सनातनी चातुर्मास में 15 अक्टूबर से होगा बगलामुखी हवन
उदयपुर। चाहे पंथ अनेक हों, हम सब हिन्दू एक हैं। जो हिमाचल की तरह अटल और चंद्रमा की तरह प्रखर होकर दमकता रहे, वह हिंदू है। हिन्दू संस्कृति सर्वे भवन्तु सुखिनः के मंत्र को जीवन में रखती है और अपने स्वाभिमान और आत्मरक्षा के लिए भी स्वयं को सशक्त रखने की शिक्षा देती है। हिन्दू संस्कृति के एक हाथ में ज्ञान देने वाले शास्त्र रखती है तो आततायियों का अंत करने के लिए दूसरे हाथ में शस्त्र भी धारण करती है।
यह बात यहां बड़बड़ेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में चल रहे सनातनी चातुर्मास के अंतर्गत महा शिवपुराण कथा के तीसरे दिन अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास सुशील महाराज ने कही। उन्होंने धर्मों रक्षति रक्षितः श्लोक की व्याख्या करते हुए कहा कि जो धर्म की रक्षा करेगा, धर्म उसकी रक्षा करेगा। धर्म सिर्फ पूजा पद्धति ही नहीं है, धर्म मनुष्य की चराचर जगत के प्रति जिम्मेदारी का अहसास भी है, पारिवारिक-सामाजिक कर्तव्य की सीख भी देता है, व्यक्ति के संस्कारों का द्योतक धर्माचरण है।
कथा व्यास ने यज्ञों के प्रकार बताते हुए कहा कि गृहस्थ जीवन में देव यज्ञ करना चाहिए। देव यज्ञ में न्यूनतम 5 आहुति नित्य देने का प्रावधान कहा गया है। अपने धर्म के नित्य शास्त्र का पठन पाठन ब्रह्म यज्ञ कहलाता है, जीव जंतुओं को भोजन कराना भूत यज्ञ कहलाता है, दिन-हीन की सेवा करना मनुष्य यज्ञ कहलाता है और पितृ का श्राद्ध तर्पण करना पितृ यज्ञ कहलाता है।
मीडिया संयोजक मनोज जोशी ने बताया कि बड़बड़ेश्वर महादेव के प्रांगण में दिगम्बर खुशाल भारती महाराज के सानिध्य में सनातनी चातुर्मास में नित्य प्रति अनुष्ठानों का क्रम जारी है। 25 जुलाई से शुरू हुए पंच पुराण कथाओं के क्रम में यह दूसरी कथा है। महा शिवपुराण कथा का समय दोपहर 1.30 से शाम 5.30 बजे तक है। कथा 21 अगस्त तक चलेगी। शहर से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सूरजपोल व पानेरियों की मादड़ी से बड़बड़ेश्वर महादेव, बलीचा ट्रांसपोर्ट नगर के सामने तक बस सुविधा भी रखी गई है। चातुर्मास के तहत 15 अक्टूबर से 21 नवम्बर तक 54 कुंडीय मां बगलामुखी का हवन होगा। विश्व में अभी तक ऐसा अनुष्ठान कहीं नहीं हुआ है।