साइबर एथिक्स एवं ऑनलाईन सुरक्षा कार्यक्रम का दूसरा चरण लॉन्च

उदयपुर। पहले चरण की सफलता के बाद, साइबरपीस फाउंडेशन एवं व्हाट्सऐप ने विद्यार्थियों के लिए अपने ‘साइबर एथिक्स एंड ऑनलाईन सेफ्टी प्रोग्राम’ के दूसरे चरण के लॉन्च की घोषणा की। यह कार्यक्रम असम, राजस्थान और गुजरात में भी चलाया जाएगा और इसका उद्देश्य साइबरसिक्योरिटी एवं ऑनलाईन सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों के साथ 10,000 से ज्यादा विद्यार्थियों तक पहुंचना है। यूनिसेफ एवं राज्य के पुलिस अधिकारियों के परामर्श के साथ लॉन्च किया गया यह कार्यक्रम टीचर्स, अभिभावकों एवं विद्यार्थियों को सह-निर्मित पाठ्यक्रम का इस्तेमाल कर प्रशिक्षित करेगा और उन्हें बच्चों की ऑनलाईन सुरक्षा बढ़ाने के नुस्खे बताएगा। इन प्रशिक्षण सत्रों के अंत में, प्रतिभागी एक ‘साईबरपीस क्लब’ का निर्माण करेंगे, ताकि इस ज्ञान का संस्थाकरण कर मार्गदर्शन की रिपॉज़िटरी का प्रबंधन हो, जिसका इस्तेमाल अन्य विद्यार्थी ऑनलाईन सुरक्षा बढ़ाने के लिए कर सकें।
कैप्टन विनीत कुमार ने कहा कि साईबरपीस फाउंडेशन में हमारे मिशन एवं मूल्यों में तालमेल है। हम ऑनलाईन नुकसान कम करने एवं टेक्नॉलॉजी के सर्वाधिक फायदे लोगों तक पहुंचाने के लिए ढांचे व संकाय स्थापित करते रहेंगे। हम व्हाट्सऐप के साथ इस महत्वपूर्ण सहयोग को महत्व देते हैं, जो लोगों को डिजिटल नागरिकता, साईबर एथिक्स, ऑनलाईन सुरक्षा एवं साईबर सिक्योरिटी की शिक्षा देकर सशक्त बनाता है और हम ऑनलाईन सुरक्षित रहने के बारे में यूज़र्स के बीच जागरुकता बढ़ाने का अपना प्रयास जारी रखेंगे।
शिवनाथ ठुकराल, डायरेक्टर पब्लिक पॉलिसी, व्हाट्सऐप इंडिया ने कहा कि साईबरपीस फाउंडेशन के साथ हमारी साझेदारी के पहले चरण की प्रतिक्रिया उत्साहजनक है। इसने ऑनलाईन सुरक्षा के महत्वपूर्ण मामलों के प्रति काफी प्रभाव उत्पन्न किया है। पिछले एक साल में खासकर महामारी के दौरान, लोगों द्वारा ऑनलाईन बिताया जाने वाला समय बहुत ज्यादा बढ़ा है। कंज़्यूमर टेक स्पेस में अग्रणी मैसेजिंग सेवा के रूप में हमारा विचार है कि अब डिजिटल नागरिकता को सुरक्षित बनाना बहुत ज्यादा आवश्यक हो गया है और हमने ऑनलाईन बचाव एवं साईबर सुरक्षा की जागरुकता बढ़ाने में काफी निवेश किया है। व्हाट्सऐप में हमारे यूज़र्स की सुरक्षा व बचाव हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। व्हाट्सऐप पर संदेश भेजने वाले और प्राप्त करने वाले के बीच क्या संवाद हुआ इसकी कोई विज़िबिलिटी नहीं होती, क्योंकि यह एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड टेक्नॉलॉजी पर आधारित सेवा है, लेकिन हम उद्योग के विशेषज्ञों, सरकार/एकेडेमिया एवं साईबरपीस फाउंडेशन जैसे विश्वसनीय सहयोगियों के साथ मिलकर काम करते रहेंगे ताकि यूज़र्स को ऑनलाईन सुरक्षित रखने के बारे में ज्यादा जागरुकता व शिक्षा बढ़ाई जा सके। हमें विश्वास है कि इस कार्यक्रम का दूसरा चरण बड़े स्तर पर लोगों के बीच साईबर सुरक्षा की जागरुकता बढ़ाने में काफी प्रभावशाली रहेगा।
साईबरपीस फाउंडेशन ने ‘कर्टेलिंग क्राईम्स अगेंस्ट चिल्ड्रन इन डिजिटल स्पेसेस’ पर एक नेशनल कंसल्टेशन आयोजित की, जिसने विभिन्न अंशधारकों की भूमिका का विश्लेषण किया और बच्चों के लिए सुरक्षित डिजिटल स्पेस के निर्माण के लिए रणनीतियों की पहचान की। मंत्रालय, एकेडेमिया एवं एलईए सहित विभिन्न संगठनों के गणमान्य नागरिक इस वार्ता में शामिल हुए और सुरक्षित, शांतिपूर्ण एवं दृढ़ साईबरस्पेस सुनिश्चित करने के उत्तम उपायों का सुझाव दिया। इस अवसर पर संजय माथुर, आईपीएस, ज्वाईंट डायरेक्टर, एनसीआरबी; संजयकुमार दास, ज्वाईंट सेक्रेटरी, डिपार्टमेंट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स, पश्चिम बंगाल सरकार; राकेश महेश्वरी, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार; डॉ. रक्षित टंडन, एडवाईजऱ, साईबरपीस फाउंडेशन; डॉ. एंजेल रत्नाबाई, एनसीईआरटी; श्री शिलोहूराव, एनईजीडी; मिस. वान ची फम, चाईल्ड प्रोटेक्शन स्पेशियलिस्ट, यूनिसेफ; डॉ. नागरत्ना ए, एनएलआईयू, बैंगलुरू भी मौजूद थे। इसके बाद विशेषज्ञों के साथ एक पैनल वार्ता हुई, जिसका उद्देश्य ऑनलाईन सुरक्षा के संदर्भ में ऑनलाईन स्पेस में मुख्य चुनौतियों की पहचान करना एवं ऐसी रणनीतियों विकसित करना है, जो साईबरस्पेस में विश्वास व दृढ़ता स्थापित करने में मदद करे व डिजिटल नागरिकता एवं जिम्मेदार व्यवहार को बढ़ावा दे।
पहले चरण में, इस कार्यक्रम ने भारत में 5 राज्यों, दिल्ली, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड एवं महाराष्ट्र में विद्यार्थियों के बीच सुरक्षित ऑनलाईन व्यवहार की जागरुकता बढ़ाई। छह महीनों की अवधि में, 13 से 18 साल के बीच के 16,201 विद्यार्थियों को ऑनलाईन सुरक्षा के विभिन्न पक्षों की जानकारी दी गई।

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