उदयपुर। होली चार्तुमास के अवसर पर श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के बैनर तले तेरापंथ महिला मंडल व तुलसी निकेतन समिति के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासनश्री मुनिश्री सुरेशकुमार ने कहा कि होली रंगों का उत्सव है। यह चैतन्य से चैतन्य को जोडऩे का त्योहार है।
उन्होंने होलिका दहन के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भक्त प्रहलाद की परंपरागत सत्यनिष्ठा से अपनी ही लगाई आग में होलिका का दहन हो गया। दिवंगत होलिका की राख स्वयं पर डालते हुए इलोजी बेसुध हो गये। रंग, गुलाल को एक दूसरे पर डालकर प्रसन्नता की अभिव्यक्ति की परंपरा को आज भी निभाया जाता है। इस अवसर पर मुनिश्री ने साध्वी प्रमुख कनकप्रभा का पुण्य स्मरण करते हुए कहा कि आचार्य तुलसी की महनीय कृति शासन माता साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने साहित्य, सेवा, समर्पण, से नारी जाती के उन्नयन में जो किरदार निभाया उसके लिए वे सदा अविस्मरणीय रहेंगे।
मुनि सम्बोध कुमार ‘मेधांश’ ने कहा कि होली सिखाती है कि हो तो ली अब क्या सोचना। हम सीखे की जिन्दगी में हजारों रंग होते हैं। हर एक रंग का लुत्फ उठाकर मिठाई के आदान-प्रदान में एक दूसरे को मिठास परोसने की। उन्होंने साध्वी प्रमुखा को श्रद्धांजली अर्पित करते हुए कहा कि जब हम स्वयं को छोडक़र औरों की खुशियों के बारे में सोचना शुरु करें तो हम स्वयं में साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा को महसूस कर सकते हैं।
कार्यक्रम में तुलसी निकेतन अध्यक्ष सुरेश दक, कार्यकारी अध्यक्ष अरूण कोठारी, तेयुप मंत्री विक्रम पगारिया, महिला मंडल अध्यक्षा सीमा पोरवाल, डॉ. निभा जैन ने भावपूर्ण विचारों से होली की शुभकामनाए व शासन माता के प्रति श्रद्धासिक्त विनयांजली अर्पित की। पंकज भंडारी के सुमधुर गीत से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। मंच संचालन तेरापंथ सभा मंत्री विनोद कच्छारा ने किया। आभार सभा कोषाध्यक्ष भगवतीलाल सुराणा ने जताया।