उदयपुर (डॉ. तुक्तक भानावत ) : श्रीमाली नवयुवक सेवा संस्थान द्वारा आयोजित सामूहिक ढूंढोत्सव का आयोजन शुक्रवार को टाइगर हिल स्थित संस्कार भवन में किया गया। इस विशेष अवसर पर सैकड़ों युवा और उनके परिवारजन एकत्रित हुए और धुंधोत्सव का आनंद लिया।
कार्यक्रम के दौरान 7 बच्चों के साथ साथ 5 बच्चियों की भी ढूंढ की गई। आमतौर पर बच्चों की ही ढूंढ होती है लेकिन श्रीमाली समाज में बच्चियों के जन्म पर भी खुशिया मनाई जाती है और हर बार बच्चियों का भी ढूंढोत्सव आयोजित होता है। जिसके बाद संस्थान के अध्यक्ष प्रकाश श्रीमाली ने उपस्थित जनसमूह को ढूंढोत्सव के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन समाज को एकजुट करने और कम खर्च में सामाजिक आयोजन के लिए मदद करते है।
बच्चों के जन्म के बाद आने वाली पहली होली के मौके पर ढूंढोत्सव का आयोजन होता है। ढूंढ का विशेष महत्व माना गया है और माना जाता है कि बच्चे को होलिका दहन के अवसर पर परिक्रमा लगाई जाती है और ढूंढ करते हुए नवजात की बुआ उसे गोद में लेकर बैठती है और समाज के लोग उसे ऊपर लकड़ी बजाते है जिससे माना जाता है कि मासूम का किसी भी शोर या भीड़ से डर दूर हो जाए।
संस्थान के पंकज लटावत ने इस आयोजन की सफलता के लिए सभी कार्यकर्ताओं और उपस्थित जनसमूह का धन्यवाद किया और कहा कि इस प्रकार के आयोजन भविष्य में भी आयोजित किए जाएंगे ताकि समाज में जागरूकता फैल सके। कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेंद्र दशोत्तर, भगवती लाल दशोत्तर, ललित दुर्गावत, उमेश श्रीमाली,bकार्यक्रम संयोजक हेमेंद्र जगनावत, संरक्षक शांतिलाल ओझा और दिनेश लटावत भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में श्री श्रीमाली समाज संस्था मेवाड के अध्यक्ष दिग्विजय श्रीमाली, महिला समिति की अध्यक्ष रेखा श्रीमाली भी मौजूद रही।
ढूंढ के अवसर पर एक विशेष गीत –
हरिया बाग रे हरिया बाग
वागा जा रे बागा जा
हरिया विचे तोर तुरंगी
जा विच वावे चंपा डाली
जू जू चंपा मोटा वेवे
मारो बालक (नवजात बच्चे का नाम) मोटा वेवे
श्रीमाली नवयुवक सेवा संस्थान द्वारा आयोजित हुआ सामूहिक ढूंढोत्सव, 12 बच्चों की हुई सामूहिक ढूंढ
