विदाइ में भर आई श्रावक-श्राविकाओं की आंखें
उदयपुर। एक सौ बीस दिन के यादगार चातुर्मास के बाद युगप्रधान आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासनश्री मुनि सुरेशकुमार, सहवर्ती मुनि सम्बोधकुमार ‘मेधांश’ ने अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन से विहार किया तो जैन तेरापंथ समाज ने नम आंखों से विदाई दी।
मुनिश्री तेरापंथ भवन से विहार कर कालाजी गोराजी, भटियाणी चोहट्टा, जगदीश मंदिर, चांदपोल, ब्रम्हपोल होते हुए अम्बामाता स्थित महावीर स्वाधाय साधना केन्द्र पहुंचे। विहार के दौरान केशरिया गणवेश में महिला मंडल सदस्याएं पंक्तिबध चल रही थीं। दो की अनुशासित पंक्ति में युवा, किशोर थे तो मुनिवर के नेतृत्व में साढ़े पाँच किलोमीटर की रैली थी।
महावीर स्वाधाय साधना केन्द्र में आयोजित अभिनंदन समारोह को सम्बोधित करते हुए शासनश्री मुनि सुरेशकुमार ने कहा कि जीवन केवल सांसों का आना-जाना नहीं है। जीवन का सौंदर्य स्वयं में रमण से निखरता है। जैन समाज की एकता और अखंडता का प्रतिमान है यह महावीर स्वाध्याय साधना केन्द्र। हम एक और नेक रहे। मुनि सुरेश कुमार ने राजा प्रदेशी- केशी कुमार आख्यान वांचन करते हुए कहा कि संतों के सान्निध्य में बीते पल नास्तिक को आस्तिक बना देते हैं। चार्तुमास में जो सीखा उसे आत्मसात करें। मुनि सम्बोधकुमार ‘मेधांश’ ने कहा कि जीवन की अस्त व्यस्तता के बीच जब मन सूकून ढूंढ रहा हो तो साधु-साध्वियों के सान्निध्य में दस मिनट बिताएं।
कार्यक्रम में तेरापंथ सभाध्यक्ष अर्जुन खोखावत, महावीर साधना समिति अध्यक्ष प्रकाश जैन, श्रीमती शशि चव्हाण, डॉ. सहलोत, अम्बामाता महासचिव फतहलाल जैन, डॉ. प्रकाश सहलोत ने मुनिश्री का स्वाध्याय समिति पदापर्ण पर अभिनंदन किया। मंच संचालन अणुव्रत समिति अध्यक्ष आलोक पगारिया ने किया।