उदयपुर : महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के न्यासी डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के दिशा-निर्देशन में सिटी पैलेस संग्रहालय के बाड़ी महल में फाउण्डेशन की 55वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में पारम्परिक संगीत एवं गायन के साथ मेवाड़ जीवन्त धरोहर उत्सव मनाया। आयोजन के माध्यम से विरासत में मिले संगीत और कला धरोहर को संजोने और संरक्षित करने का संदेश दिया।
इस अवसर पर बाड़ी महल में आर्टिस्ट हरफूल राम नायक ने वाद्य यंत्र ‘रवनहत्था’ पर अपनी धुनों से पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कलाकार राजेश पंचोली ने जल सांझी कला के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण की पेन्टिग बनाई, जो दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र रही। साथ मेवाड़ के पारम्परिक वाद्य यंत्र ‘ढोल’ पर गायिकाओं और बाईयों ने अपनी मनमोहक गायकी से पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रदर्शित पारम्परिक कठ-पुतलियों ने भी पर्यटकों को फोटो के लिए विशेष रूप से आकर्षित किया।
महाराणा भगवत सिंह जी मेवाड़ ने 55 वर्ष पूर्व महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की स्थापना कर विभिन्न जनसेवी योजनाओं को करने का निर्णय लिया था, जो अनवरत रहे है। वर्तमान में मेवाड़ राजपरिवार के सदस्य और फाउण्डेशन के न्यासी डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के निर्देशन में मेवाड़ धरोहरों के संरक्षण-संवर्द्धन के साथ ही मानव एवं पर्यावरण कल्याण के क्षेत्र में कई कार्य योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। फाउण्डेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. मयंक गुप्ता ने बताया कि इस उत्सव में पर्यावरण के क्षेत्र में लाभप्रद एवं उपयोगी हस्त निर्मित सामग्री तथा हस्तशिल्पियों को बढ़ावा देने का मुख्य उद्देश्य देश-विदेश से यहाँ आने वाले पर्यटक हस्तशिल्प को प्रत्यक्ष रूप से देख व समझ सके।
गौकृति संस्था ने इस अवसर पर गोबर से निर्मित उत्पादों का नवाचार प्रस्तुत किया, जिनमें गऊ गोबर पेपर से निर्मित पेन, नोट पेड, डायरियां, धार्मिक पुस्तकें, सजावटी सामग्री, हवन सामग्री, टेबल कैलेंडर आदि है। इनका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण मुक्त सामग्री का प्रसार करना है, ताकि देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इन उत्पादों के बारे में जान सकें। और हस्तशिल्प कलाकारों के लिए नए बाजार उपलब्ध हो सकें। इसके साथ ही मिट्टी से बने हस्तनिर्मित दीयों के निर्माण की प्रक्रिया भी दर्शाई गई। आयोजन में कठपुतली फोटो बूथ भी लगाया गया था, जहां पर्यटक तस्वीरें खिंचवा रहे थे।
उदयपुर आने वाले पर्यटकों ने हस्तनिर्मित वस्तुओं में खासी रूची दिखाई तथा स्थानीय कला एवं कलाकारों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए इसे वर्तमान परिस्थितियों में पर्यावरण के लिए अति महत्व का बताया।