मिनरल उद्योग पर ट्रांजिट पास व्यवस्था हटाने से 20 जिलों के मिनरल ग्राइंडिंग उद्योग को राहत मिली

ऑल राजस्थान मिनरल प्रोसेसरस एसोसिएशन ने कहा कि सरकार का आभार कि हमारी बात को सुना और समाधान किया-

उदयपुर।
ऑल राजस्थान मिनरल प्रोसेसरस एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि राजस्थान के 20 जिलों के मिनरल ग्राइंडिंग उद्योग से जुड़े उद्यमियों को मिनरल उद्योग पर ट्रांजिट पास व्यवस्था हटाने से राहत मिली है। इसके लिए राजस्थान की सरकार का आभार जताते हैं। यह बात रविवार को ऑल राजस्थान मिनरल प्रोसेसरस एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल, महासचिव रोहित मेहता ने पत्रकार वार्ता में कही।
अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल ने कहा कि पूर्व में मिनरल उद्योग पर लागू की गई उक्त व्यवस्था का राजस्थान के करीब 20 जिलों में कार्यरत मिनरल ग्राइंडिंग उद्योग के लोगों ने पुरजोर विरोध किया था। इस व्यवस्था के खिलाफ ऑल  राजस्थान मिनरल प्रोसस्सोर्स एसोसिएशन के माध्यम से पूर्व में माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। माननीय उच्च न्यायालय ने मौखिक रूप से स्थगन आदेश प्रदान किया था तथा राज्य सरकार को कहा था कि इसको वापस रिव्यू करें लेकिन सरकार का रवैया सकारात्मक नहीं रहा तब एसोसिएशन द्वारा ज्ञापन दिया गया जिस पर तत्काल जिला कलेक्टर ने मुख्य सचिव को ट्रांजिट पास व्यवस्था को अव्यवहारिक बताते हुए उद्योग हित में समाप्त किए को लेकर मिनरल उद्यमियों की बात सरकार तक पहुंचाई। फलस्वरुप तत्कालीन मुख्य सचिव ने उद्योग विभाग एवं खान विभाग को एक कमेटी बनाकर इस पर रिव्यू किए जाने का आदेश दिया।


रोहित मेहता ने बताया कि उस समय बनाई गई कमेटी ने भी सरकार को इस व्यवस्था को बदलने की सिफारिश की। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष और वर्तमान पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने स्वयं अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल से मुलाकात की जिसमें कि उन्होंने खनिज उद्योगों पर लागू की गई इस व्यवस्था को समाप्त करने की मंशा जाहिर की लेकिन सरकार ने उद्योगों को पलायन करने की दिशा में धकेलते हुए उच्च न्यायालय में दिए गए अपने हलफनामा से बदलते हुए उद्योगों पर जबरदस्त आर्थिक भार डालते हुए 25000 वार्षिक शुल्क व 10 रुपए प्रति ट्रांजिट पास का शुल्क लगा दिया। इसके खिलाफ पुनः संगठन व अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दी गई एवं सरकार को 15 दिवस में यह व्यवस्था समाप्त करने वह आर्थिक भार नहीं लगाए जाने का माननीय उच्च न्यायलय ने आदेश दिया जिस पर सरकार द्वारा आचार संहिता लग जाने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई।
राजस्थान में नई सरकार के आते ही मुख्यमंत्री व खान मंत्री के समक्ष मामला लाया गया। स्थानीय स्तर पर निदेशक, अतिरिक्त निदेशकों व खनिज अभियंता के संज्ञान में उक्त विषय लाया गया फलस्वरुप स्थानीय स्तर की सिफारिश को जयपुर भेजा गया। स्टेक होल्डर से मीटिंग के क्रम में खान सचिव टी रविकांत ने बैठक में उक्त विषय को गंभीरतापूर्वक सुनकर इसे समाप्त करने की ओर बढ़ाने का आश्वासन दिया। नई खनिज नीति 2024 में खनिज के परिवहन पर लागू की गई ट्रांजिट पास व्यवस्था समाप्त किए जाने की घोषणा की गई। इससे व्यापार जगत में हर्ष की लहर है साथ ही आने वाले समय में मिनरल ग्राइंडिंग उद्योगों को एक नया आयाम मिलने की पूरी संभावनाएं बनी है।
बीकानेर माइनर मिनरल उद्योग संघ के अध्यक्ष विजय कुमार जोषी, उपाध्यक्ष अभिशेक सिंघानिया, सचिव अषोक सोलंकी तथा कोशाध्यक्ष संजय भनोत ने वर्तमान सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस सरकार ने खनिज आधारित उद्योगों से जुडे व्यवसायियों की गत पांच वर्शों से लंबित टीपी मुक्ति मांग को सुना व समाधान किया। इससे खनिज उद्योग आधारित व्यापार का पलायन समीपवर्ती राज्यों में हो रहा था जिस पर रोकथाम लगेगी व भविश्य में इन उद्योगों का चहुंमुखी विकास होकर राज्य की आय में वृद्धि होगी।  
संगठन के अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल ने लागू की गई नई मिनरल पॉलिसी इंडस्ट्रियल पॉलिसी साथ ही साथ एम-सेंड पॉलिसी का स्वागत करते हुए सरकार को धन्यवाद ज्ञापित किया। सभा में महासचिव रोहित मेहता, उपाध्यक्ष प्रकाश फुलानी, कोषाध्यक्ष राजेंद्र पुरोहित, सह सचिव आशीष मित्तल, सह कोषाध्यक्ष अशोक ओझा, पलाश वैश्य, गिरीश भगत, राकेश नाहर, सुरेश जैन, सुनील छाजेड़, अशोक बंसल, राकेश मिश्रा, मुकेश गोदावत, प्रकाशचंद्र जैन, दीपक सुखेजा, अनुराग माहेश्वरी, अशोक चौहान, विय जैन, विनोद जैन उपस्थित रहे व सरकार को धन्यवाद् ज्ञापित किया।
इससे पहले ऑल राजस्थान मिनरल प्रोसेसरस एसोसिएशन का स्नेह सम्मेलन एवं धन्यवाद ज्ञापित कार्यक्रम रविवार को फील्ड क्लब में आयोजित किया गया। इसमें बड़ी संख्या में पूरे राजस्थान के अनेक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभा में सरकार द्वारा पूर्व में लागू की गई ट्रांजिट पास व्यवस्था को एलिमिनेट करने का स्वागत किया।

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