‘बच्चन का काव्यः अभिव्यंजना और शिल्प’ का विमोचन

उदयपुर। डॉ. हरिवंशराय बच्चन अपनी कविताओं का विषय स्वयं ही थे जिनमें उनके मनोभावांे की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है। वे जीवन की आशाओं और निराशाओं से पूर्ण सन्तुष्ट थे। यह बात साहित्यकार डॉ. के.के. शर्मा ने डॉ. जय प्रकाश भाटी ‘नीरव’ की आठवीं पुस्तक ‘बच्चन का काव्यः अभिव्यंजना और शिल्प’ का विमोचन करते कही। उन्होंने कहा कि बच्चनजी ने हालावाद का प्रवर्तन कर हिन्दी साहित्य को नया मोड़ दिया जिसमें प्रेम ओर सौन्दर्य का अनूठा संगम है। पुस्तक केे लेखक ने बच्चन के साहित्य की विशेषताओं का उल्लख करते हुए कहा कि इन्हीं विशेषताओं से बच्चन पर उनकी यह तीसरी पुस्तक हैं।
डॉ. मलय पानेरी ने कहा कि परिस्थितियां भी कविता की भावभूमि बनाती हैै। बच्चनजी ने अपनी निजी अनुभूतियों को लेकर भी समाज केे सुख-दुःख का कविताओं में सजीव चित्रण किया है। डॉ. नवीन नंदवाना ने बच्चनजी का गीत ‘दिन जल्दी ढलता है’ का पाठ करते हुए कहा कि कवि सांसारिक कठिनाईयों से जूझ रहा है, फिर भी जीवन से उसका गहरा लगाव है। डॉ. गिरीशनाथ माथुर ने कहा कि बच्चन कवि से पहले कहानीकार भी थे। राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव डॉ. लक्ष्मीनारायण नन्दवाना ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि बच्चन पर कलम चलाना गहरी समझ का कार्य है। संयोजक विष्णु शर्मा हितैषी ने बच्चनजी के अनछुए परिदृश्यिों के परिप्रेक्ष्य मंे अपनी बात रखी। धन्यवाद ज्ञापन प्रकाशक हरीश आर्य ने किया। कार्यक्रम में डॉ. लक्ष्मीलाल वर्मा, डॉ. अंजना गुर्जर गौड़, प्रेमलता शर्मा, दुर्गाशंकर गर्ग साहित साहित्यप्रेमी मौजूद थे।

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