पर्यावरण के अनुकूल विजिटर सुविधाएं, पैदल चलने के रास्ते और शैक्षिक केंद्र विकसित होगें
प्राकृतिक आवास को बनाए रखने के लिए चेक डैम और तालाब जैसी जल संरक्षण की पहल होगी
उदयपुर : वल्र्ड बायोडायवर्सिटी डे पर, भारत की एकमात्र और दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने बाघदड़ा नेचर पार्क में मगरमच्छ संरक्षण रिजर्व को विकसित करने और बढ़ाने के लिए वन विभाग, उदयपुर के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इस एमओयू के तहत 5 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा, जिसमें पशु रिजर्व के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस सहयोग का उद्देश्य मगरमच्छ के लिए प्राकृतिक आवास की स्थिति को बढ़ाना, जल संरक्षण उपायों को लागू करना और स्थायी इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए विजिटर की सुविधा के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार करना है।

यह पहल वनरोपण, चेक डैम और तालाबों जैसे जल संरक्षण बुनियादी ढांचे और पैदल चलने के रास्तों, आश्रयों और शैक्षिक प्रदर्शनियों सहित पर्यावरण के प्रति संवेदनशील आने वाले क्षेत्रों के विकास के माध्यम से मगरमच्छों के लिए प्राकृतिक आवास को बहाल करने पर केंद्रित है।
एमओयू के तहत, हिन्दुस्तान जिंक नेचर पार्क में पहुंच को बढ़ाने के लिए पैदल चलने के रास्ते, आगंतुकों की सुविधाओं और पर्यावरण के अनुकूल सुविधाओं सहित प्रमुख बुनियादी ढांचे के विकास को वित्तपोषित और देखरेख करेगा। रिजर्व के पारिस्थितिक मूल्य और पहुँच दोनों में सुधार से परियोजना का उद्देश्य एक ऐसा स्थान बनाना है जहाँ संरक्षण और पर्यटन दोनो बढे़गा, जिससे वन्यजीव और स्थानीय अर्थव्यवस्था दोनों को लाभ हो।
वेदांता लिमिटेड की नाॅन एक्जीक्यूटीव डायरेक्टर एवं हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की चेयरपर्सन प्रिया अग्रवाल हेब्बर ने कहा कि बायो डायवर्सिटी हमारे ग्रह का दिल है। छोटी से छोटी तितली से लेकर बड़े बाघ तक, हर जीव इसकी धड़कन में अहम भूमिका निभाता है। पशु कल्याण और जैव विविधता संरक्षण केवल अतिरिक्त सोच ही नहीं बल्कि जिम्मेदारी से इनका विकास भी हमारी प्रमुखता है। टीएसीओ और हमारी संरक्षण योजनाओं के जरिए हम पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं और ऐसा भविष्य बना रहे हैं जहाँ पशु और समुदाय साथ-साथ तरक्की करें। मशहूर अभयारण्यों के साथ हमारी साझेदारी प्रकृति के नाजुक संतुलन को बनाए रखने की हमारी गहरी प्रतिबद्धता को दिखाती है।
उप वन संरक्षक उदयपुर सुनील कुमार सिंह ने कहा कि इस तरह की सार्वजनिक-निजी भागीदारी प्राकृतिक आवासों के कायाकल्प में महत्वपूर्ण है। हिन्दुस्तान जिंक के सहयोग से हमें विश्वास है कि बाघदड़ा रिजर्व एक जीवंत पारिस्थितिक क्षेत्र और वन्यजीव संरक्षण के लिए एक ज्ञान केंद्र के रूप में विकसित होगा।
यह एमओयू हिन्दुस्तान जिंक की अपने परिचालन पारिस्थितिकी तंत्र में जैव विविधता की सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक प्रतिबद्धता में प्रमुख मील का पत्थर है। इसके अतिरिक्त, इसके व्यापक वनीकरण प्रयास कार्बन सिंक प्रदान करते हैं। कंपनी ने वन महोत्सव सप्ताह के दौरान राजस्थान और उत्तराखंड में अपनी परिचालन इकाइयों के आसपास 20 लाख से अधिक पौधे लगाकर महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की। कंपनी ने द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के सहयोग से चंदेरिया लेड-जिंक स्मेल्टर में 16 हेक्टेयर बंजर भूमि को समृद्ध ग्रीनबेल्ट में बदलने के दूसरे चरण की भी शुरुआत की है। बंजर भूमि, जिसमें अयस्क से धातु निष्कर्षण के दौरान उत्पन्न अवशिष्ट अपशिष्ट जारोफिक्स है जिसमें पौधे लगाकर हरियाली का कार्य शुरू हो गया है। इस परियोजना में माइकोराइजा तकनीक का उपयोग किया जाता है हिन्दुस्तान जिंक प्रकृति से संबंधित वित्तीय प्रकटीकरण (टीएनएफडी) रिपोर्ट पर टास्कफोर्स शुरू करने वाली पहली भारतीय कंपनी भी है, जिसका उद्देश्य प्रकृति से संबंधित जोखिमों और अवसरों को रणनीतिक योजना में एकीकृत करना है। इसके अतिरिक्त कंपनी ने इंटरनेशनल यूनियन फाॅर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर के साथ तीन वर्ष के महत्वपूर्ण सहयोग हेतु हस्ताक्षर किए हैं। हिन्दुस्तान जिंक ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन को कम करने, वाटर पाॅजिटिवीटी को बढ़ाने, वेस्ट को रिसाइकिल करने और जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए नवीन तकनीकों और लक्षित पहलों को अपनाने में अग्रणी रहा है। कंपनी को जल सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन में अपने अनुकरणीय प्रयासों के लिए कार्बन डिस्क्लोजर प्रोजेक्ट (सीडीपी) से प्रतिष्ठित लीडरशिप बैंड (ए-) पदनाम भी मिला है। हिन्दुस्तान जिंक अपनी सभी खनन साइटों पर जैव विविधता (बायोडायवर्सिटी) के शुद्ध नुकसान को शून्य करने के लिए लगातार योजना बना रहा है और प्रयास कर रहा है। यह लक्ष्य 2020 के आधार वर्ष के मुकाबले हासिल किया जाएगा और इसमें खदान बंद होने तक की अवधि शामिल है।