प्रख्यात लोककलाविज्ञ और भारतीय लोक कला मंडल के पूर्व निदेशक डा. महेंद्र भानावत का निधन

— उदयपुर में 26 फरवरी को होगा अंतिम संस्कार 

उदयपुर। राजस्थान के प्रख्यात लोककलाविज्ञ और उदयपुर के भारतीय लोक कला मंडल के पूर्व निदेशक डॉ. महेन्द्र भानावत का मंगलवार को उदयपुर में निधन हो गया। 87 वर्षीय डा. भानावत पिछले कई दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। 

मूलत: उदयपुर के कानोड़ कस्बे में 13 नवम्बर 1937 को जन्मे भानावत की अंतिम यात्रा बुधवार को उनके निवास आर्ची आर्केड कॉम्पलेक्स न्यू भूपालपुरा उदयपुर से सुबह 9.30 बजे अशोक नगर स्थित मोक्षधाम के लिए रवाना होगी। 

भानावत अपने पीछे पुत्र—पुत्रवधु डॉ. तुक्तक भानावत—रंजना भानावत, बेटी डॉ. कविता मेहता एवं डॉ. कहानी भानावत और पौत्र शब्दांक—अर्थांक सहित भरा परिवार छोड़ गए। 

भानावत के जीवन के बारे में :

मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय उदयपुर से एम.ए. (हिन्दी) एवं 1968 में ‘राजस्थानी लोकनाट्य परम्परा में मेवाड़ का गवरीनाट्य और उसका साहित्य’ विषय पर पीएच.डी. की उपाधि की। गवरी आदिवासी भीलों द्वारा भाद्र मास में खेला जाने वाला विविध खेलों, स्वांगों तथा लीलापरक आख्यानों का मिलाजुला नृत्यानुष्ठान है। यह सबसे खास बात है कि सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह 1967 में जिन पांच छात्रों को पी.एचडी. उपाधि प्रदान की गई उनमें से डा. भानावत एक थे। उन्होंने मीरा के जीवन को लेकर उनकी पुस्तक निर्भय मीरा में उन तथ्यों को लिया जिसका किसी और का ध्यान नहीं गया। उनके करीब 10 हजार से ज्यादा हिंदी और राजस्थानी में रचनाएं प्रकाशित हुई है। आदिवासी जीवन और संस्कृति पर करीब 12 से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हुई है। 

कई पदों पर रहे भानावत :

भारतीय लोककला मण्डल, उदयपुर में 1958-62 में शोध सहायक रहे भानावत आगे जाकर वहीं डायरेक्टर बने। उनकी पहली पुस्तक ‘राजस्थान स्वर लहरी’ भाग एक थी। डॉ. महेन्द्र भानावत ने करीब 100 से ज्यादा पुस्तकें लिखी और उनके अधीन कई शोधार्थियों ने पीएचडी की है। वे राजस्थान सरकार द्वारा स्वतंत्र पत्रकार के रूप में 2003 से निरंतर अधिस्वीकृत पत्रकार है। 

कई विशिष्ट-सम्मान एवं पुरस्कार मिले :

डा. भानावत को राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा विशिष्ट साहित्यकार सम्मान, उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ द्वारा लोकभूषण पुरस्कार, जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह द्वारा मारवाड़ रत्न कोमल कोठारी पुरस्कार, भोपाल की कला समय संस्कृति शिक्षा और समाज सेवा समिति द्वारा ‘कला समय लोकशिखर सम्मान’, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर ने दो लाख पच्चीस हजार रूपये का ‘डॉ. कोमल कोठारी लोककला पुरस्कार’, कोलकाता के विचार मंच ने 51 हजार रूपये का  ‘कन्हैयालाल सेठिया पुरस्कार’ प्रदान किया। इसी प्रकार राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर द्वारा फेलो, उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ द्वारा राजस्थान के थापे, मेंहदी राचणी, अजूबा राजस्थान पुस्तक पर ‘पं. रामनरेश त्रिपाठी नामित पुरस्कार’, महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन, उदयपुर द्वारा भारतीय परिवेशमूलक लोकसाहित्य लेखन पर ‘महाराणा सज्जनसिंह पुरस्कार’ तथा भीलवाड़ा में आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में भंवरलाल कर्णावट फाउंडेशन द्वारा सम्मान सहित करीब 80 से ज्यादा पुरस्कार डा. भानावत को मिले है।

यहां भी रही भागीदारी :

भानावत ने समय-समय पर एसआईईआरटी, उदयपुर द्वारा पाठ्य-पुस्तकोंं के लिए राजस्थानी तथा हिंदी में पाठ-लेखन कर चुके तथा एनसीईआरटी, नई दिल्ली में आयोजित कार्यशाला में भागीदारी एवं पाठ-लेखन से लेकर एनएसडी, नई दिल्ली में आयोजित कार्यशाला में भागीदारी रही।

Related posts:

आदर्श कोऑपरेटिव की बैठक संपन्न

हिन्दुस्तान जिंक ने नवीन तकनीक और नवाचारों से उत्पादन और सुरक्षा को बढ़ाया

Hindustan Zinc hands over 500 Oxygen Concentrators to Hon’ble Chief Minister of Rajasthan in fight a...

जिसमें मदद का भाव नहीं, वही गरीब : प्रशांत अग्रवाल

सर पदमपत सिंघानिया विश्वविद्यालय का ग्यारहवां दीक्षांत समारोह सम्पन्न

पिम्स में गंभीर वायरल बुखार से पीडि़त मरीज का सफल इलाज

नवजात की श्वांस नली का सफल ऑपरेशन

वेदांता चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने की मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात

जाग्रत हनुमानजी को धराया छप्पन भोग

डूबते को बचाने वाला दिव्यांग मुकेश पुरस्कृत

सैयदना साहब की मोहर्रम में दस वाअज़ का यूट्यूब पर पहली बार लाइव प्रसारण

डेयरी फार्मिंग से हो रहा आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था का निर्माण