उदयपुर। पेसिफिक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, पिम्स हॉस्पिटल, उमरड़ा में चिकित्सकों ने छह माह से बीमारी से पीडि़त मरीज का सफल उपचार किया है।
पिम्स के चैयरमेन आशीष अग्रवाल ने बताया कि उदयपुर निवासी 40 वर्षीय मरीज को पिछले छह महीने से दमा एवं खांसी में बलगम व खून (हेमोप्टाइसिस) की शिकायत थी जिसके चलते गत दिनों मरीज को पिम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
एक्स-रे में बाएं मध्य क्षेत्र में रेडियो-अपारदर्शी छाया दिखाई दी। इसके अलावा सीईसीटी ने बाएं ऊपरी लोब में हवा के फॉसी के साथ हाइपो सघन घाव दिखा, जो बड़े ब्रोन्कोसेले, हाइडैटिड सिस्ट का संकेत देता है। ब्रोंकोस्कोपी की योजना रेस्पिरेटरी टीम के डॉ. सानिध्य टांक, डॉ. गुरमैहरसिंह ठेठी, डॉ. अर्पित जौहर, डॉ. शुभनीश चौधरी, डॉ. गौरांगसिंह जादौन, डॉ. अब्दुल वहाब मिर्जा व टेक्निशियन गिरिराज द्वारा बनाई गई थी। ब्रोंकोस्कोपी की गई और लैमिनेटेड झिल्ली की तरह संरचनाओं की आकांक्षा की गई, जिससे लेमिनेटेड सिस्ट दीवार का पता चला।
इसके बाद मरीज का ऑपरेशन किया गया और सिस्टिक घाव वाले लोब को हटा दिया गया और हिस्टोपैथोलॉजी के लिए भेजा गया, जिसमें फंगल संक्रमण के साथ हाइडैटिड सिस्ट दिखाई दिया। मरीज को एंटीफंंगल दवा दी गई और छुट्टी दे दी गई। पिम्स के रेस्पिरेटरी विभाग के चिकित्सकों ने बताया कि आमतौर पर इन मामलों को विफलता के साथ निमोनिया के रूप में इलाज किया जाता है। कभी-कभी बड़े पैमाने पर हेमोप्टाइसिस से मृत्यु हो सकती है, इसलिए पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए और तदनुसार काम किया जाना चाहिए।