उदयपुर। युगप्रधान आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासनश्री मुनि सुरेशकुमार ने कहा कि सम्बंधों की दीवार में दरार तभी आती है जब विचार में तकरार हो। जो सहता है वही रहता है। जो सहन करता है वही रिश्तों में सफल होता है। वह घर स्वर्ग है जहां शांति से दो वक्त की रोटी खाकर चैन की नींद सो सकें। ये विचार मुनिश्री ने तेरापंथ भवन में रविवारीय प्रवचन ‘रिश्तों के फर्श पर हो मिगस का स्पर्श’ विषय पर व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि जुबान पर शुगर फैक्ट्री और दिमाग पर आइस फैक्ट्री स्थापित करे तो घर पर स्वर्ग उतर आयेगा। कोई आग बने तो पानी बन जाओ तभी सात फेरों का साथ जीवन भर का बंधन बन जाता है। मुनि प्रवर ने कहा कि अपेक्षा बढ़ेगी तो उपेक्षा बढ़ेगी। परिवार मैं चीनी की तरह रहे, जहां भी जाएं मिठास घोले दे।
मुनि संबोधकुमार ‘मेधांश’ ने में कहा कि रिश्ते बिजली के तारों की तरह हैं। गलत जुड़े तो झटके देंगे और सही जुड़े तो रोशनी बिखेरेंगे। घर और मकान में बहुत बड़ा फर्क है। घर अपनों से और सपनों से बनता है, मगर मकान ईंट चुने और पत्थरों से बनता है। संबंध कांच के समान होते हैं। उन्हें संभाल कर रखे वरना टुटकर बिखर जाएंगे। छोटी-छोटी बातें दिल में रखने से बड़े-बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं। जब नाखून बढ़ते हैं तो उन्हें काटा जाता है न कि उंगलियों को। इसी तरह कभी रिश्तों में दरार आ जाए तो दरार को मिटाए ना कि रिश्तों को।