावरण को भावनाओं और संगीत के रंग में रंग दिया, जबकि उनकी पोती मुक्तिका गांगुली ने अपनी सधी आवाज़ में नई पीढ़ी के स्वर जोड़े।


एक से बढक़र एक गीतों के साथ जमी शाम :
अमित कुमार ने ‘हम किसी से कम नहीं’ मूवी का गीत बचना ऐ हसीनों लो मैं आ गया… सुनाया तो लोग अपनी जगह पर खड़े हो गए और झूमने लगे। जब उन्होंने 1959 की प्रसिद्ध फि़ल्म आराधना में किशोर कुमार द्वारा गाये गाने ‘कोरा कागज था ये मन मेरा.. लिख लिया नाम इस पर तेरा’ गुनगुनाया तो खचाखच भरे लोककला मंडल से खूब तालियां बजी। इसके बाद उन्होंने जवानी दीवानी फिल्म का गीत ये जवानी है दीवानी…‘हां मेरी रानी रुक जाओ…रानी देख जरा पीछे मुड़ के’ सुनाया तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। अमित ने जब दीवार फिल्म का किशोर दा गीत ‘कह दूं तुम्हें या चूप रहूं, दिल में मेरे आज क्या है जो बोलो तो जानू’ प्रस्तुत किया तो दर्शकों ने भी उनका साथ दिया। इसके बाद उन्होंने ‘हाल क्या है दिलों का न पूछो सनम, आपको मुस्कराना गजब ढा गया’ गीत सुनाया तो दर्शकों ने तालियां बजाकर उत्साहवर्धन किया।


उन्होंने बड़े अच्छे लगते है…, ये जमीं गा रही है, आसमां गा रहा है… खड़े है तुम… दीवाना दिल दीवाना…, रात कली एक ख्वाब में…, एक अजनबी हसीना से…, ये जो मोहब्बत है…, नीले नीले अंब पे.. आदि गाने भी सुनाए।
इसके पश्चात जब मुक्तिका ने मंच संभाला तब दर्शकों ने उनका जोरदार स्वागत किया। मुक्तिका ने कमली, क्रेजी किया रे गीत प्रस्तुत किया। उन्होंने दम मारो दम मिट जाए गम.. बोलो सुबह शाम हरे कृष्णा हरे राम’, सुनाया तो मंच के सामने से भी हरे कृष्णा हरे राम सुनाई दिया। उन्होंने तू क्या जाने.. गीत भी सुनाया।


स्थानीय प्रतिभाओं को मिला मंच, बिखेरा रंग :
कश्ती फाउंडेशन की फाउंडर श्रद्धा मुर्डिया ने बताया कि यह मंच केवल नामी कलाकारों के लिए नहीं, बल्कि शहर की प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए भी है। मंच पर मुख्य कलाकारों से पहले स्थानीय कलाकारों को मौका दिया गया। इसमें गौरव मेड़तवाल, कोमल बारहठ, कुणाल मेहता, कपिल पालीवाल, डॉ चित्रसेन, दिव्यांश शर्मा, कार्तिक सोमपुरा, भावेश वैरागी, युवराज सिंह, संदीप नागदा, अंकित चौहान और कनिष्का वर्मा जैसे उदयपुर के युवा कलाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से तालियां बटोरीं।
यूएसएम ग्रुप की प्रस्तुतियों ने बढ़ाई रौनक :
कार्यक्रम की शुरुआत और मध्यांतर में अल्टीमेट सॉल ऑफ म्यूजिक (यूएसएम) ग्रुप ने समूह गायन और वादन प्रस्तुत कर माहौल को जीवंत किया। ग्रुप के सदस्य उर्वशी सिंघवी, लता भंडारी, रेनू बांठिया, डॉ. एच.एस. भुई, दिनेश गलुंडिया, लवल छाबड़ा, मीतू कावेडिया, दीपा वर्मा, उमेश मनवानी, रानी भुई, सीमा सिंह, दिलीप सुराणा, संजय वर्मा और डॉ. एम.एल. गुप्ता ने सुरों और ताल के संगम से कार्यक्रम को नई ऊंचाइयां दी।
डॉ. अजय मूर्डिया के 73वें जन्मदिन को समर्पित संध्या :
संगीतमय संध्या प्रसिद्ध आईवीएफ विशेषज्ञ और फिल्म निर्माता डॉ. अजय मुर्डिया के 73वें जन्मदिन को समर्पित थी। कार्यक्रम की रूपरेखा नीतिज-श्रद्धा मुर्डिया और क्षितिज-आस्था मुर्डिया ने तैयार की, जिसमें इंदिरा मुर्डिया का भाव, अजय मुर्डिया का प्रेम और उदयपुर के संगीतप्रेमियों की रुचि का सुंदर संगम रहा। उनके पोते वीर मुर्डिया ने भी संगीतमयी शाम का आनंद लिया। उल्लेखनीय है कि यह कार्यक्रम इंदिरा स्वरांगन श्रृंखला का हिस्सा था, जिसके अंतर्गत पहले पद्मश्री अनुप जलोटा, गीतकार समीर अंजन, सुरेश वाडकर और विक्रम भट्ट जैसी हस्तियां प्रस्तुति दे चुकी हैं।
श्रद्धा मुर्डिया ने बताया कि यह आयोजन केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि कला के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन का प्रयास था। संगीत, संवेदना और समाज-इन तीनों के संगम ने उदयपुर की इस शाम को सचमुच अविस्मरणीय बना दिया।

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