फ़ाइबर निर्मित दो विशाल हाथियों का अनावरण 

पंजाब के राज्यपाल कटारिया द्वारा सिटी पैलेस में हाथी प्रतिमाओं का अनावरण
  उदयपुर।
महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउंडेशन, उदयपुर द्वारा सोमवार को माणक चौक के ऐतिहासिक हाथी अगड़ में भव्य हाथी मूर्तियों का अनावरण पंजाब के राज्यपाल  और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाबंद कटारिया द्वारा किया गया। इस अवसर पर फाउंडेशन के ट्रस्टी डॉ. लक्ष्यराजसिंह मेवाड़, राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया, सांसद मन्नालाल रावत, शहर विधायक ताराचंद जैन, ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, भाजपा शहर जिलाध्यक्ष रवीन्द्र श्रीमाली, देहात जिलाध्यक्ष चंद्रगुप्तसिंह चौहान  सहित कई प्रबद्धजन उपस्थित थे।


समारोह में राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि जो आदर्श मेवाड़ के राजघराने ने रखा है, वह दुनिया में कहीं नहीं मिलता। बप्पा रावल ने ठेठ कंधार तक जाकर अपनी तलवार का लोहा मनवाया। बप्पा रावल को हारित राशि ने यह आशीवार्द दिया और उन्होंने ही यह परिपाटी शुरू की कि हमारे यहां राजसिंहासन पर भगवान एकलिंगनाथ बिराजमान होंगे। हम तो केवल और केवल उनकी सेवा करेंगे और इसको चलायेंगे। आज आपने बड़ा मन रखकर जनप्रतिनिधि होने के नाते हमारा स्वागत किया लेकिन मैं सोचता हूं कि आज दूसरा काम हुआ है। स्वागत करने का काम हम लोगों का है। इस कारण से नहीं कि लक्ष्यराजसिंहजी यहां बिराजमान हैं, इसलिए कि आप मेवाड़ कुल के दीपक हैं। हम इतना पढें़ भी नहीं हैं लेकिन हम जानते हैं कि मेवाड़ ने इस संस्कृति और धर्म को बचाने के लिए अपनी पीढिय़ां खपाई। राणा सांगा का युद्ध  दुनिया आज भी याद करती है लेकिन हमारा दुर्भाग्य यह रहा कि हमारे पाठ्य पुस्तकों में से ये चीजें चली जाने से हम अपने अतीत को समझ नहीं पाये कि यह कुल किस प्रकार से धर्म और संस्कृति के लिए अपना सबकुछ देने वाला है। महाराणा भगवतसिंहजी के साथ कुछ समय तक रहने का हमें भी सौभाग्या मिला। उनके ही कारण से उदयपुर में ट्यूरिज्म की शुरूआत हुई जिससे उदयपुर आज ट्यूरिज्म का हब बन गया है।  
मूर्ति के गहन महत्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि यह उत्कृष्ट श्रद्धांजलि मेवाड़ के महान हाथी योद्धाओं की अटूट निष्ठा, अदम्य साहस और शानदार विरासत का भावनात्मक प्रमाण है। हाथी मेवाड़ की ऐतिहासिक सेना का एक अभिन्न अंग थे। उन्होंने अपने दुश्मनों के दिलों में भय और चिंता की भावना भर दी और मेवाड़ विरासत की बेजोड़ ताकत और रणनीतिक क्षमता के एक शक्तिशाली अवतार के रूप में खड़े थे। मेवाड़ के 61वें संरक्षक महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय ने 1710 से 1734 ई. तक के अपने शासनकाल के दौरान कई भव्य संरचनाओं के निर्माण का आदेश दिया, जो विशेष रूप से उनके विशाल योद्धाओं को समायोजित करने के लिए डिज़ाइन की गई थीं और उनके सावधानीपूर्वक रखरखाव में गहरी व्यक्तिगत रुचि ली। हाथियों के दैनिक दिनचर्या का सावधानीपूर्वक हाथी अगड़ के मैदान में प्रबंधन किया जाता था, जो औपचारिक क्षेत्र था जहाँ उनकी फिटनेस का कड़ाई से मूल्यांकन किया जाता था और यह सुनिश्चित करने के लिए परिश्रमपूर्वक बनाए रखा जाता था कि वे लगातार युद्ध के लिए तैयार रहें और शीर्ष शारीरिक स्थिति में रहें।

Related posts:

दानवीर भामाशाह की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित

गोवर्धन सागर में दीपदान कर जल संरक्षण का संकल्प लिया

Hindustan Zinc receives CSR Leadership Award

राज्य बजट में उदयपुर जिले को मिली कई सौगातें

A First: Syedna’sMuharram sermons all Live Streamed on YouTube

आचार्य तुलसी सिलाई प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना

जीवन विज्ञान शिविर सम्पन्न

इंदिरा मुर्डिया के जन्मदिवस पखवाड़े के तहत भव्य आयोजन

मेवाड़ राजघराने के धर्मगुरु गोस्वामी महाराज श्री 108  श्री डॉ. वागीश कुमार की डॉ. लक्ष्यराजसिंह मेवा...

देश के भविष्य को शिक्षा के अवसरों से दिशा दिखाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा हिन्दुस्तान जिंक

नारायण सेवा में होलिका दहन

शत प्रतिशत हरित ऊर्जा से संचालित होगा वेदांता, हिन्दुस्तान जिंक का पंतनगर मेटल प्लांट

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *