पुनरागमनाय च के साथ हुई 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ में देव शक्तियों की विदाई

चार दिवसीय गायत्री महायज्ञ का रविवार को पूर्णाहुति के साथ हुआ समापन, साधक और श्रद्धालु हुए भावुक, एक दूसरे को गले मिलकर दी विदाई
यज्ञ ही संपूर्ण विश्व का मूल आधार है- आचार्यश्री शर्मा
उदयपुर।
गायत्री शक्तिपीठ की ओर से फतह स्कूल प्रांगण में चल रहे चार दिवसीय 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का तीन पारियों में पूर्णाहुतियों के साथ रविवार को समापन हुआ। तीन पारियों में से हर पारी में 24000 आहूतियां हुई। समापन अवसर पर यज्ञ मंडप में वेद मंत्रों के साथ स्थापित दिव्य शक्तियों को विधि विधान के साथ पुनरागमनाय च के साथ विदाई दी गई। इस अवसर पर केंद्रीय कमेटी के डॉ. आलोक व्यास एव ंके. के. व्यास के सान्निध्य में देव मंच से साधको एवं श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की गई।
प्रवक्ता हेमंत श्रीमाली ने बताया कि समापन अवसर पर अनुमान से ज्यादा साधक और श्रद्धालु साधना करने पहुंचे। उनकी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए गायत्री परिवार ने तीन पारियों में आहूतियो का क्रम निर्धारित किया। गायत्री शक्तिपीठ हरिद्वार शांतिकुंज से आई टोली का गायत्री परिवार ने हार्दिक अभिनंदन एवं स्वागत किया। कार्यक्रम मे मनोज बिष्नोई का भी पूर्ण सहयोग रहा।  


इस अवसर पर साधकों एवं श्रद्धालुओं को आहुतियां एवं उन्हें दीक्षित करते हुए आचार्य सुनील शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति जिसे देव संस्कृति, ऋषि संस्कृति एवं वैदिक संस्कृति कहा जाता है, यह देव संस्कृति यज्ञ पर आधारित है इसीलिए भारतीय संस्कृति को यज्ञ संस्कृति कहते हैं। पुराणों में कहा गया है कि यज्ञ ही संपूर्ण विश्व की नाभि यानी मूलाधार है। द्रव्य  के माध्यम से संपूर्ण सृष्टि का भरण पोषण करते हैं। ऐसा शतपथ महर्षि याज्ञवल्क्य ने कहा है। यज्ञ के माध्यम से पर्जन्य, प्राण, ऊर्जा उत्पन्न होता है जिसमें आसपास के समस्त वातावरण में नवीन ऊर्जा, नवीन चेतना का विकास होता है तथा उस क्षेत्र में धन- धान्य की वर्षा होती है। गायत्री यज्ञ को घर-घर पहुंचाने वाले पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का यज्ञोपवीत संस्कार महामना मदन मोहन मालवीय ने करते समय कहा था कि गायत्री मंत्र कामधेनु है जो संपूर्ण मानवीय चेतना का उत्कर्ष करती है जिससे मानसिक एवं शारीरिक समस्याओं का निदान होता है।
ललित पानेरी ने बताया कि इस 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ आयोजन करने का उद्देश्य कोरोना एवं लंपी महामारी से वातावरण की शुद्धि एवं स्वच्छता तथा संपूर्ण भारत के उत्थान को लेकर रहा है।
हेमंत श्रीमाली ने बताया कि यज्ञ के अंतिम दिन  दस विद्यारंभ संस्कार, तीन यज्ञोपवीत संस्कार, पांच नामकरण संस्कार, छह पुंसवन संस्कार तथा चार अन्नप्राशन संस्कार हुए। भोजनशाला प्रभारी के रूप में राजेंद्रकुमार त्रिपाठी, महेश जोशी, बाबूलाल पानेरी, भारत सिंह एवं चंद्रप्रकाश गौड़ ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रविवार को अनुमान से ज्यादा साधक और श्रद्धालुओं के पहुंचने के बावजूद भोजन की व्यवस्था को सुचारू रूप से संपादित किया गया। उसके लिए पूरे गायत्री परिवार ने उनका आभार ज्ञापित किया।

Related posts:

वृक्षारोपण कर पिम्स हॉस्पिटल उमरड़ा में मनाया डॉक्टर्स डे

नारायण सेवा संस्थान ने दी श्रद्धांजलि

एक फीडिंग बोतल को तोड़ो, एक जिंदगी को जोड़ो : डॉ देवेंद्र सरीन

नागौरी व लढा को जयप्रकाश नारायण स्मृति में अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय अवार्ड देकर पूर्व राष्ट्रपति कर...

तीसरी नेशनल व्हीलचेयर क्रिकेट चैम्पियनशिप-2022 में हरियाणा और यूपी फाइनल में

राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री पहुंचे फ्लिक्‍सबस मुख्‍यालय, निवेश, नौकरियों और बस ऑपरेटर्स के डिजिटल सशक्...

नारायण सेवा का अफ्रीका में दिव्यांग सहायता शिविर

गुलाबी दीदियां - स्वदेशी महिला चेंजमेकर्स डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया की मातृ और शिशु मृत्यु दर के खिल...

राजस्थान के कौस्तुभ ने हिन्दुस्तान जिंक और स्मृतियां टैलेंट हंट ‘प्रतिभा‘ का विजेता बनकर विश्वस्तर प...

व्हील चेयर क्रिकेट कुंभ 27 नवम्बर से

Hindustan Zinc partners with Inland EV Green Services for the deployment of EV trucks for green logi...

मानव सेवा से बडी कोई सेवा नहीं - कटारिया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *