उदयपुर। प्रख्यात शिक्षाविद्, सुलझे साहित्यकार एवं समाजभूषण डॉ. ओंकार सिंह राठौड़ का मंगलवार को 85 वर्ष की उम्र में असामयिक निधन हो गया। उनका जन्म 31 जुलाई 1935 को राजसमंद जिले के सुप्रसिद्ध केलवा ठिकाने में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा वहीं के रावले में हुई। तत्पश्चात उदयपुर के भूपाल नोबल्स संस्थान में स्कूली शिक्षा प्राप्त कर वहीं एग्रीकल्चर कॉलेज से बीएससी कर अमेरिका के ओहायो विश्वविद्यालय से पीएच. डी. की उपाधि प्राप्त की। तदनंतर उदयपुर लौटकर एग्रीकल्चर कॉलेज में अध्यापन कार्य करते हुये इस क्षेत्र में विशेषज्ञ के रूप में अपनी पहचान बनाई।
इतिहास एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में अपनी पैठ कायम करने वाले डॉ. राठौड़ वर्षांे तक विद्या प्रचारिणी सभा के उपाध्यक्ष रहे। ठा. रामसिंह इनके दादा थे जो केलवा के प्रथम सरपंच और मेवाड़ में महेन्द्र राज सभा के सम्मानित सदस्य रहे। उन्हीं के सुयोग्य मार्गदर्शन में डॉ. राठौड़ पल्लवित पोषित एवं सुसंस्कारी बने। उदयपुर में रहते हुए अपने परिवारजनों को उच्च शिक्षण प्रदान कर समाजसेवा की बहुआयामी प्रवृत्तियों की प्रेरणा देते हुए उन्होंने स्वयं इतिहास के क्षेत्र में साहित्य सृजन किया। उनका संपर्क अनेक विद्वानों, साहित्यजनों एवं ख्यात मनीषियों से रहा। वे निरंतर उनसे संवाद करते हुए अपने यहां भी उन्हें आमंत्रित कर अनेक विचार गोष्ठियां, संगोष्ठियां तथा साहित्यिक परामर्श का आदान-प्रदान करते रहे। उनके निधन से राजस्थान के इतिहास, साहित्य, संस्कृति तथा पर्यटन क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति रही जिसकी निकट भविष्य में पूर्ति असंभव ही लगती है।
शिक्षाविद् डॉ. ओंकारसिंह राठौड़ का निधन
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