नेस्ले इंडिया ने मैगी स्पाइन प्लान के माध्यम से भारत के मसाला किसानों को मदद करने की शपथ ली

उदयपुर। मसाले और हब्र्स किसी भी व्यंजन को स्वादिष्ट बनाने की क्षमता रखते हैं, ये साधारण सी रेसिपी में भी जान डाल देते हैं। मसाले नेस्ले के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का अभिन्न हिस्सा हैं और इनका उपयोग कई प्रोडक्ट्स, खासतौर पर मैगी में किया जाता है। मसाला किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में मदद करने के लिए नेस्ले मैगी ने एक स्थायी सोर्सिंग प्रोग्राम की शुरूआत की है। ट्रेसेबिलिटी एवं किसानों से मसालों की जि़म्मेदाराना प्राप्ति (सोर्सिंग) को सुनिश्चित करने वाला यह प्रोग्राम पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाता है तथा मसाला किसानों और मसालों की आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े हर व्यक्ति एवं कारोबार पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करता है। मैगी स्पाइस प्लान के तहत कुछ पहलुओं पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है जैसे मिट्टी की अच्छी सेहत को सुनिश्चित करना, पानी की बर्बादी न होने देना, कीटनाशकों का उपयोग न करना, किसानों के आर्थिक लाभ एवं जैव विविधता को सुनिश्चित करना।  
नेस्ले इंडिया के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेश नारायण ने कहा कि मसाले भारत के लिए और भारतीयों के लिए बहुत अधिक मायने रखते हैं, इसीलिए ये मैगी पोर्टफोलियो का भी अभिन्न हिस्सा हैं। नेस्ले इंडिया में हम हमेशा से अपने हितधारकों, खासतौर पर अपने संचालन वाले समुदायों पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करने के लिए प्रयासरत रहे हैं। यह प्रोग्राम तीन पहलुओं पर आधारित है: धरती, लोग एवं मुनाफा (किसानों के लिए)। इसके माध्यम से हम किसानों को खेती की स्थायी एवं सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं के बारे में जागरुक बनाकर उनकी आजीविका में सुधार लाना चाहते हैं, ताकि वे सर्वश्रेष्ठ उत्पादों का उत्पादन कर सकें, जो उनके जीवन एवं काम को उनके लिए पूरी तरह से सुरक्षित भी बनाएं।
इस प्रोग्राम के तहत सबसे पहले सात मसालों- मिर्च, हल्दी, धनिया, जीरा, सौंफ, मेथी और जायफल- की ट्रेसेबिलिटी पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है। इन सातों मसालों का उपयोग मैगी के उत्पादों में होता है। भोजन में उपयोग किए जाने वाले मसालों को हानिकर कीटनाशकों, एडिटिव्स और जलवायु परिर्तन के प्रभावों से मुक्त रखने लिए फूड ट्रेसेबिलिटी बेहद महत्वपूर्ण है। यह परियोजना पहले से 2020 में 7 राज्यों- आन्ध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, राजस्थान और गुजरात के 39 गांवों में तकरीबन 1300 किसानों के जीवन को प्रभावित कर रही है और 2022 के अंत तक इसमें 15 फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान है। दूसरा पहलू है जि़म्मेदाराना सोर्सिंग जो चार तरह से लाभकारी है- यह किसानों के लिए स्थायी आजीविका सुनिश्चित करती है, उनके कार्य एवं जीवन को सुरक्षित बनाती है, जैव विविधता और पर्यावरण के अनुकूल स्थायी खेती को सुनिश्चित करती है।  
पिछले सालों के दौरान हमने जिस तरह मसाला किसानों का भरोसा जीता है, उससे नेस्ले इंडिया को अन्य कृषि समुदायों में भी इसी तरह के प्रयास जारी रखने और हमारे संचालन वाले समुदायों पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करते रहने की प्रेरणा मिलती है

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