नारायण सेवा संस्थान में ‘अपनों से अपनी बात’ का समापन
उदयपुर। दूसरे का दुःख जब अपना प्रतीत होने लगता है तो उसे दूर करने के लिए व्यक्ति सचेष्ठ हुए बिना रह नहीं‘ सकता’ यह बात नारायण सेवा संस्थान में पांच दिवसीय ‘अपनों से अपनी बात’ के समापन कार्यक्रम में संस्थान अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल ने कही। उन्होंने कहा कि जीवन वही सार्थक है, जो सेवा, सत्य और नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण है। छोटे-छोटे लाभ के लिए आदमी सत्य से समझौता करने के लिए सहज आगे बढ़ जाता है, यहीं से मनुष्यता का पतन शुरू हो जाता है। इस सम्बन्ध में उन्होंने भगवान बुद्ध, सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र, स्वामी विवेकानन्द जैसे महापुरूषों के जीवन प्रसंग सुनाए। जिन्होंने कठिनतम परिस्थितियों में भी नैतिक मूल्यों को नहीं छोड़ा और कर्तव्य तथा संकल्प पथ पर आगे बढ़ते रहे।
इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से क्लब फुट सर्जरी व कृत्रिम अंग हाथ-पांव लगवाने के लिए आए दिव्यागजन व उनके साथ आए परिचारकों ने भाग लिया।
अग्रवाल ने कहा कि समाज में परिवर्तन के लिए बहुत कुछ सहना और त्यागना पड़़ता है। दूसरों के दुःख-दर्द में उनसे सहानुभूति रखें, यथा सम्भव उचित मार्ग दर्शन दें, भूले-भटकों को सन्मार्ग पर चलाने का प्रयत्न करें। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी क्रोध पर नियंत्रण रखें। सत्य और क्षमा के आगे तलवार की धार भी कुंठित हो जाती है।
नैतिकता से परिपूर्ण जीवन ही सार्थक
