उदयपुर : आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के राष्ट्रीय आयुष मिशन के अंतर्गत आयुर्वेद विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा उदयपुर में निःशुल्क दस दिवसीय अंतरंग शल्य चिकित्सा एवं आयुर्वेद चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जायेगा । यह शिविर 14 से 23 दिसम्बर तक सेवा भारती चिकित्सालय परिसर, मल्लातलाई में आयोजित होगा। शिविर का संयोजन विभाग के वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्साधिकारी वैद्य डॉ. शोभालाल औदीच्य द्वारा किया जाएगा।
आयुर्वेद विभाग उदयपुर, उपनिदेशक डॉ. राजीव भट्ट ने जानकारी दी कि शिविर में पाइल्स, फिस्टुला और फिशर जैसी बीमारियों का उपचार आयुर्वेद की प्रामाणिक क्षारसूत्र पद्धति से विशेषज्ञों द्वारा रोगी को भर्ती रखकर किया जाएगा। क्षारसूत्र पद्धति द्वारा पाइल्स, फिशर, फिस्टुला जैसे रोगों में सूक्ष्म और नियंत्रित उपचार किया जाता है। इसमें शल्य क्रिया की अपेक्षा कम कष्ट होता है और रोग मूल से समाप्त होने लगता है। रोगियों में पुनरावृत्ति की संभावना भी बेहद कम रहती है।
शिविर में पंचकर्म चिकित्सा भी बड़ी संख्या में रोगियों के लिए उपलब्ध रहेगी। पंचकर्म को आयुर्वेद का शोधन उपचार कहा जाता है, जिसमें शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालकर शरीर का संतुलन स्थापित किया जाता है। यह गठिया, जोड़ दर्द, कमर दर्द, गर्दन के दर्द, स्नायु-विकार, माइग्रेन, बालो का झड़ना और लंबे समय से चल रहे दर्द में अत्यंत लाभकारी माना जाता है। शिविर में मरीजों की समस्या के अनुरूप अभ्यंग, स्वेदन, बस्ती, वमन, शिरोधारा आदि पंचकर्म विधाओ से विशेषज्ञों द्वारा उपचार किया जायेगा ।
न्यूरो थेरेपी – स्पोंडीलायटिस, सायटिका, फ्रोजन शोल्डर, घुटना व कमर के दर्द में 19 दिसम्बर से कोटा के मनोज शर्मा एवं उनकी टीम द्वारा उपचार किया जायेगा ।
न्यूरो थेरेपी विशेष रूप से सियाटिका, कमर दर्द, गर्दन दर्द, सर्वाइकल, माइग्रेन और नसों से संबंधित विकारों में उपयोगी पाई गई है। इस थेरेपी का उद्देश्य शरीर के प्राकृतिक तंत्र को पुनः सक्रिय करना और बिना दवा या शल्य प्रक्रिया के राहत प्रदान करना है।
शिविर में अग्निकर्म चिकित्सा भी मुख्य आकर्षण रहेगी । यह उपचार जोड़ों के दर्द, एड़ी के दर्द, टेनिस एल्बो, गर्दन-कंधे के दर्द, स्नायु तंत्र की समस्याओं में तुरंत राहत देने के लिए जाना जाता है। अग्निकर्म के परिणाम तुरंत महसूस होते हैं और इसके दुष्प्रभाव नगण्य होते हैं।
शिविर में दस दिनों तक स्वर्ण प्राशन संस्कार भी किया जाएगा। यह आयुर्वेद की प्राचीन और सुरक्षित प्रक्रिया है, जिसमें स्वर्ण भस्म, घृत और शहद के मिश्रण का सुयोग्य मात्रा में 6 माह से 16 वर्ष तक के बच्चों को सेवन कराया जाता है। स्वर्ण प्राशन से स्मरण शक्ति बढ़ती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, शारीरिक विकास में सुधार होता है और संक्रमणों से बचाव होता है। यह विशेष रूप से छोटे बच्चों में बुद्धि, बल और स्वास्थ्य संवर्धन के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। चिकित्सक माता-पिता को प्रक्रिया और फायदे के बारे में विस्तार से समझाएंगे।
जीवन शैली जन्य रोगों के बारे में जानकारी एवं गाइड लाइन एवं प्रकृति परिक्षण विशेषज्ञों द्वारा दि जाएगी । योग के माध्यम से प्रतिदिन 7 बजे से 8 बजे तक योग परामर्श विभिन्न रोगों एवं स्वस्थ जीवन शिली के लिए दिया जायेगा ।
शिविर संयोजक डॉ. शोभालाल औदीच्य ने बताया कि यह आयोजन पूरी तरह जनहित में किया जा रहा है और इसका मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को निःशुल्क, सुरक्षित और प्रभावी आयुर्वेदिक उपचार उपलब्ध कराना है। हमारा लक्ष्य है कि आमजन को ऐसी चिकित्सा उपलब्ध कराई जाए जो सुरक्षित, सुलभ और प्रभावशाली हो। आयुर्वेद केवल उपचार नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवन जीने का मार्ग भी प्रदान करता है। इस शिविर में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को उचित परामर्श, चिकित्सा और जीवनशैली संबंधी मार्गदर्शन दिया जाएगा।
अस्पताल परिसर में मरीजों की सुविधा के लिए अलग-अलग उपचार कक्ष, परामर्श कक्ष, योग हॉल और प्रतीक्षा कक्ष का सुव्यवस्थित प्रबंध किया गया है। विशेषज्ञ चिकित्सक प्रतिदिन सुबह से शाम तक उपलब्ध रहेंगे।
