डाबर च्यवनप्राश द्वारा उदयपुर में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

उदयपुर। मानसून का मौसम कई तरह की बीमारियां साथ लाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर हम इनकी चपेट में आ सकते हैं। बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं। रसायन तंत्र, आयुर्वेद की आठ विशेषताओं में से एक है। इसमें नवजीवन का संचार करने से संबंधित नुस्खे, आहार अनुशासन और विशेष स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले व्यवहार का विवरण मौजूद है। बच्चों को मौसमी बीमारियों के बारे में जानकारी देने के लिए डाबर ने उदयपुर क्रिकेट अकेडमी में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। अकेडमी के स्पोट्र्स कोच ने डाबर को इस पहल के लिए धन्यवाद दिया।
डॉ. परमेश्वर अरोड़ा, एम.डी. (आयुर्वेद), बी.एच.यू. ने कहा कि च्यवनप्राश एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक सूत्र है, जिसका इस्तेमाल कई दशकों से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया जा रहा है। सदियों पुराने इसी सूत्र पर आधारित डाबर च्यवनप्राश एक आयुर्वेदिक पूरक है, जिसमें विभिन्न जड़ी-बूटियों एवं खनिज लवण के गुण समाहित हैं। डाबर च्यवनप्राश अपने रोग प्रतिरोधी प्रभावों के कारण कई तरह की बीमारियों की रोकथाम में मदद करता है। डाबर ने कई प्रकार के नैदानिक एवं पूर्व-नैदानिक अध्ययनों का संचालन किया है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता, मौसम के दुष्प्रभावों, नासिका संबंधी एलर्जी एवं संक्रमण, इत्यादि पर लाभकारी प्रभावों की पुष्टि करता है। भारत में लोग सबसे ज्यादा मानसून का इंतजार करते हैं आमतौर पर मानसून में सर्दी एवं खांसी, मलेरिया, डेंगू, टाइफाइड और निमोनिया जैसी बीमारियां फैलती हैं। प्रतिदिन दो चम्मच डाबर च्यवनप्राश का उपयोग करना, दैनिक आहार में रसायन तंत्र को शामिल करने का एक तरीका है।
प्रशांत अग्रवाल, मार्केटिंग हेड- हेल्थ सप्लीमेंट्स, डाबर इंडिया लि. ने कहा कि आयुर्वेद की समृद्ध विरासत और प्रकृति के गहन ज्ञान के साथ, डाबर ने हमेशा प्रामाणिक अध्ययन के माध्यम से सभी के लिए सुरक्षित, लागत प्रभावी और प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान केंद्रित किया है। भारत में, लोग अपने ‘प्रकृति’ गुणों के कारण चिकित्सा हस्तक्षेप के रूप में हर्बल और वनस्पति अर्क को पसंद करते हैं। डाबर च्यवनप्राश आयुर्वेद के प्राचीन भारतीय ज्ञान और विज्ञान की अत्याधुनिक तकनीक से तैयार किया गया फॉर्मूलेशन है। यह उत्पाद खुद को दिन-प्रतिदिन के विभिन्न संक्रमणों से बचाने का एक आदर्श तरीका है। अमला (भारतीय आंवला) डाबर च्यवनप्राश का प्रमुख घटक है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले गुणों के लिए जाना जाता है। इसके अलावा गुदुची, पिप्पली, कांटाकरी, काकदासिंगी, भूम्यामालकी, वासाक, पुष्करमूल, प्रिष्णीपर्णी, शालपर्णी, आदि अन्य सामग्रियां भी सामान्य संक्रमण एवं श्वसन तंत्र की एलर्जी को कम करने में मददगार हैं। इस प्रकार च्यवनप्राश कई गुणकारी जड़ी-बूटियों का संतुलित मिश्रण है, जो मानसून के मौसम में रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान कर हमें बेहतर स्वास्थ्य देता है।

Related posts:

दि इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया ने मनाया विश्व दूरसंचार एवं सूचना समाज दिवस

हनुमानजी मंदिर में अन्नकूट महोत्सव

बामनिया कलां में वृक्षारोपण

हिन्दुस्तान जिंक द्वारा किसानों को आधुनिक कृषि एवं तकनीक की पहल अनुकरणीय : जिला कलक्टर

एचडीएफसी बैंक ने वित्तवर्ष 2022 में सीएसआर पर खर्च किये 736 करोड़ रूपये

एडीएम वारसिंह का सम्मान

उदयपुर में मंगलवार को मिले 6 कोरोना संक्रमित

जिंक की समाधान परियोजना से जुडे़ किसानों ने किया गुजरात कृषक उत्पादक संगठनों का दौरा

डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड ने महाराष्ट्र में महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण किया

The delicious flavour of Pulse now launched in Pulse Shots!

Legrandorganizes India’s first Electrician Job Fair in Udaipur

Valvolinelaunches its 1st Suraksha Initiative for “Mechanics” across the NationPost Unlock of Market...