उदयपुर। मेले हमारी सभ्यता और संस्कृति के सदाबहार सरोकार ही नहीं अपितु अतीत एवं भावी जन्मों के कल्याणकारक भी हैं। ये विचार राजस्थान राज्य मेला प्राधिकरण के राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त रमेश बोराणा ने लोकसंस्कृति मर्मज्ञ डॉ. महेंद्र भानावत के निवास पर चाय-चुस्की के दौरान व्यक्त किए।
डॉ. भानावत ने बताया कि मेले देव-दर्शन, नदी पवित्रम, अस्थि विसर्जन, महात्मा मिलन पूरा निधि, संस्कृति संगम, खरीद-फरोख्त, प्रिय मिलन के प्रतीक भी हैं इस अवसर पर बोराणा ने कहा कि ऐसे प्रयत्न किए जा रहे हैं कि आमजन को आस्थामूलक जानकारी के साथ ऐसी यथोचित व्यवस्था हो जिससे हर मेलार्थी घर जैसी सुविधा महसूस कर सके। इस अवसर पर डॉ.भानावत ने बोराणाजी का आत्मानंदी अभिनंदन किया। भेंट के दौरान डॉ तुक्तक और रंजना भी उपस्थित थे।